हाइलाइट्स

  • 15 नवंबर 1875 को हुआ था बिरसा मुंडा का जन्म
  • 24 दिसंबर 1899 को मिशन उलगुलान को अंजाम दिया
  • मृत्यु के वक्त बिरसा मुंडा सिर्फ 25 साल के थे

लेटेस्ट खबर

Uttarkashi Tunnel: श्रमिकों के परिजनों ने सफल रेस्क्यू के बाद मनाई दिवाली, कही ये बात...

Uttarkashi Tunnel: श्रमिकों के परिजनों ने सफल रेस्क्यू के बाद मनाई दिवाली, कही ये बात...

Ranbir Kapoor की फिल्म 'Animal' ने एडवांस बुकिंग में कमाए करीब 9 करोड़ रुपये

Ranbir Kapoor की फिल्म 'Animal' ने एडवांस बुकिंग में कमाए करीब 9 करोड़ रुपये

आज का राशिफल: जानें किन राशी वालों के भाग्य में क्या? किसे रहना होगा सावधान और किन्हें मिलेगी सफलता?

आज का राशिफल: जानें किन राशी वालों के भाग्य में क्या? किसे रहना होगा सावधान और किन्हें मिलेगी सफलता?

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: श्रमिकों के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पीएम मोदी ने फोन पर की बात   

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: श्रमिकों के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पीएम मोदी ने फोन पर की बात   

RRC Apprentice Notification 2023: गोरखपुर रेलवे में निकली 1104 पदों पर निकली भर्ती, करे अप्लाई.

RRC Apprentice Notification 2023: गोरखपुर रेलवे में निकली 1104 पदों पर निकली भर्ती, करे अप्लाई.

Today in History, 9th June...: 25 साल की उम्र में बिरसा कैसे बन गए 'भगवान'? आज है शहादत का दिन

स्वतंत्रता सेनाना बिरसा मुंडा ( Birsa Munda ) की क्या है कहानी? बिरसा मुंडा से अंग्रेज क्यों नाराज रहा करते थे? आइए जानते हैं महान शख्सियत बिरसा मुंडा के बारे में...

Today in History, 9th June...: 25 साल की उम्र में बिरसा कैसे बन गए 'भगवान'? आज है शहादत का दिन

बरसात की शुरुआत थी... दो आदिवासी दोस्त किसी काम से जंगल में थे... अचानक तूफान आया और एक लड़के पर बिजली गिरी... लड़के का हुलिया अब काला नहीं बल्कि लाल और सफेद हो चुका था... बिजली गिरने के बाद भी वह लड़का जिंदा रहा... उसके मुंह से शब्द निकले- भगवान का संदेश मिल गया... ये कोई मामूली लड़का नहीं था... बल्कि आगे चलकर इसे भगवान बिरसा के नाम से जाना गया...

आज 9 जून का संबंध इन्हीं बिरसा मुंडा (Birsa Munda) से है. आज झरोखा में जानेंगे इन्हीं के बारे में...

ये भी देखें- 6 June...: आज ही हुआ था देश का सबसे बड़ा रेल हादसा, नदी में समा गए थे ट्रेन के 7 डिब्बे

क्यों मिला बिरसा नाम? || How he got his name Birsa

बात 1875 की है जब रांची अपनी प्राकृतिक संपदाओं के लिए दुनिया में मशहूर था और यहां के जंगल और जमीन पर अंग्रेजों के साथ साथ कई जमीदारों की भी नजरें थी. तब 15 नवंबर 1875 को रांची से 60 किलोमीटर दूर उलिहातु गांव में जन्म हुआ था बिरसा मुंडा का... बालक को बिरसा ( Birsa ) नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि उस दिन बृहस्पतिवार का दिन था...

जंगल में जब एक दिन बच्चे पर बिजली गिरी तब वह घर लौटा... गांव वालों को लगा जैसे बच्चे में कोई दैवीय शक्ति आ चुकी हो... मुंडा जाति की एक महिला अपना बीमार बच्चा बिरसा के पास लाती है... कहते हैं, बिरसा के सिर पर हाथ रखने भर से बच्चा हंसने खेलने लगा... 8 दिन में एक बार खाना खाने वाले बिरसा की चर्चा सैंकड़ों किलोमीटर दूर तक पहुंचने लगी...

बिरसा ने अलग पंथ बना दिया || Birsa created a separate sect

कहते हैं कि वह अपने नुस्खों से चेचक को ठीक कर दिया करते थे... बिरसा पहले रोग दूर करने वाले के रूप में मशहूर हुए... और फिर लोग उनका उपदेश सुनने के लिए इकट्ठा होने लगे... वह हिंदू धर्म की कुरीतियों के भी खिलाफ थे... और ईसाई मिशनरियों के क्रिया कलापों के भी... बिरसा के अनुयायियों का एक अलग पंथ बन गया और वे उन्हें भगवान के तौर पर पूजने लगे. बिरसा के संदेश सुनकर लोग अब अपनी जमीन से ज्यादा प्यार करने लगे थे. जहां उनकी ख्याति बढ़ रही थी तो स्थानीय जंमीदार और मिशनरीज उनके दुश्मन भी बन रहे थे...

