हाइलाइट्स

  • लॉर्ड हार्डिंग पर हमले को रास बिहारी बोस ने अंजाम दिया
  • 25 मई 1886 को बर्धमान जिले में हुआ था रास बिहारी बोस का जन्म
  • 1789 के फ्रेंच रिवोल्यूशन ने उनपर गहरा असर किया था

लेटेस्ट खबर

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में दर्दनाक हादसा! कुएं में जहरीली गैस के रिसाव से पांच लोगों की मौत

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में दर्दनाक हादसा! कुएं में जहरीली गैस के रिसाव से पांच लोगों की मौत

Arvind Kejriwal Arrest: CM केजरीवाल के मामले में दिल्ली HC का CBI को नोटिस, कब होगी अगली सुनवाई?

Arvind Kejriwal Arrest: CM केजरीवाल के मामले में दिल्ली HC का CBI को नोटिस, कब होगी अगली सुनवाई?

Noida के Logix Mall में आग लगने की वजह से मची चीख-पुकार, देखें हाहाकारी VIDEO

Noida के Logix Mall में आग लगने की वजह से मची चीख-पुकार, देखें हाहाकारी VIDEO

Justin Bieber का मुंबई में हुआ जोरदार स्वागत, अनंत-राधिका के संगीत में परफॉर्म करेंगे सिंगर

Justin Bieber का मुंबई में हुआ जोरदार स्वागत, अनंत-राधिका के संगीत में परफॉर्म करेंगे सिंगर

Alpha: यशराज फिल्म्स ने आलिया भट्ट का स्पाई यूनिवर्स 'अल्फा' में किया स्वागत, देखिए धमाकेदार Video

Alpha: यशराज फिल्म्स ने आलिया भट्ट का स्पाई यूनिवर्स 'अल्फा' में किया स्वागत, देखिए धमाकेदार Video

क्या जसप्रीत बुमराह भी लेंगे टी-20 इंटरनेशनल से संन्यास? तेज गेंदबाज ने खुद कर दिया क्लियर

क्या जसप्रीत बुमराह भी लेंगे टी-20 इंटरनेशनल से संन्यास? तेज गेंदबाज ने खुद कर दिया क्लियर

Paris 2024 Olympics: PM मोदी ने खिलाड़ियों से की बात, दिया ये खास मंत्र

Paris 2024 Olympics: PM मोदी ने खिलाड़ियों से की बात, दिया ये खास मंत्र

Petrol Diesel Rates on July 05, 2024: पेट्रोल-डीजल की नई कीमतें हुईं अपडेट, चेक करें

Petrol Diesel Rates on July 05, 2024: पेट्रोल-डीजल की नई कीमतें हुईं अपडेट, चेक करें

Rash Bihari Bose: रास बिहारी ने Subhash Chandra Bose को बनाकर दी आजाद हिंद फौज | Jharokha 30 Aug

महान स्वतंत्रता सेनानी रास बिहारी बोस (Rash Bihari Bose) एक क्रांतिकारी थे. वह आज़ाद हिंद फौज के संस्थापकों में से एक हैं. रासबिहारी बोस ने न सिर्फ भारत में रहकर अंग्रेजों से लोहा लिया बल्कि देश छोड़ने के बाद वह विदेशों से भी इस मुहिम को बढ़ाते रहे

Rash Bihari Bose: रास बिहारी ने Subhash Chandra Bose को बनाकर दी आजाद हिंद फौज | Jharokha 30 Aug

Rash Bihari Bose: रास बिहारी बोस (Rash Bihari Bose) एक क्रांतिकारी थे. वह आज़ाद हिंद फौज बनाने वाले पहले नेताओं में भी शामिल रहे थे. रासबिहारी बोस उन लोगों में से थे जिन्होंने देश से बाहर जाकर विदेशी राष्ट्रों की मदद ली और अंग्रेजों के खिलाफ माहौल बनाने की सोच रखी. 1928 में रास बिहारी बोस ने ही 'द इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया लीग' की स्थापना की थी.

