Tripura violence: त्रिपुरा में बीते दिनों अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार ने वकीलों, पत्रकारों और एक्टिविस्टों समेत 102 लोगों पर UAPA के सख्त कानूनों के तहत केस दर्ज किया है. UAPA के गलत इस्तेमाल का ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. टॉप कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर UAPA के तहत दर्ज किए गए ऐसे सभी मामलों को चुनौती दी गई है, और उन्हें जल्द से जल्द रद्द करने की मांग की गई है. चीफ जस्टिस इस मामले की जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गए हैं.
हालांकि इससे पहले वकील प्रशांत भूषण से CJI एन वी रमना ने कहा कि, आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते? इस पर भूषण ने कहा कि, हमने इस केस में UAPA कानून को भी चुनौती दी है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
बता दें कि, त्रिपुरा में हिंसा थमने के बाद वहां के हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने गई टीमों से लेकर सोशल मीडिया पर राज्य सरकार से सवाल करने वाली पोस्टों के खिलाफ एक्शन लेते हुए त्रिपुरा पुलिस ने इनपर सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए UAPA के तहत केस दर्द किया है. जिन लोगों पर केस दर्ज हुए हैं उनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं. राज्य पुलिस ने ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को इन लोगों के अकाउंट को फ्रीज करने और खाताधारकों की सारी जानकारी देने का भी नोटिस दिया है.
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