पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के दिल पर काम का बोझ अधिक पड़ रहा है. यूरोपीय स्ट्रोक संगठन (ESO) की ओर से पेश की गई एक स्टडी में ये बात सामने आई है. इसके मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दिल का दौरा और स्ट्रोक का ख़तरा अधिक बढ़ रहा है. महिलाओं को ये ख़तरा उनके लाइफस्टाइल, काम का तनाव, कम नींद और थकान की वजह से हो रहा है.
साल 2007, 2012 और 2017 में करीब 22 हज़ार पुरुषों और औरतों पर किये गए स्विस हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, गैर पांरपरिक रिस्क फैक्टर जैसे नींद की कमी, काम का दबाव और थकान ने महिलाओं को दिल का मरीज़ बना दिया है. आंकड़ों के मुताबिक 2007 में जो महिलाएं पूरा दिन काम करती थी, उनमें 38 प्रतिशत जबकि 2017 में 44 प्रतिशत महिलाओं में स्ट्रोक और दिल का दौरा पड़ने के मामले सामने आए.
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कुल मिलाकर महिलाओं और पुरुषों में काम के बोझ का आंकलन करने पर सामने आया कि काम के दौरान स्ट्रेस के मामले 2012 में 59 प्रतिशत तो 2017 में 66 प्रतिशत हो गए, जबकि थकान महसूस करने वालों की संख्या महिलाओं में 33 प्रतिशत और पुरुषों में 26 प्रतिशत थी.
हालाकि, पुरुषों में दिल के दौरे और स्ट्रोक का अधिक खतरा माना जाता है लेकिन रिसर्चर्स ने निष्कर्ष निकाला है कि महिलाओं में दिल की बीमारी के ख़तरे का सबसे बड़ा कारण उनकी व्यस्तता और उनके आराम में कमी है. महिलाएं घर से लेकर ऑफिस तक में काम करती है और उनको आराम का समय कम मिलता है जो उनके दिल के लिए ख़तरा बन सकता है.
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