News of the week: आज बात उन पांच बड़ी ख़बरों की होंगी जो इस हफ़्ते की तो हैं ही, आपके लिए जानना भी बेहद ज़रूरी है. एक नज़र उन पांच ख़बरों पर डाल लेते हैं.
1. सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत महिलाओं को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने का हक़ दिया है. यानी की विवाहित या अविवाहित, अब सभी महिलाएं गर्भपात करा सकती हैं.
2. जनरल अनिल चौहान ने आज भारत के दूसरे सीडीएस का पदभार ग्रहण किया. जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन के नौ महीने से ज्यादा समय बाद तक यह पद खाली था. लेफ्टिनेंट जनरल चौहान 11 गोरखा राइफल्स से हैं और जनरल रावत भी इसी रेजिमेंट से थे.
3. हिजाब बैन और EWS कोटे यानी कि आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा है. इन दोनों विषयों पर फ़ैसला अक्टूबर महीने में आ सकता है. आपको बताएंगे सुनवाई के समय कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं..
4. दिल्ली में एक बार फिर से प्रदूषण बढ़ने का ख़तरा मंडरा रहा है. दरअसल पंजाब के कुछ क्षेत्रों में बारिश हुई है, इस वजह से धान की कटाई में देरी होगी. लेकिन इसका दिल्ली के प्रदूषण से क्या कनेक्शन है? समझेंगे विस्तार से...
5. RBI ने एक बार फिर से रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही अब रेपो रेट बढ़कर 5.9 प्रतिशत पर पहुंच गया है. RBI का कहना है कि इस फ़ैसले से खुदरा महंगाई को काबू करने और वैश्विक अर्थ जगत की मौजूदा हालात से निपटने में सहायता मिलेगी.
इन पांचों खबरों पर अब विस्तार से करेंगे बात, आपके अपने कार्यक्रम मसला क्या है? में...
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सुरक्षित गर्भपात का मिला अधिकार
1. सबसे पहले बात सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले की, जिसकी चर्चा बेहद ज़रूरी है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP) के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं को सुरक्षित और क़ानूनी गर्भपात का अधिकार दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अविवाहित महिलाएं भी 24 हफ़्ते तक की गर्भावस्था को ख़त्म करवा सकती हैं. इतना ही नहीं इस फ़ैसले के मुताबिक वैवाहिक जीवन में पति के ज़बरन शारीरिक संबंध बनाने की वजह से हुई गर्भावस्था भी MTP एक्ट के दायरे में आती है. MTP क़ानून के मुताबिक़ गर्भपात कराने की कुछ शर्तें रखी गई हैं.
गर्भपात कराने की शर्तें
- प्रेग्नेंसी 20 हफ़्ते से ज़्यादा की नहीं होनी चाहिए
- 20 हफ़्ते से ज़्यादा और 24 हफ़्ते से कम की प्रेग्नेंसी होने पर गर्भपात कराने के लिए दो डॉक्टरों की राय बेहद ज़रूरी है. जिससे कि प्रेग्नेंट महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को ख़तरा ना हो.
- अगर होने वाले बच्चे में किसी गंभीर शारीरिक या मानसिक बीमारी के लक्षण हैं तो प्रेग्नेंसी टर्मिनेट की जा सकती है.
- रेप सर्वाइवर्स, नाबालिग लड़की, मानसिक विकलांग महिलाओं को भी 24 हफ़्ते तक प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करवाने का अधिकार है.
- अगर प्रेग्नेंसी के बीच में ही किसी महिला का तलाक़ हो जाए या पति की मौत हो जाए, तो वे एमपीटी एक्ट के तहत 24 हफ़्ते तक गर्भपात करवाया जा सकता है.