1937 में उन्होंने 'भारतीय स्वातंय संघ' की स्थापना की और सभी भारतीयों का आह्वान किया व भारत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया... चूंकि 30 अगस्त 1928 के दिन ही Independence for India League की स्थापना हुई थी और इसे बनाने वाले नेताओं में प्रमुख नाम रास बिहारी बोस का भी था, इसलिए आज हम रास बिहारी बोस की जिंदगी को जानेंगे झरोखा के इस खास एपिसोड में.

ये भी देखें- Rani Padmini and Siege of Chittor: खिलजी की कैद से Ratan Singh को छुड़ा लाई थी पद्मावती

लॉर्ड हार्डिंग पर हमले को रास बिहारी बोस ने अंजाम दिया

बात भारत के गुलामी के दौर की है...तारीख थी 22 दिसंबर 1912...बंगाल का एक युवा जिसका नाम रासबिहारी बोस (Rash Bihari Bose) था कोलकाता से चलकर देहरादून पहुंचा. हालांकि उससे एक दिन पहले उसका साथी बसंत बिस्वास लाहौर से दिल्ली पहुंच चुका था. वायसराय पर बम फेंकने की पूरी तैयारी (Delhi conspiracy case or Delhi-Lahore Conspiracy Case) कर ली गई थी.

23 दिसंबर को दिल्ली में वायसरॉय की सवारी धूमधाम से निकलनी थी. देश के अनेक राजे महाराजे इस मौके पर मौजूद थे. सड़कों पर अपार जनसमूह दर्शक के रूप में मौजूद था. अब जुलूस चांदनी चौक में मौजूद घंटाघर से थोड़ी ही दूर बढ़ा तो अचानक बम विस्फोट हो गया. बम के हमले से वायसरॉय का महावत मारा गया लेकिन वायसरॉय घायल होकर बेहोश हो गए... बम विस्फोट के तुरंत बाद पुलिस ने इलाके की नाकेबंदी की.

बसंत बिस्वास (Basanta Kumar Biswas) का निशाना कुछ चूक गया था. बसंत बिस्वास ने बम सिगरेट की डिब्बी में छिपाया था और वह महिलाओं के वेश में एक दर्शक के रूप में पंजाब नेशनल बैंक की इमारत की छत पर महिलाओं के बीच था और नीचे रासबिहारी बोस एक सेठ के रूप में जुलूस का नजारा देख रहे थे. जब बम विस्फोट के बाद महिला वेशधारी बसंत बिस्वास नीचे उतरे तो सेठ बने रासबिहारी बोस उनके साथ पतली गली से निकल गए.

हालांकि, इस बम कांड में रासबिहारी बोस का मकसद पूरा नहीं हुआ लेकिन वायसरॉय पर बम फेंकने की घटना कोई छोटी मोटी घटना नहीं थी. इससे देश में तहलका मच गया था. इस घटना के लगभग 18 साल बाद 30 अगस्त 1928 को रास बिहारी बोस ने द इंडिपेंडेंस ऑफ़ इंडिया लीग की भारत में स्थापना की... रास बिहारी बोस की जिंदगी इस बम हमले के बाद कैसे बदल गई... आज जानेंगे झरोखा के इस खास एपिसोड में.

1928 में बनाई गई इंडिपेंडेंस फॉर इंडिया लीग के अध्यक्ष श्रीनिवास आयंगर (Shrinivas Ayangar) थे. स्वतंत्र भारत लीग (द इंडिपेंडेंस फॉर इंडिया लीग) की स्थापना 30 अगस्त, 1928 को की गई थी. इस लीग ने अपना अंतिम मकसद पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को तय किया था.

अब बात करते हैं रास बिहारी बोस की... रास बिहारी का जन्म 25 मई 1886 को पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में हुआ था. 1889 में उनकी मां चल बसीं. यह वो वक्त था जब रास बिहारी 4 साल के ही थे. रास बिहारी को इसके बाद उनकी मौसी ने पाला... चंदर नगर से कॉलेज की पढ़ाई पूरी की. तब चंदर नगर फ्रेंच शासन के तहत था और रास बिहारी पर ब्रिटिश और फ्रेंच दोनों संस्कृतियों का प्रभाव था.

1789 के फ्रेंच रिवोल्यूशन ने उनपर गहरा असर किया था. उनके दिलो दिमाग पर क्रांतिकारी विचार ही मंडराते रहते थे.

