कृषि सुधार और किसानों को सशक्त करने का दावा करने वाले 3 बिलों पर मोदी सरकार को किसानों और विपक्ष के साथ साथ सहयोगी दलों का भी विरोध झेलना पड़ रहा है. विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है, हालांकि सरकार का कहना है कि ये बिल ऐतिहासिक हैं और इनसे देश के किसानों की किस्मत बदल जाएगी.
आइए जानते हैं क्या हैं ये बिल, इनका किसान और विपक्ष क्यों कर रहे हैं विरोध, तो सरकार क्या कह रही है.
किसान बिल में क्या ?
सब हेडर - कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक
--- किसना अपनी उपज कहीं भी बेच सकेंगे
--- बेहतर दाम मिलेंगे
--- ऑनलाइन बिक्री होगी
……………
सब हेडर - मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान समझौता बिल
--- किसानों की आय बढ़ेगी
--- बिचौलिए खत्म होंगे
--- आपूर्ति चेन तैयार होगा
.................................
सब हेडर- आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
--- अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू-प्याज अनिवार्य वस्तु नहीं रहेंगी
--- इनका भंडारण किया जा सकेगा
--- कृषि में विदेशी निवेश आकर्षित होगा
……………………
हेडर - किसान क्यों कर रहे विरोध और सरकार क्या कह रही?
विरोधी
--- कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा, निजी कंपनियों को किसानों के शोषण का मौका मिल जाएगा
सरकार
--- किसानों को मंडी का रेट मिलेगा जो MSP से अधिक होता है, किसानों की आय बढ़ेगी
........
विरोधी
--- नए कानून से किसान मजदूर बन जाएगा, मंडियां खत्म हो जाएंगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म होगा
सरकार
--- MSP खत्म नहीं होगा, किसान और सशक्त होगा
..............
विरोधी
--- नए विधेयक से बाजार समितियों के निजीकरण का रास्ता होगा साफ
सरकार
--- किसानों को भ्रमित किया जा रहा, ये विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच
.....................
विरोधी
--- आवश्यक वस्तु अधिनियम बिल में संशोधन से कारोबारियों और बड़े आढ़तियों के लिए जमाखोरी का रास्ता खुलेगा, कीमतें तय करने का भी कोई मेकैनिज्म नहीं
सरकार
--- जल्दी खराब होने वाली उपज की बंपर पैदावार होने पर अब किसानों को नुकसान नहीं उठाना होगा, जब सरकार को जरूरत महसूस होगी तो वो फिर से पुरानी व्यवस्था लागू कर देगी
--- बिचौलिए खत्म होंगे, किसानों को फसल कहीं भी बेचने की आजादी होगी