Today in History , 16 June: कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत को दी गई एक धमकी आप सबको याद होगी... उन्होंने कहा था कि भारत ने यदि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा ( Export Ban on Hydroxychloroquine Medicine ) के निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाया तो अमेरिका भी इसका जवाब देगा...दरअसल ये दवा तब कोरोना वायरस ( Covid19 ) के इलाज में कारगर साबित हो रही थी और भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश था...
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हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवा क्यों जरूरी?
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया ( Malaria ) की पुरानी दवा है...लेकिन अमेरिका ही नहीं दुनिया के कई देश इसके लिए भारत से गुहार लगा रहे थे...आज की तारीख यानी 16 जून का संबंध उसी महान वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद रे ( Prafulla Chandra Ray ) से है जिनके बूते भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक बना...16 जून 1944 को कोलकाता में इस महान वैज्ञानिक, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक ने अंतिम सांस ली थी...जिन्होंने कहा था- विज्ञान इंतजार कर सकता है परन्तु स्वराज नहीं....
भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग के जनक
वो साल 1873 के दिन थे...12 साल की उम्र का एक लड़के अपने पिता की लाइब्रेरी में एक अंग्रेज लेखक की किताब पढ़ी...इस पुस्तक में दुनिया के 1000 महान लोगों की सूची थी...उसमें सिर्फ एक भारतीय राजा राममोहन राय का नाम था...इस छोटी सी उम्र में उस बच्चे को इससे बड़ा धक्का लगा और उसने ठान लिया- इसमें अपना नाम भी छपवाना है. उस बालक का नाम था- आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे. उन्हें भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग (Pharmaceutical industry in India) का जनक माना जाता है...दूसरे शब्दों में कहें तो वे भारत में केमेस्ट्री के भी जनक हैं.
2 अगस्त को प्रफुल्लचंद्र रे (Prafulla Chandra Ray) का जन्म
प्रफुल्लचंद्र रे का जन्म 2 अगस्त, 1861 को जैसोर में हुआ था. ये जगह अब बांग्लादेश में है. उनके पिता हरिश्चंद्र ( Prafulla Chandra Ray Father Harish Chandra Ray ) जमींदार घराने के थे और बंगला, अरबी-फारसी, संस्कृत और अंग्रेजी के बड़े विद्वान थे. उनके आधुनिक और सुधारवादी रवैये की वजह से पुरातन पंथी लोग उन्हें म्लेच्छ कहकर पुकारते थे...ऐसे वातावरण में प्रफुल्ल चंद रे पले और बड़े हुए..उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही पाठशाला में हुई...
1871 में जब उनके पिता कोलकाता आ गए तो उनका दाखिला डेविड हेयर के स्कूल में हुआ...पढ़ाई चलती रही लेकिन पिता की आर्थिक स्थिति खराब हो गई...प्रफुल्ल प्रतिभा के धनी थे...लिहाजा उन्हें इंग्लैंड के एडिनबरा यूनिवर्सिटी की छात्रवृति मिल गई. साल 1887 में स्वदेश लौटे तो कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में 250 रुपये की तनख्वाह पर सहायक प्रोफेसर की नौकरी मिल गई.
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मर्क्यूरस नाइट्रेट (Mercury(I) nitrate) नामक रसायन की खोज
मगर उनमें देश के लिए कुछ करने का जुनून इस कदर था कि नौकरी के साथ-साथ उनका प्रयोग भी चलता रहा...उन्होंने मर्क्यूरस नाइट्रेट नामक रसायन ( Mercurous Nitrate Chemical ) की खोज की...जिससे पूरी दुनियामें उनकी ख्याति हुई. आचार्य रे विलक्षण इसलिए थे क्योंकि उन्हें विज्ञान के साथ-साथ इतिहास का भी ज्ञान था...इसी दुर्लभ संयोग की वजह से उन्होंने एक मशहूर किताब लिखी- जिसका शीर्षक था- द हिस्ट्री ऑफ हिन्दू केमेस्ट्री ( The History of Hindu Chemistry )...दो खंडो में प्रकाशित इस किताब की दुनियाभर में चर्चा हुई. इसके लिए उन्हें कई अंतराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया.
बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कंपनी बनाई
बाद आचार्य रे ने बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ( Bengal Chemicals & Pharmaceuticals Limited ) नाम से एक कंपनी की स्थापना की. आज से 121 साल पहले स्थापित इसी कंपनी ने भारत में क्लोरोक्वीन दवा बनाई...साल 1934 में पहली बार इस कंपनी ये दवा बनाई जो मलेरिया के लिए रामबाण साबित हुई...आचार्य रे जब ये सबकुछ कर रहे थे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था...कहा जाता है कि महात्मा गांधी पहली बार कोलकाता आए तो इसकी वजह आचार्य रे ही थे.
असहयोग आंदोलन (Non-cooperation Movement) के दौरान उन्होंने अपने भाषण में कहा था- मैं रसायनशाला का प्राणी हूँ. मगर ऐसे भी मौके आते हैं जब वक्त का तकाज़ा होता है कि टेस्ट-ट्यूब छोड़कर देश की पुकार सुनी जाए. आचार्य रे के बारे में महात्मा गांधी ने कहा- 'यह विश्वास करना कठिन है कि साधारण-सी भारतीय वेशभूषा और सहज व्यवहार वाला यह व्यक्ति महान वैज्ञानिक और प्रोफेसर हो सकता है.
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आचार्य रे का सपना था कि देश इस मुकाम पर खड़ा हो, जहां उसे जीवनरक्षक दवाओं के लिए पश्चिमी देशों का मुंह न ताकना पड़े और आज उनका वो सपना सत्य होता दिख रहा है क्योंकि दुनिया की कई बड़ी महाशक्तियां कई जीवनरक्षक दवाओं के लिए भारत की ओर देखती हैं.
चलते-चलते आज की तारीख में हुई दूसरी बड़ी घटनाओं पर भी नजर मार लेते हैं
1911: IBM कंपनी की स्थापना ( IBM Company Formed ) न्यूयॉर्क में हुई
1950 : हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ( Mithun Chakraborty Birthday ) का जन्म
2007 : सुनीता विलियम्स ( Sunita Williams ) अंतरिक्ष में सबसे लम्बे समय तक रहने वाली महिला बनीं
2008 : कैलिफोर्निया में समलैंगिक जोड़े को शादी करने का लाइसेंस