रास बिहारी बोस ने प्रसिद्ध बंगाली उपन्यासकार, कवि और विचारक बंकिम चंद्र चटर्जी (Bankim Chandra Chatterjee ) द्वारा लिखित "आनंद मठ" को पढ़ा... बंगाली कवि नवीन सेन, प्लासीर युद्ध, की देशभक्ति कविताओं का एक संग्रह भी पढ़ा. समय के साथ उन्होंने दूसरी क्रांतिकारी किताबें भी पढ़ीं. उन्होंने सुरेंद्रनाथ बनर्जी और स्वामी विवेकानंद के राष्ट्रवादी भाषण भी पढ़े. चंद्रनगर में, उनके शिक्षक चारू चंद कट्टरपंथी विचारों के व्यक्ति थे. उन्होंने रास बिहारी को क्रांति की राह पर आगे बढ़ाया था.

रास बिहारी बोस को कॉलेज पूरा करने का मौका नहीं मिला क्योंकि उनके चाचा ने उन्हें फोर्ट विलियम में नौकरी दिलवा दी थी. वहां से वह अपने पिता की इच्छा पर शिमला के सरकारी प्रेस में शिफ्ट हो गए. वे अंग्रेजी और टाइपराइटिंग में महारत हासिल कर चुके थे. कुछ समय बाद वे कसौली के पाश्चर इंस्टिट्यूट में चले गए लेकिन रासबिहारी इन नौकरियों से खुश नहीं थे.

ये भी देखें- Sir Edmund Hillary: माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले हिलेरी Ocean to Sky में कैसे हुए नाकाम

रासबिहारी बोस एक सहयोगी की सलाह पर, प्रमंथ नाथ टैगोर के घर में एक गार्जियन ट्यूटर के तौर पर देहरादून गए. उन्हें Dehra Dun Forest Research Institute क्लर्क का पद मिला जहां जहां कठिन परिश्रम से वह हेड क्लर्क बन गए.

रास बिहारी बोस का क्रांतिकारी जीवन कब शुरू हुआ

1905 में बंगाल विभाजन और उसके बाद के घटनाक्रम रास बिहारी बोस के क्रांतिकारी रास्ते की वजह बन गए. रास बिहारी ने तय किया कि क्रांतिकारी कार्रवाई के बिना सरकार नहीं झुकेगी. उन्होंने मशहूर क्रांतिकारी नेता जतिन बनर्जी के मार्गदर्शन में अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को तेज करना शुरू कर दिया.

रास बिहारी बोस ने लॉर्ड हार्डिंग पर बम हमले की साजिश रची

रास बिहारी बोस का नाम अचानक चर्चा में तब आया जब 23 दिसंबर 1912 को उन्होंने लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका. हार्डिंग तब भारत का वायसरॉय थे. चंदन नगर में एक सम्मेलन में, रास बिहारी के एक साहसी दोस्त श्रीश घोष ने हार्डिंग पर हमले का सुझाव दिया था लेकिन कुछ उपस्थित लोगों ने सोचा कि यह सही नहीं है.

रास बिहारी बोस विचार कर रहे थे और केवल इतना ही बोल रहे थे कि वे तैयार और दृढ़ थे लेकिन उन्होंने दो शर्तें रखीं - कि उन्हें शक्तिशाली बम दिए जाएं और उनका साथी एक ऐसा शख्स हो जिसकी छवि एक क्रांतिकारी के तौर पर बनकर उभरी न हो.

1911 की दिवाली में दोनों साथियों ने इस हमले का रिहर्सल किया... दिवाली के दिन पटाखों के शोर में उनके बम धमाके भी कोई पहचान न सका. बम रास बिहारी की उम्मीद पर खरा उतरा... लेकिन अब उन्हें एक साल के लिए इंतजार करना था.

चंदन नगर से जो 16 साल का नया लड़का रास बिहारी का साथ देने आया था, उसका नाम बसंत बिस्वास था. वह आसानी से एक लड़की का रूप धर सकता था और चांदनी चौक की भीड़भाड़ में पहचान भी नहीं आता. हमले के दिन से एक दिन पहले रास बिहारी बोस इस नए लड़के को प्रेमिका बनाकर चांदनी चौक घुमाने ले गए थे. मंशा यही थी कि चांदनी चौक का चप्पा चप्पा पहचान लिया जाए.