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में ये भी कहा है कि अविवाहित महिलाओं को लेकर एक गलत धारणा यह है कि उन्हें गर्भपात करवाने की इजाज़त नहीं है. यही वजह है कि कई बार महिला और उनके पार्टनर को गर्भपात करवाने के लिए झोलाछाप डॉक्टर का सहारा लेना पड़ता है. जो बेहद खतरनाक है. कोई भी बालिग महिला एमटीपी एक्ट के दायरे में अपनी मर्ज़ी से गर्भपात का फ़ैसला ले सकती है. कोई भी डॉक्टर इसके लिए परिवार या पति की इजाज़त लेने के लिए ज़ोर ना डालें. सिर्फ़ नाबालिग या मानसिक रूप से विकलांग महिलाओं के मामले में ही गार्जियन की इजाज़त की ज़रूरत है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आख़िरकार ये महिला का ही अधिकार है कि वह अपनी परिस्थिति देखते हुए इस मामले में फ़ैसला करे.
आपको बता दूं, अमेरिका जैसे देश में वहां की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया है. जिसको लेकर वहां विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. अमेरिकी जनता इसे रूढ़िवादी और महिलाओं के अधिकार के ख़िलाफ़ बता रही है. वहीं भारत में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अधिकार को और मज़बूत किया है.
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जनरल अनिल चौहान बने दूसरे सीडीएस
2. जनरल अनिल चौहान ने आज यानी कि शुक्रवार को भारत के दूसरे सीडीएस का पदभार ग्रहण किया. लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) लंबे समय तक पूर्वी कमान से जुड़े रहे हैं. 2020 में जब चीन और भारत के बीच गलवान में टक्कर हुई थी, उस दौरान जनरल, ऑफ़िसर कमांडिंग इन चीफ़ (जीओसी) थे और इस इलाके की सुरक्षा को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी इनके पास ही थी.
इससे पहले 2019 में बालाकोट हमले के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल चौहान, सेना के सैन्य परिचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) थे. जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट पर हवाई हमले कर जैश ए मोहम्मद के प्रशिक्षण केंद्रों को बर्बाद किया था. भारत ने यह हमला जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया था. लेफ्टिनेंट जनरल चौहान पिछले साल ही सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के अधीन सैन्य सलाहकार के तौर पर काम कर रहे थे. लेफ्टिनेंट जनरल चौहान 11 गोरखा राइफल्स से हैं.
भारत के पहले सीडीएस जनरल रावत भी इसी रेजिमेंट से थे. जनरल रावत की पिछले साल दिसंबर महीने में 11 सैन्य कर्मियों के साथ एक हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी.
लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान, चीन और पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई को नज़दीक से देखते रहे हैं. ऐसे में उनका यह अनुभव पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान दोनों की चुनौतियों को एक साथ सुलझाने में काम आ सकता है. इसके साथ ही थियेटर कमान के निर्माण के लिए, सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों के प्रमुखों के बीच सहमति बनाना, उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है. क्योंकि भारतीय वायु सेना को इसे लेकर कुछ आशंकाएं हैं. इसके अलावा उन्हें समान विचारधारा वाले देशों को भी साथ लाना होगा.
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हिजाब बैन और EWS कैटिगरी पर आएगा फैसला
हिजाब बैन और EWS कैटिगरी के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में अक्टूबर महीने में फैसला आ सकता है. दोनों मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. 10 अक्टूबर तक कोर्ट में अवकाश है. इसलिए उसके बाद फ़ैसला आने की उम्मीद है. हालांकि दोनों केस की सुनवाई के दौरान जो दलीलें दी गईं, वह बेहद रोचक है.
हिजाब बैन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार ने कहा कि सर्कुलर के तहत सिर्फ यूनिफर्म पहनने की इजाजत दी गई है. राज्य सरकार का सर्कुलर धार्मिक समानता का है. तुषार मेहता ने कहा कि 2021 तक कोई लड़की हिजाब पहन कर स्कूल नहीं आ रही थी, अचानक उन्होंने पहनना शुरू किया है. जिसके बाद दूसरी कम्यूनिटी के लोग भी भगवा शॉल पहनने लगे. हमने गेरुआ शॉल या चादर को भी बैन किया है. सरकार संवैधानिक ड्यूटी का निभा रही है.
