Neerja Bhanot Death Anniversary : नीरजा भनोट, भारत की वह महिला हैं जिनकी हत्या पर पाकिस्तान भी रोया था... नीरजा भनोट (Neerja Bhanot) पाकिस्तान के विमान पैन ऍम 73 की इंडियन पर्सर थीं. 28 साल पहले 5 सितंबर, 1986 को आतंकियों ने भारत से न्यूयॉर्क जाते हुए इस विमान को पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर हाईजैक कर लिया था. इस प्लेन में लगभग 400 लोग सवार थे. इसमें से कई बच्चे भी थे. इन्हीं यात्रियों को बचाते हुए नीरजा आतंकियों की गोली का शिकार हुईं. इस लेख में हम नीरजा भनोट के साथ घटी आतंकी घटना का जिक्र करेंगे और जानेंगे Pan Am Flight 73 के बारे में जो 5 सितंबर को ही हाईजैक हुई थी...
5 सितंबर 1986 को उड़ी थी Pan Am Flight 73 फ्लाइट
5 सितंबर 1986 को आतंकियों की एक टोली बॉम्बे से आने वाली फ्लाइट का कराची (Karachi International Airport) में इंतजार कर रहा था... इस फ्लाइट को कराची से होते हुए अमेरिका जाना था. भारत में ये टीचर्स डे (Teachers Day) का दिन था... पैन अमेरिकन (पैन एम) फ्लाइट में 23 साल की नीरजा भनोट, 12 फ्लाइट अटेंडेंट और 379 पैसेंजर्स के साथ नीरजा के शहर बॉम्बे से निकले थे... यह पहली बार था जब बॉम्बे-कराची-फ्रैंकफर्ट-न्यू यॉर्क रूट पर पैन एम फ्लाइट अपने नए नए ट्रेन किए गए केबिन क्रू को लेकर उड़ा था. स्कॉटिश ऑरफेनेज हाई स्कूल और सैंट जेवियर कॉलेज बॉम्बे (St. Xavier's College, Mumbai) से पढ़ाई करने वाली नीरजा सबकी इंचार्ज थीं. उन्हें 7 सितंबर तक अपने लौटने का इंतजार था ताकि वह अपना 24वां जन्मदिन अपनों के बाच मना सकें... लेकिन तकदीर ने उनके हिस्से में कुछ और ही लिख डाला था...
सूरज की रोशनी कराची एयरपोर्ट पर हल्की हल्की पड़ने लगी थी... इसी वक्त पैन एम 747 जंबो की हवाईअड्डे पर लैंडिंग हुई. घड़ी में सुबह के 6 बज रहे थे. पैसेंजर्स ने एयरक्राफ्ट में बोर्डिंग शुरू कर दी थी. यात्री उस घटना से अंजान थे जो अगले कुछ घंटों बाद उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देने वाली थी... अगले चंद लम्हों बाद जो हुआ, उसे दुनिया Pan Am Flight 73 हाईजैक के नाम से जानती है.
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आज के दिन का संबंध बॉम्बे से न्यू यॉर्क की उस फ्लाइट से है जिसे कराची में हाईजैक करने की कोशिश की गई.... और इसी फ्लाइट में क्रू मेंबर नीरजा भनोट ने मुसाफिरों को बचाने के लिए खुद को कुर्बान कर दिया.
एयरपोर्ट सिक्योरिटी व्हीकल से आए थे आतंकी
पैसेंजर्स जब फ्लाइट में चढ़ रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार वैन एयरक्राफ्ट के पास आती है.... इस वैन को इस तरह से मॉडिफाई किया गया था ताकि ये कोई एयरपोर्ट सिक्योरिटी व्हीकल लगे. इस वैन में से चार आतंकी बाहर आते हैं... कराची एयरपोर्ट सिक्योरिटी गार्ड की वर्दी में ये चारों एयरक्राफ्ट की सीढ़ियां चढ़ जाते हैं... इन सभी के पास असॉल्ट राइफल, पिस्टल, हैंड ग्रेनेड थे और ऐसे बेल्ट भी थे जो जिनपर बारूद लगा हुआ था...