वह 23 दिसंबर 1912 का दिन था... वायसराय हाथी की पीठ पर सवार थे. महिलाओं को जुलूस के आने का बेसब्री से इंतजार था. बसंत (लड़की के वेश में) उन्हीं के बीच था. वह पंजाब नेशनल बैंक के पास चांदनी चौक का घंटाघर था. बम तभी फेंका जाना था जब हाथी बिल्कुल सामने हो. रास बिहारी पास ही खड़े थे और अवध बिहारी इसके ठीक सामने. हालांकि बसंत ने जो बम फेंका वो वायसरॉय को न लगकर महावत को लग गया.

हमले के तुरंत बाद बसंत ने एक बाथरूम में जाकर कपड़े बदल लिए. वह सुंदर लड़की से अब एक नौजवान लड़का बन चुका था. नीचे आकर दोनों भीड़ में मिल गए. वायसरॉय गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें फेमस डॉक्टर एसी सेन के पास ले जाया गया. अवध बिहारी को बाद में इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. अंग्रेजी सरकार ने उन्हें फांसी दे दी. हालांकि रास बिहारी पकड़े नहीं जा सके.

रास बिहारी बोस रात की ट्रेन से देहरादून लौट आए और अगले दिन दफ्तर में ऐसे पहुंचे जैसे कुछ हुआ ही न हो... इसके अलावा, उन्होंने वायसरॉय पर हमले की निंदा करने के लिए देहरादून के नागरिकों की एक बैठक भी बुलाई. आखिर कौन कल्पना कर सकता है कि यह वही शख्स था जो इन सबका मास्टरमाइंड था.

रास बिहारी बोस का गदर मूवमेंट

हालांकि हार्डिंग मौत से बच गए, लेकिन रास बिहारी की कोशिश जारी रही... ऑल इंडिया रिवॉल्यूशन का ध्यान देश के कैंटोनमेंट पर था... 1914 तक अमेरिका, कनाडा और सुदूर पूर्व से कई 'विस्फोटक पदार्थ' भारत मंगाए गए. गदर मूवमेंट की बात तेज हो चुकी थ. इसके 4 हजार क्रांतिकारी पहले से भारत में थे. अब कमी थी तो बस एक नेता की. सबकी नजर अब रास बिहारी पर पड़ी.

गदर पार्टी के नेता पहले विश्व युद्ध के दौरान, एक संगठित विद्रोह करना चाहते थे... तब ब्रिटिश सरकार को सैनिकों की बहुत आवश्यकता थी. इस मकसद से नेताओं ने समस्त भारतीय मूल के हिन्दुस्तानियों को भारत लौटने के लिए प्रेरित किया... इस तरह जापान में मौजूद गदर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह भाकना ने भारत आने का फैसला लिया.

उन्होंने बड़ी सावधानी से अपनी योजना को तैयार किया. ब्रिटिश हुकूमत के दुश्मनों से मदद प्राप्त करने के लिए गदर पार्टी ने बरकतुल्लाह को काबुल भेजा. कपूर सिंह मोही चीनी क्रान्तिकारियों से सहायता प्राप्त करने के लिए सन यात-सेन से मिले. सोहन सिंह भाकना भी टोकियो में जर्मन काउंसलर से मिले. तेजा सिंह स्वतंत्र ने तुर्कीश मिलिट्री अकादमी में जाना तय कर लिया ताकि ट्रेनिंग ली जा सके. गदर पार्टी के नेता समंदर के रास्ते भारत आना चाहते थे.

कामागाटामारू, एस.एस. कोरिया, तोषा मारु और नैमसंग नाम के जहाजों पर हजारों गदर नेता चढ़कर भारत की ओर आने लगे लेकिन यह सूचना ब्रिटिश हुकूमत तक पहुंच गई. उन्होंने जंग की घोषणा वाले पोस्टरों को गंभीरता से लिया. सितंबर 1914 को सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया जिसके तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार दे दिया गया कि वे भारत में आने होने वाले किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकेंगे चाहे वह भारतीय मूल का क्यों न हो.

