पड़ोसी मुल्क श्रीलंका (Sri Lanka) में हालात बदतर होते दिखाई दे रहे हैं. एक बार फिर हजारों लोग राजधानी कोलंबो (Colombo) की सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारी (Protestor) राष्ट्रपति भवन (President House) में घुस गए और उस पर कब्जा कर लिया. इसके बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) को भागना पड़ा.
इससे पहले मई महीने में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Former Prime Minister Mahinda Rajapakse) को भी उस वक्त पूरे परिवार के साथ भागना पड़ गया था, जब प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे के सरकारी आवास (PM House) को घेर लिया था. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कौन हैं गोटाबाया राजपक्षे ? (Who is Gotabaya Rajapaksa) आखिर राजपक्षे परिवार (Rajapakse Family) से क्यों नाराज है श्रीलंका की जनता ?
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कौन हैं गोटाबाया राजपक्षे ? || Who is Gotabaya Rajapaksa
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई हैं. गोटाबाया का जन्म श्रीलंका के एक प्रतिष्ठित सियासी परिवार (Political Family) में 20 जून, 1949 को हुआ था.
कोलंबो में अपनी स्कूली पढ़ाई (School Education) पूरी करने के बाद गोटाबाया साल 1971 में श्रीलंका की सेना (Sri Lanka Army) में बतौर अधिकारी कैडेट (Cadet) के तौर पर शामिल हुए. साल 1983 में उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी (Madras University) में रक्षा अध्ययन में पोस्ट ग्रैजुएट (Post Graduate) की उपाधि हासिल की.
साल 1991 में सर जॉन कोटेलवाला रक्षा अकादमी (Sir John Kotelwala Defence Academy) के उप कमांडेंट (Deputy Commandant) नियुक्त किए और 1992 में सेना से रिटायर (Retirement) होने तक इस पद पर बने रहे.
इसके बाद, गोटाबाया साल 2005 में अपने भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार (Election Campaign) में मदद करने के लिए अपने देश लौटे और श्रीलंका की दोहरी नागरिकता ली. बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान गोटाबाया साल 2005 से 2014 तक रक्षा सचिव (Defence Secretary) रहे.
गोटाबाया श्रीलंका में 26 साल तक चले गृह युद्ध (Civil War) के दौरान एक कामयाब सैन्य अधिकारी (Army Officer) के रूप में काम कर चुके हैं. देश में तमिल अलगाववादी (Tamil Liberation) युद्ध को खत्म करने में भी इनकी खास भूमिका रही.
इतना ही नहीं लिट्टे (LTTE) को क्रूरता से दबाने में गोटाबाया की अहम भूमिका के चलते ही उन्हें 'द टर्मिनेटर' (The Terminator) के तौर पर जाना जाता है. हालांकि गोटाबाया पर गंभीर मानवाधिकार (Human Rights) उल्लंघन के भी आरोप लगे. तमिल मूल के वे परिवार जिनके अपने गृहयुद्ध के दौरान या तो मारे गए या फिर लापता हो गए, वे गोटाबाया पर युद्ध अपराध (War Crime) का आरोप तक लगाते हैं.
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गोटाबाया से क्यों नाराज हैं श्रीलंका की जनता ? || Why people of Sri Lanka angry with the Rajapaksa family?
दरअसल, श्रीलंका के सियासत (Sri Lanka Politics) में राजपक्षे परिवार (Rajapaksa Family) का वर्चस्व है. श्रीलंका की मौजूदा सरकार पर राजपक्षे परिवार के 5 सदस्य सरकार में मंत्री (Minister) हैं. चार भाइयों के अलावा परिवार का एक बेटा भी मंत्री हैं. खुद गोटाबाया राजपक्षे देश के राष्ट्रपति (President) हैं.
इतना ही नहीं बतौर राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान इस परिवार के सदस्यों को 40 मंत्री पद दिये गये. कहा जाता है कि इस परिवार ने श्रीलंका की सियासत में परिवारवाद और भाई-भतीजावाद (Nepotism) को जन्म दिया.
साल 2019 में आर्थिक पुनरुद्धार (Economic Revival) और सुरक्षा (Security) मुहैया कराने जैसे वादों के चलते गोटाबाया चुनाव जीत तो गए. लेकिन वो जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए. उनकी आर्थिक नीतियां (Economic Policy) फेल हो गई और सरकार आर्थिक मोर्चे (Economic Fronts) पर पूरी तरह नाकाम साबित हुई.
कोलंबो (Colombo) को सुंदर बनाने की परियोजना (Projects) के लिए झुग्गी-झोपड़ियों (Slums) में रहने वाले लोगों के आशियाने उजाड़ दिए गए. रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizer) के इस्तेमाल और आयात (Imports) पर पूरी तरह बैन (Ban) लगा दिया.
श्रीलंका को ऑर्गेनिक हब (Organic Hub) बनाने के लिए सरकार ने ये फैसला तो लिया, लेकिन इससे श्रीलंका के एग्री सेक्टर (Agri Sector) पूरी तरह से तबाह हो गया. खेती करने वाली एक बड़ी आबादी ने इससे मुंह मोड़ लिया जिससे देश का कृषि उत्पादन (Agriculture Production) आधा रह गया.
देश में चीनी और चावल (Sugar and Rice) की भारी किल्लत है. कोविड (Covid) के चलते टूरिज्म सेक्टर (Tourism Sector) पर पड़ी मार, डॉलर (Dollar) के भंडार में कमी से आर्थिक संकट (Economic Crisis) और गहरा गया.
इसका नतीजा ये हुआ की ईंधन, एलपीजी, बिजली (Fuel, LPG, Electricity) और जरूरी भोजन (Essential Food) की भारी किल्लत हो गई. रही सही कसर देश पर चीन के भारी भरकम कर्ज (China's huge debt) ने पूरी कर दी. यही वजह है कि लोग राजपक्षे से तुरंत सत्ता छोड़ने की मांग कर रहे हैं.