हथियारबंद आतंकियों को सीढ़ियां चढ़ते देख नीरजा भनोट ने तुरंत एक ऐसा काम किया जिसने इस पूरे खेल को पलट दिया... नीरजा ने इंटरकॉम पर पायलट और उसके क्रू को स्पेशल कोड में सब बता दिया... नतीजा ये हुआ कि आतंकियों के कॉकपिट में पहुंचने से पहले ही नीरजा के तुरंत ऐक्शन लेने और प्रेजेंस ऑफ माइंड की वजह से पायलट और उनके फ्लाइंग क्रू कॉकपिट में ही मौजूद इमरजेंसी गेट से निकलने में कायमाब रहे.
अबू निदाल संगठन ने दिया था कार्रवाई को अंजाम
पैन एम फ्लाइट 73 को कराची, फ्रैंकफर्ट में रुकना था. लेकिन 5 सितंबर, 1986 को अबू निदाल संगठन (Abu Nidal Organization) के चार हथियारबंद फिलीस्तीनी आतंकियों ने कराची में बोइंग 747-121 को हाईजैक करने की कोशिश की. आतंकियों का मकसद था साइप्रस और इजरायल की जेलों में कैद फलीस्तीनी कैदियों को हाईजैक प्लेन के दम पर छुड़ाना.
हाईजैक करने के दौरान भारत, अमेरिका, पाकिस्तान और मैक्सिको के नागरिकों सहित 51 यात्री या तो मारे गए या घायल हुए. सभी किडनैपर्स को पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया और मौत की सजा सुनाई गई. हालांकि, बाद में सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. फ्लाइट में हेड अटेंडेंट नीरजा भनोट की गोली मारकर हत्या कर दी गई और मरणोपरांत उन्हें पाकिस्तान से सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, तमगा-ए-पाकिस्तान (Tamgha E Pakistan) और साथ ही यात्रियों को बचाने के उनकी कोशिशों के लिए भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
कराची पहुंचते ही प्लेन में दाखिल हो गए थे आतंकी
पैन एम फ्लाइट 73 मुंबई में शुरू हुई थी और कराची हवाई अड्डे पर इसे एक निर्धारित स्टॉप के लिए सुबह 4:30 बजे रुकना था. कराची में कुल 109 यात्री उतरे. कराची से नए यात्रियों की पहली बस विमान तक पहुंची ही थी, लेकिन तभी आतंकी इसमें दाखिल हो गए.
पाकिस्तान एयरपोर्ट सिक्योरिटी फोर्स की आसमानी रंग की वर्दी पहने आतंकी सायरन और चमकती रोशनी वाली वैन में सवार होकर विमान तक पहुंचे... वे रैंप पर पहुंचे और हवा में गोलियां चलाईं. एक आतंकी पाकिस्तानी सलवार कमीज पहने और ग्रेनेड से भरा एक ब्रीफकेस ले गया. इस समय विमान के बाहर भी गोलियां चलाई गईं. इस फायरिंग में पास के एक विमान में काम कर रहे कुवैत एयरलाइंस के दो कर्मचारी मारे गए थे. आतंकियों ने एक फ्लाइट अटेंडेंट के पैरों पर गोलियां चलाईं जिससे उसे दरवाजा बंद करना पड़ा. लेकिन नीरजा भनोट की फुर्ती से पायलट बाहर आ चुके थे और अब आतंकियों के आगे चुनौती थी कि वे किसके सहारे प्लेन को उड़ाएं?
4 आतंकी थे ऑपरेशन में शामिल
इन चार आतंकियों की बात में पहचान जायद हसन अब्द अल लतीफ सफरीनी, जमाल सईद अब्दुल रहीम, मुहम्मद अब्दुल्ला खलील हुसैन अर रहायल और मुहम्मद अल मुनव्वर के तौर पर हुई. पाकिस्तानी अथॉरिटीज ने कुछ दूसरे साथियों की भी पहचान की और उन्हें घटना के एक हफ्ते बाद गिरफ्तार किया...
विमान पर नियंत्रण हासिल करने के कुछ ही समय के बाद, आतंकियों के आका सफ़रीनी ने महसूस किया कि कॉकपिट के सदस्य अब वहां नहीं है... इसके बाद उसे अधिकारियों से बातचीत के लिए मजबूर होना पड़ा. फर्स्ट और बिजनेस क्लास के यात्रियों को विमान के पिछले हिस्से की ओर जाने का आदेश दिया गया. उसी समय, विमान के पीछे के यात्रियों को आगे बढ़ने का आदेश दिया गया. प्लेन लगभग भर चुका था, इसलिए यात्री गैलरी और डोर एग्जिट में बैठ गए.