कामागाटामारू के यात्री इस अध्यादेश के पहले शिकार बने. सोहन सिंह भाकना और अन्य लोगों को नैमसंग जहाज से उतरते समय गिरफ्तार कर लिया गया और लुधियाना लाया गया. वे गदर सदस्य जो तोषामारू जहाज से आये थे वे भी पकड़े गये... उन्हें मिंटगुमरी और मुल्तान की जेलों में भेज दिया गया.

अन्य गदर आंदोलनकारी जो कि ज्यादातर सिख मजदूर और सैनिक थे अपनी लड़ाई पंजाब से शुरू की. भारत में गदर के जवानों ने दूसरे क्रान्तिकारियों के साथ अच्छे रिश्ते कायम कर लिये. विष्णु गणेश पिंगले, करतार सिंह सराबा, रास बिहारी बोस, भाई परमानन्द, हाफिज अब्दुला आदि क्रान्तिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. अमृतसर को कन्ट्रोल सेन्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया. उसे गदर पार्टी ने बाद में लाहौर शिफ्ट कर दिया. 12 फरवरी 1915 को गदर पार्टी ने फैसला लिया कि विद्रोह और क्रान्ति का दिन 21 फरवरी 1915 होगा.

विद्रोह लाहौर की मियांमीर छावनी और फिरोजपुर छावनी से शुरू करने का फैसला लिया गया. मियांमीर उस समय अंग्रेजों की 9 डिवीजन में से एक डिवीजन का केंद्र था और पंजाब की सभी छावनियां इसी के तहत थीं. फिरोजपुर की छावनी में इतना हथियार व गोलाबारूद था, जिसके इस्तेमाल से अंग्रेज सेना को पराजित किया जा सकता था.

उस समय तक गोरी सेना यूरोप भेजी जा चुकी थी और छावनियों में ज्यादातर भारतीय मूल के सिपाही और अफसर ही मौजूद थे. पूरी रणनीति को मियां मीर, फिरोजपुर, मेरठ, लाहौर और दिल्ली की फौजी छावनियों में लागू किया गया था.

ये भी देखें- History of Kolkata: जब 'कलकत्ता' बसाने वाले Job Charnock को हुआ हिंदू लड़की से प्यार!

कोहाट, बन्नू और दीनापुर में भी विद्रोह उसी दिन होना था, इसे ही “गदर विद्रोह” कहा जाता है. करतार सिंह सराबा को फिरोजपुर को नियंत्रण में लेना था. पिंगले को मेरठ से दिल्ली की ओर बढ़ना था. डॉक्टर मथुरा सिंह को फ्रंटियर के क्षेत्रों में जाना था. निधान सिंह चुघ, गुरमुख सिंह और हरनाम सिंह को झेलम, रावलपिंडी और होती मर्दान जाना था. भाई परमानन्द जी को पेशावर का काम दिया गया था.

दुर्भाग्य से ब्रिटिश हुकूमत को अपने एजेंटों के जरिए क्रान्ति की खबर लग गई और ब्रिटिश प्रशासन ने तीव्रता दिखाते हुए बारूद के गोदामों पर कब्जा कर लिया. गदर पार्टी के बहुत से नेताओं को गिरफ्तार कर लाहौर में कैद कर लिया गया. 82 गदर नेताओं के ऊपर मुकदमा चला जिसे लाहौर कॉन्स्पिरेसी केस कहा गया. 17 गदर सदस्यों को भगोड़ा घोषित किया गया.

जापान में रहकर छेड़ी भारत की आजादी की मुहिम

इसके बाद, रास बिहारी बोस ने 12 मई, 1915 को कलकत्ता छोड़ दिया. वे रवींद्रनाथ टैगोर के दूर के रिश्तेदार राजा पी.एन.टी. बनकर जापान गए. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि रवींद्रनाथ टैगोर को इसकी जानकारी थी. रास बिहारी 22 मई, 1915 को सिंगापुर और जून में टोक्यो पहुंचे. 1915 और 1918 के बीच रास बिहारी लगभग भगोड़े की तरह रहे. उन्होंने 17 बार अपनी जगह बदली. इस दौरान उनकी मुलाकात ग़दर पार्टी के हेराम्बलाल गुप्ता और भगवान सिंह से हुई.

