झरोखा के 9 जून के अंक में हमने आपको महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा (Birsa Munda) के बारे में बताया था... आज हम आपको दक्षिण भारत के एक ऐसे क्रांतिकारी के बारे में बताएंगे जिन्होंने बिरसा की तरह ही जंगलों में रहकर अंग्रेजों से लोहा लिया... ये क्रांतिकारी थे अल्लूरी सीताराम राजू (Alluri Sitarama Raju).
अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म विशाखापट्टनम जिले के पंडरंगी गांव में 4 जुलाई 1897 को हुआ था... बचपन में पिता गुजर गए... जंगल से कभी लकड़ियां तोड़ते तो कभी काश्तकारी करते राजू गुजरत बसर करते थे... राजू का वेश किसी महात्मा जैसा था. गोदावरी के जंगलों में रहने वाले उन्हें पवित्र साधु कहते थे.
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तीर्थयात्रा के नाम पर वे मुंबई, वडोदरा, बनारस, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, असम, बंगाल, नेपाल घूमे... तीर्थयात्रा के दौरान उन्होंने घुड़सवारी, निशानेबाजी और तीरंदाजी सीखी थी... वापस कृष्णदेवी पेटा आए, तो श्रीराम ने संन्यस्त जीवन बिताने का निश्चय लिया...
रेम्पा विद्रोह का राजू ने नेतृत्व किया था... चित्तपल्ली पुलिस स्टेशन पर हुए हमले का उसने नेतृत्व किया था... राजू का बंदूकों की जरूरत थी... उन्होंने थानेदार की पीठ पर बंदूक लगाकर कहा कि बंदूकें निकालो, मैं सिर्फ बंदूके लेने आया हूं... थानेदार ने सब बंदूके दे दीं... उन्होंने यहां के सारे कागजात जला डाले...
राजू और उनके सैनिक दिन में किसानों के वेष में रहते थे और देहात में मजदूरी करते थे... गुप्त रूप से बैठके करते थें और रात में पुलिस चौकी पर हमले करते थे.
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पुलिसवाले राजू की तलाश में जुट गए... अक्सर ही जब वे तलाश में निकलते उनके पैरों के पास एख तीर गिरता जिसपर चिट्ठी लगी रहती थी... इसपर लिखा रहता था, हमने अंग्रेजी राज को मिटाने की प्रतिज्ञा की है. राजू न कभी प्राणहानि करते और न ही करने देते... हथियार ही छीनते थे... एकबार गंटम और मल्लू के हाथों हंटर और कॉन्ट नाम के दो अफसर मार दिए गए... राजू को यह पसंद नहीं आया... उन्होंने दोनों को बहुत डांटा...
इन दो अंग्रेज अधिकारियों की हत्या अंग्रेज सरकार के लिए चुनौती जैसी थी... राजू को पकड़ने के लिए दुर्गम इलाकों में टेलीग्राफ के तार डाले गए... रास्ते बनाने की कोशिश की गई पर लोग रात को इसे उखाड़कर फेंक देते... आदिवासी भी इसमें खूब मदद करते थे...
15 अक्टूबर 1922 अड्डगीतला तहसील के तहसीलदार को राजू ने संदेश भेजा था... और इसमें लिखा, हम आज रात हमला करेंगे... तहसीलदार डर गया... उसने सेना बुला ली. राजू ने बाण से सैनिकों को जख्मी करके लड़ाई जीत ली.
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अड्डगीतला से लौटते वक्त अंग्रेजों का गुप्तचर रुदय्या, राजू के हाथ लगा लेकिन राजू ने उसे छोड़ दिया और कहा कि दोबारा इधर मत आना.... राजू ने कलेक्टर को संदेश भिजवाया कि लड़ाई की ज्यादा गर्मी हो तो मुझसे आकर मिल लें...
29 अक्टूबर को रेपचोडवरम पर हमला किया और विजय हासिल की... 6 दिसंबर को हजारों की सेना राजू को पकड़ने आई. पर राजू की सेना पहाड़ों और जंगलों में छिप गई... गोरे सैनिकों और क्रांतिकारियों के बीच आमने सामने की लड़ाई हुई... कई क्रांतिकारी मारे गए... नदी नाले इनके खून से लाल हो गए...
अंग्रेज सेनापति जॉन को विजय का नशा चढ़ गया.. उसने क्रांतिकारियों के शवों की प्रदर्शनी लगाई और कहा कि राजू की मदद करोगे तो तुम्हारा भी यही हाल होगा... राजू लेकिन कहां पीछे हटने वाले थे... राजू ने अन्नवरम् पुलिस थाने पर छापा मारा... पृथ्वीसिंह आजाद और राज महेंद्री इन मित्रों को छुड़ा लिया...
दूसरे दिन कचहरी के सामने मिरचीवालों के नाम पत्र आया, आज शाम हम सब क्रांतिकारी शेखावरम में इकट्ठा हो रहे हैं. हिम्मत हो तो आ जाओ शेखावरम में... एक दिन तो मल्लू के घर पर पुलिस ने डेरा डाल दिया था... अंग्रेज अधिकारी किरन्स के साथ लड़ते हुए मल्लू अंग्रेजों के हाथ लगा... अंग्रेजों ने उसे बहुत पीड़ा पहुंचाई लेकिन उसने मुंह नहीं खोला.
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अंग्रेजों ने गरीब आदिवासियों को मारना पीटना शुरू कर दिया... झोपड़ियां तोड़ी और घरों को ध्वस्त किया... सामुदायिक दंड दिया पर लोग झुके नहीं... लेकिन 6 मई को निर्णायक युद्ध हुआ... दूसरे दिन 7 मई को राजू को पकड़ा गया.
मोती नाम के अधिकारी को पैसे का लालच हुआ... उसने राजू को मारने वाले को 10 हजार का इनाम देने का ऐलान किया... राजू को पकड़कर एक पेड़ से बांधा गया और निर्दयता से गोलियां चला दी गईं...
शूरवीर राजू को निशस्त्र मारा गया... 2 3 दिन तक राजू का शव पेड़ से बंधा रहा... ये बातें अल्लूरी सीताराम राजू की मां सूर्यनारायणअम्मा के संस्मरणों से ली गई हैं...
हाल ही में दक्षिण भारत में आई फिल्म RRR में राम चरण ने जिस सीताराम राजू का किरदार निभाया, वो दरअसल अल्लूरी सीताराम राजू का ही किरदार था... यहां हम एक बात और बता दें कि फिल्म में आलिया भट्ट ने सीता का किरदार निभाया... असल जिंदगी में भी सीताराम राजू जिसे प्यार करते थे, उन महिला का नाम भी सीता था...
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चलते चलते आज की दूसरी घटनाओं पर नजर डाल लेते हैं
1776 अमेरिकी स्वतन्त्रता की घोषणा हुई
2005 आस्ट्रेलिया में डाल्फ़िन की एक नई प्रजाति स्नबफ़िन खोजी गई
1898 देश के पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा का जन्म
(इस आर्टिकल के लिए रिसर्च मुकेश तिवारी @MukeshReads ने किया है)