लगभग 10:00 बजे, सफ़ारीनी विमान से गुजरा और केन्या में जन्मे भारतीय रिएल्टार राजेश कुमार की सीट पर आया. 29 साल के राजेश हंटिंगटन बीच कैलिफ़ोर्निया के निवासी थे. राजेश को हाल में अमेरिकी नागरिकता मिली थी.. सफ़ारीनी ने राजेश से कहा कि वह एयरक्राफ्ट में गेट पर आ जाए और घुटनों के बल बैठ जाए...राजेश के दोनों हाथ अब सिर के पीछे थे. सफ़ारीनी ने अधिकारियों के साथ बातचीत की, आतंकवादियों ने पाक सरकार को पायलट देने का हुक्म दिया और कहा कि अगर पायलट नहीं दिया तो वे यात्रियों को मारना शुरू कर देंगे.
पाकिस्तानी सरकार ने उनकी मांगों को टालना शुरू किया क्योंकि इससे उन आतंकियों पर नियंत्रण पाने में ज्यादा मिल जाता. इसके अलावा अगर वे पायलट दे देते तो आतंकी अपने हिसाब से विमान को कहीं और ले जाते... खासतौर से पैन एम के पाकिस्तान ऑपरेशन प्रमुख विराफ दरोगा से कहा कि अगर 30 मिनट के अंदर पायलटों को प्लेन में नहीं भेजा गया तो राजेश को गोली मार दी जाएगी.
केन्या में जन्मे भारतीय मूल के राजेश कुमार को गोली मारी
जब आतंकियों ने देखा कि 17 घंटे बाद भी पाक सरकार उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई या आश्वासन नहीं दे रहा है, तो वे भड़क उठे... कुछ ही देर बाद सफरीनी की अधिकारियों से बहस हुई तो वह होश खो बैठा और उसने राजेश को गोली मार दी. इसके बाद सफरीनी ने राजेश को दरवाज़े के बाहर ज़मीन पर फेंक दिया. पाकिस्तानी अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार राजेश की सांस तब भी चल रही थी, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में एम्बुलेंस में ही उनकी मौत हो गई.
सफ़ारीनी अब अंदर आया और फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट, सनशाइन वेशुवाला, माधवी बहुगुणा से कहा कि वे पासपोर्ट इकट्ठा करना शुरू करें. फ्लाइट अटेंडेंट्, ने ऐसा करना शुरू किया... नीरजा भनोट को अंदेशा था कि अमेरिकी पासपोर्ट धारकों को खासतौर पर निशाना बनाया जा सकता है, अतः उसने कुछ अमेरिकन पासपोर्ट्स को एक सीट के नीचे छुपा दिया और कुछ को कूड़ेदान में
माइकल जॉन थेक्सटन को आगे बुलाया गया
पासपोर्ट इकट्ठा होने के बाद, भनोट इंटरकॉम पर आई और ब्रिटिश नागरिक माइकल जॉन थेक्सटन को सामने आने के लिए कहा. थेक्सटन पाकिस्तान में छुट्टियां बिताने आए थे और वापस ब्रिटेन जाने के लिए कराची में उड़ान में सवार हुए थे. दक्षिण-पश्चिम लंदन के केव जिले के 27 साल के स्कूल शिक्षक और अकाउंटिंग लेक्चरर पर्दे को पार करते हुए विमान के अगले हिस्से में पहुंचे जहां उनका सामना सफरीनी से हुआ. सफरीनी के पास उसका पासपोर्ट था. उसने थेक्सटॉन से पूछा कि कहीं वह सैनिक तो नहीं और कहीं उसके पास बंदूक तो नहीं. थेक्सटॉन ने नहीं में जवाब दिया. तब उसने थेक्सटॉन को घुटनों के बल बैठने को कहा और अधिकारियों से बोला कि अगर कोई विमान के नज़दीक आया तो वह एक और यात्री को मार डालेगा. सफरीनी थेक्सटॉन के पास गया और पूछा कि क्या उसे पानी चाहिए. थेक्सटॉन ने कहा - हाँ. सफरीनि ने यह भी पूछा कि क्या वह शादीशुदा है और दावा किया कि उसे हिंसा और ये सब मार काट बिलकुल पसंद नहीं है लेकिन अमेरिका और इजराइल ने उनके देश पर कब्ज़ा कर लिया है और वे ढंग की ज़िन्दगी नहीं जी पा रहे हैं. एक किडनैपर ने थेक्स्टन को फिर से सीट पर बैठने को कहा.