पहले विश्व युद्ध में जापान ब्रिटेन का सहयोगी था और उसने रास बिहारी और हेराम्बलाल को जापान से प्रत्यर्पित करने की कोशिश की. हेराम्बलाल अमेरिका भाग गए और रास बिहारी ने जापानी नागरिक बनकर अपनी लुका-छिपी के खेल को खत्म किया.

उन्होंने सोमा परिवार की बेटी तोसिको से शादी की, जो रास बिहारी को लेकर सहानुभूति रखते थे.. दंपति के दो बच्चे थे, एक लड़का, मसाहिद और एक लड़की, टेटकू. टोसिको का मार्च 1928 में 28 साल की उम्र में निधन हो गया.

रास बिहारी बोस ने जापानी भाषा सीखी और पत्रकार और लेखक बन गए. उन्होंने कई सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया और भारत के नजरिए को समझाते हुए जापानी भाषा में कई किताबें लिखीं.

रास बिहारी बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया

28 मार्च 1942 को टोक्यो में आयोजित एक सम्मेलन के बाद, इंडियन इंडिपेंडेंस लीग बनाने का फैसला लिया गया. कुछ दिनों के बाद सुभाष चंद्र बोस को इसका अध्यक्ष बनाने का फैसला हुआ. मलाया और बर्मा में जापानियों द्वारा पकड़े गए भारतीय कैदियों को भारतीय स्वतंत्रता लीग और इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

कैप्टन मोहन सिंह और सरदार प्रीतम सिंह के साथ रास बिहारी की कोशिशों से ही 1 सितंबर 1942 को इंडियन नेशनल आर्मी अस्तित्व में आई. इसे आजाद हिंद फौज के नाम से भी जाना गया.

रास बिहारी बोस का निधन और जापानी सरकार द्वारा दिया गया सम्मान

21 जनवरी 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति से पहले रास बिहारी बोस की टोक्यो में मृत्यु हो गई थी. जापानी सरकार ने उन्हें एक विदेशी को दी गई सर्वोच्च उपाधि - द सेकेंड ऑर्डर ऑफ मेरिट ऑफ द राइजिंग सन से सम्मानित किया. लेकिन जापान के सम्राट ने उनके निधन पर जो सम्मान दिया वह और भी मार्मिक है.

इंपीरियल कोच को भारतीय दिग्गज क्रांतिकारी के शव को ले जाने के लिए भेजा गया था लेकिन साल 2013 में इसी क्रांतिकारी की अस्थियां 70 साल बाद जापान से भारत लाई गईं. उस वक़्त न भारत सरकार ने इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई, न ही नेशनल मीडिया में किसी ने इस ख़बर को तवज्जो दी. पश्चिम बंगाल के चंदननगर के मेयर जब जापान से उनकी अस्थियां लेकर भारत पहुंचे, तो इसकी ख़बर न तो राज्य के सीएम और न ही देश के पीएम को थी.

चलते चलते आइए आज की दूसरी अहम घटनाओं को भी जान लेते हैं

1659 - दारा शिकोह (Dara Shikoh) को औरंगजेब (Aurangzeb) के आदेश के बाद कत्ल किया गया.

1806 - न्यूयॉर्क के दूसरे डेली न्यूज पेपर ‘डेली एडवर्टाइजर’ (The Daily Advertiser) को आखिरी बार प्रकाशित किया गया.

1903 - हिन्दी जगत् के प्रमुख साहित्यकार भगवतीचरण वर्मा (Bhagwati Charan Verma) का जन्म हुआ.

1559 - अकबर के बेटे व मुग़ल वंश के शासक जहांगीर (Akbar Son Jahangir) यानी सलीम का जन्म हुआ.