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में कई खामियां हैं. राज्य सरकार का सर्कुलर गैर संवैधानिक तो है ही. इसके साथ ही अनुच्छेद-14, 19, 21 और 25 का उल्लंघन भी करता है. हिजाब मुस्लिम महिलाओं के गरिमा से जुड़ा है. संविधान का अनुच्छेद-21 उन्हें इस बात की इजाज़त देता है.
वहीं EWS कोटा के मामले में सवाल यह उठा कि क्या इस कोटे के तहत 10 फीसदी रिजर्वेशन देने से संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन होता है? 27 सितंबर को चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच में इस मामले की सुनवाई हो रही थी. भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील देते हुए कहा कि SC और ST को रिजर्वेशन पहले से मिल ही रहा है. EWS कैटिगरी के लोगों को रिजर्वेशन देने से उनके रिजर्वेशन के अधिकार में कोई कमी नहीं हुई है. संसद ने समाज के कमजोर वर्ग को रिजर्वेशन देने के लिए लगातार संविधान में संशोधन कर प्रावधान किए हैं. इसी कड़ी में 103 वां संशोधन किया गया है. जिससे जनरल कैटिगरी के आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को रिजर्वेशन का लाभ मिल सके. जबकि इसके विरोध में मोहन गोपाल ने कहा कि EWS कोटा, रिजर्वेशन के सिद्धांत को खत्म करने के लिए बैकडोर एंट्री है. वहीं संजय पारिख ने बेंच के सामने इंदिरा साहनी केस में दिए जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि रिजर्वेशन 50 फीसदी के नियम को लांघ नहीं सकता है.
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दिल्ली पर बढ़ रहा प्रदूषण का ख़तरा
4. देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से प्रदूषण बढ़ने का ख़तरा मंडरा रहा है. क्योंकि पंजाब के कुछ क्षेत्रों में बारिश की वजह से धान की कटाई में देरी हो रही है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस नुकसान की भरपाई करने के लिए किसान जल्द से जल्द फसल काट कर पराली में आग लगाएंगे ताकि खेत को अगले फसल के लिए तैयार किया जा सके. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तर भारत में चार अक्टूबर से आठ अक्टूबर के बीच एक बार फिर बारिश हो सकती है, जिससे कुछ इलाकों में फसल कटाई में और देरी होगी. दरअसल धान की कटाई में देरी होने से अगली फसल के लिए खेतों को तैयार करने के लिए कम समय मिलेगा. ऐसे में संभावना यह व्यक्त किया जा रहा है कि किसान मशीनी तंत्र के जरिए पराली से निपटने के बजाय उसे जला सकते हैं. ऐसे में दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ना तय है.
अब आज की आखिरी ख़बर का रुख़ कर लेते हैं.
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रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी
5. RBI ने रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही रेपो रेट 5.90 फीसदी पहुंच गया है जो तीन साल में सबसे अधिक है. मई महीने से लेकर अब तक रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है. RBI का कहना है कि इस फ़ैसले से खुदरा महंगाई को काबू करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही हाल में कई देशों के केंद्रीय बैंक ने आक्रामक रूप से ब्याज़ बढ़ाया है, इससे भारतीय मुद्रा पर भी दबाव बढ़ा है. RBI को उम्मीद है कि रेपो रेट बढ़ाने से उस दबाव से निपटने में भी मदद मिलेगी. रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई देश के सभी बैंकों को लोन देता है. इसलिए रेपो रेट बढ़ने से होम लोन समेत सभी अन्य तरह के लोन महंगे हो जाएंगे.
आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए महंगाई के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगर तेल के दाम में मौजूदा नरमी बनी रही, तो आने वाले समय में महंगाई से राहत मिल सकती है. उन्होंने कहा कि सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7.0 प्रतिशत किया गया है.
आज के लिए बस इतना ही. सोमवार को फिर किसी नए मुद्दे पर होगी बात... बाकी ख़बरों के लिए देखते रहिए एडिटरजी हिंदी...