अपहरण का सिलसिला रात तक जारी रहा...रातभर ये सब चलता रहा... गतिरोध के दौरान, डिक मेलहार्ट दरवाजे के पास खड़े थे. लगभग 9 बजे पावर यूनिट बंद हो गई... लाइट बुझ गई और इमर्जेंसी लाइट ऑन हो गई... आगे के यात्रियों को पीछे जानें और पीछे वाले यात्रियों को आगे आने को कहा गया.... चूंकि गैलरी पहले से ही यात्रियों से भरी हुई थी, इसलिए खड़े यात्री नीचे बैठ गए.
आतंकी हर पैसेंजर को मार देना चाहते थे
विमान में अंधेरा होने के बाद एल1 दरवाजे पर एक किडनैपर ने प्रार्थना के शब्द बुदबुदाए... अब उसका अगला कदम दूसरे हाईजैकर की बेल्ट पर लगे एक्सप्लोसिव को शूट करने का था... उसका इरादा सभी यात्रियों के साथ खुद को भी खत्म करने का था... हालांकि निशाना लगने के बाद छोटा ही विस्फोट हुआ. अपहर्ताओं ने यात्रियों पर हथियारों से हमला किया और ग्रेनेड फेंकने की भी कोशिश की... लाइट न होने से कई ग्रेनेड के पिन वो सही से खींच नहीं सके और सिर्फ छोटे ही विस्फोट हुए... गोलियों ने ही सबसे अधिक नुकसान किया.
नीरजा ने खोल दिया था इमर्जेंसी गेट
नीरजा ने इस बीच इमर्जेंसी गेट खोल दिया... और कई यात्रियों को वहां से बाहर निकाला. इसी वक्त एक आतंकी की नजर नीरजा पर गई, ये वो वक्त था जब नीरजा तीन बच्चों को बाहर भेज रही थी. आतंकी ने बच्चों पर गोलियां चलाईं लेकिन नीरजा आगे आ गई और गोलियां अपने सीने पर झेलीं. नीरजा चाहतीं तो खुद को पहले बचा सकती थीं... लेकिन वहां उन्होंने फर्ज के लिए खुद को कुर्बान कर दिया...
पाकिस्तानी सेना ने एसएसजी कमांडो को स्पेशल कार्रवाई के लिए भेजा और पाकिस्तान रेंजर्स को हाई अलर्ट पर रखा गया. आतंकियों पर कार्रवाई हुई... फ्लाइट में कुल 14 देशों के नागरिक सवार थे... फ्लाइट में भारत के 27 फीसदी नागरिक थे. और जो मारे गए उनमें से 24 फीसदी...
नीरजा की स्मृति में मुंबई के घाटकोपर में एक चौराहे का नामकरण किया गया. 90 के दशक में इसका उद्घाटन अमिताभ बच्चन ने किया था. 2016 में बॉलीवुड में नीरजा फिल्म बनी जो इसी सच्ची घटना पर आधारित थी.
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प्लेन के L4 गेट से नीरजा ने इंटरकॉम के जरिए पायलटों को अलर्ट किया, राजेश कुमार की बॉडी को आतंकियों ने L1 से बाहर फेंका था... L1 और L2 से आतंकी प्लेन में घुसे थे. पायलट और फ्लाइट इंजीनियर कॉकपिट के ऊपर बने हैच से भागे थे... R4 के स्लाइड से मैसे, दिलीप, सनशाइन और सीरीन जैसे कुछ खुशकिस्मत पैसेंजर्स निकलने में कामयाब रहे थे.... R3 और R2 से नुपूर और माधवी विंग के सहारे बाहर आए थे...
चलते चलते आज की दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1798 - फ्रांस में अनिवार्य सैन्य सेवा कानून अस्तित्व में आया.
1839 - चीन में पहला अफ़ीम युद्ध (First Opium War शुरू हुआ.
1888 - भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan) का जन्म हुआ.
1997 - समाज सेविका मदर टेरेसा (Mother Teresa) का निधन हुआ.