ADVERTISEMENT

अप नेक्स्ट

Rash Bihari Bose: रास बिहारी ने Subhash Chandra Bose को बनाकर दी आजाद हिंद फौज | Jharokha 30 Aug

Rash Bihari Bose: रास बिहारी ने Subhash Chandra Bose को बनाकर दी आजाद हिंद फौज | Jharokha 30 Aug

History 05th July: दुनिया के सामने आई पहली 'Bikini', BBC ने शुरू किया था पहला News Bulletin; जानें इतिहास

History 05th July: दुनिया के सामने आई पहली 'Bikini', BBC ने शुरू किया था पहला News Bulletin; जानें इतिहास

History 4 July: भारत और अमेरिका की आजादी से जुड़ा है आज का महत्वपूर्ण दिन, विवेकानंद से भी है कनेक्शन

History 4 July: भारत और अमेरिका की आजादी से जुड़ा है आज का महत्वपूर्ण दिन, विवेकानंद से भी है कनेक्शन

Hathras Stampede: हाथरस के सत्संग की तरह भगदड़ मचे तो कैसे बचाएं जान? ये टिप्स आएंगे काम

Hathras Stampede: हाथरस के सत्संग की तरह भगदड़ मचे तो कैसे बचाएं जान? ये टिप्स आएंगे काम

History 3 July: 'गरीबों के बैंक' से जुड़ा है आज का बेहद रोचक इतिहास

History 3 July: 'गरीबों के बैंक' से जुड़ा है आज का बेहद रोचक इतिहास

History: आज धरती के भगवान 'डॉक्टर्स' को सम्मानित करने का दिन, देखें इतिहास

History: आज धरती के भगवान 'डॉक्टर्स' को सम्मानित करने का दिन, देखें इतिहास

ADVERTISEMENT

editorji-whatsApp

और वीडियो

History 30 June: 450 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर्स, Social Media से है आज के इतिहास का कनेक्शन

History 30 June: 450 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर्स, Social Media से है आज के इतिहास का कनेक्शन

History 29th June: आज मनाया जाता है राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस, जानें Apple के पहले iPhone की कहानी

History 29th June: आज मनाया जाता है राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस, जानें Apple के पहले iPhone की कहानी

History 28th June: आज ही के दिन भड़की थी पहले विश्व युद्ध की चिंगारी, जानें इतिहास

History 28th June: आज ही के दिन भड़की थी पहले विश्व युद्ध की चिंगारी, जानें इतिहास

History 27th June: चॉकलेट वेंडिंग मशीन को देखकर आया था ATM मशीन बनाने का ख्याल, जानें आज का रोचक इतिहास

History 27th June: चॉकलेट वेंडिंग मशीन को देखकर आया था ATM मशीन बनाने का ख्याल, जानें आज का रोचक इतिहास

History 26th June: हैरी पॉटर से लेकर रोजाना इस्तेमाल होने वाले टूथब्रश तक जानें आज का रोचक इतिहास

History 26th June: हैरी पॉटर से लेकर रोजाना इस्तेमाल होने वाले टूथब्रश तक जानें आज का रोचक इतिहास

History 25th June: 25 जून साल 1975... जिस दिन लिखी गई 'आपातकाल' की पटकथा

History 25th June: 25 जून साल 1975... जिस दिन लिखी गई 'आपातकाल' की पटकथा

History 24th June: युद्ध मैदान में शहीद हुई थीं रानी दुर्गावती, Test में बना भारत का दूसरा सबसे कम स्कोर

History 24th June: युद्ध मैदान में शहीद हुई थीं रानी दुर्गावती, Test में बना भारत का दूसरा सबसे कम स्कोर

History 23th June: जब एयर इंडिया के विमान में रखे बम ने ली 329 लोगों की जान, देखें इतिहास

History 23th June: जब एयर इंडिया के विमान में रखे बम ने ली 329 लोगों की जान, देखें इतिहास

UGC-NET एग्जाम में गड़बड़ी को देखने वाली 'I4C' आंख' को जानते हैं आप?

UGC-NET एग्जाम में गड़बड़ी को देखने वाली 'I4C' आंख' को जानते हैं आप?

गर्लफ्रेंड सफल, पर खुद पास नहीं कर पाया NEET...अतुल वत्स्य ऐसे बना सॉल्वर गैंग का सरगना

गर्लफ्रेंड सफल, पर खुद पास नहीं कर पाया NEET...अतुल वत्स्य ऐसे बना सॉल्वर गैंग का सरगना

Editorji Technologies Pvt. Ltd. © 2022 All Rights Reserved.