वे समझ चुके थे कि अगर समय रहते कुछ नहीं किया गया, तो सब हाथ से निकल जाएगा... ब्रिटिश अफसरों से सांठ गांठ करके एक रिपोर्ट तैयार की गई... इसमें बिरसा के कार्यकलापों और उपदेशों को संदेहास्पद बताया गया. तमाड़ क्षेत्र की रिपोर्ट में कहा गया कि बिरसा तमाम हथकंडों से लोगों को अपना अनुयायी बना रहा है जबकि सिंहभूम की रिपोर्ट में कहा गया कि वह आदिवासियों को ईसाई धर्म छोड़कर हिंदू बनने के लिए प्रेरित कर रहा है. वह जल्द जंगल अपने अधीन कर लेगा. उसका पंथ मानने वालों को ही जंगल में रहने की अनुमति दी जाएगी.

1897 को बिरसा जेल से रिहा हुए || Birsa was released from jail in 1897

जमींदारों की चाल कामयाब हो गई. सरकार ने बिरसा को बंदी बनाने का फैसला किया. डिप्टी कमिश्नर ने सैनिकों की टुकड़ी भेजी. लेकिन बिरसा घुटनों तक धोती, हाथ में तीर-धनुष लेकर अपने साथी आदिवासियों के साथ अंग्रेजों का काल बन गए. इस पराजय के बाद अंग्रेजों ने बिरसा पर सरकारी कार्य में बाधा डालने, अशांति फैलाने के मामले दर्ज किए. और फिर एक दिन रात के अंधेरे में बिरसा को चालाकी से बंदी बना लिया गया... कठोर कारावास के बाद 30 नवंबर 1897 को बिरसा जेल से रिहा हुए...

ये भी देखें- Today in History, 8th June 2022 : बॉम्बे टू लंदन थी भारत की पहली इंटरनेशनल फ्लाइट, किराया था- 1720 रुपये

बिरसा पर कार्रवाई के बाद जो मुंडा ईसाई बनने लगे थे, बिरसा ने उन्हें फिर से एकजुट करने की कोशिश की. मुंडाओं के पूर्वजों की स्मृति जगाने के लिए उन्होंने पवित्र यात्राएं की.. नवरतनगढ़ की मिट्टी और पानी लाई गई... चुटिया के मंदिर से तुलसी के पौधे, जगन्नाथपुर के मंदिर से चंदन... और डोमबारी पहाड़ को नया मुख्यालय बनाया गया.. 24 दिसंबर 1899 को मिशन उलगुलान को अंजाम दिया गया... रांची से चाईबासा तक के 400 वर्गमीटर के इलाके में पुलिस चौकियों, इसाई मिशनों और गोरे अफसरों के क्लबों पर तीरों की ताबड़तोड़ बारिश की गई.

सरबदा ईसाई मिशन का गोदाम जला दिया गया... खूंटी थाने में दो पुलिसवालों को घायल कर दिया गया... बिरसा और आदिवासियों के तीरों की मार के आगे मिशनरियों और अंग्रेजों के हौंसले धराशायी हो रहे थे. आखिर में हजारीबाग और कलकत्ता से सेना बुलाई गई.

8 जनवरी 1899 को हुआ अंग्रेज और मुंडाओं का संग्राम

डोम्बारी की पहाड़ी पर 8 जनवरी 1899 को भयंकर संग्राम हुआ. कमिश्नर फार्ब्स, डिप्टी कमिश्नर स्ट्रटफील्ड और कैप्टर रॉश के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना के सामने सीना तानकर खड़े थे 4 हजार मुंडा आदिवासी... इस हमले में स्टैट्समैन ने खबर 400 मुंडाओं के मारे जाने की छापी... कहते हैं कि जंग इतनी भीषण थी कि सैलरकब पहाड़ की मिट्टी में आज भी हम आदिवासियों के रक्त को सूंघ सकते हैं...

बिरसा यहां भी पकड़े नहीं जा सके तो उनपर 500 रुपये का इनाम घोषित कर दिया. इसपर भी निर्धन आदिवासी अपने कर्तव्य से डिगे नहीं... जंगल जंगल छान रही पुलिस ने आखिर में एक जगह विश्राम कर रहे बिरसा को पकड़ लिया.... बिरसा के 400 साथियों में से 17 जेल में ही दम तोड़ चुके थे... बिरसा को भयंकर यातनाएं दी गईं... 9 जून 1900 की सुबह बिरसा को खून की उल्टियां होने लगी और उनका निधन हो गया... मृत्यु का कारण 'एशियाटिक हैजा' कोबताया गया लेकिन ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों ने मुकदमे की कोई ठोस वजह न मिलने पर उन्हें जहर दे दिया था... मृत्यु के वक्त बिरसा मुंडा सिर्फ 25 साल के थे. 25 साल में वह भगवान का दर्जा पा चुके थे. जल जंगल और जमीन के लिए लड़कर कम उम्र में बेहद महान उपलब्धि पाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा को हमारा कोटि कोटि नमन्

चलते चलते आज की दूसरी अहम घटनाओं पर एक नजर डाल लेते हैं

  • 1964: जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ( Lal bahadur Shashtri) ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला।
  • 1752: फ्रांसीसी सेना ने त्रिचिनोपोली में ब्रिटिश के समक्ष आत्मसमर्पण किया
  • 1956: अफगानिस्तान में जबर्दस्त भूकंप से 400 लोगों की मौत।
  • 1960: चीन में तूफान से कम से कम 1,600 लोगों की मौत।

अप नेक्स्ट

Today in History, 9th June...: 25 साल की उम्र में बिरसा कैसे बन गए 'भगवान'? आज है शहादत का दिन

Today in History, 9th June...: 25 साल की उम्र में बिरसा कैसे बन गए 'भगवान'? आज है शहादत का दिन

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: श्रमिकों के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पीएम मोदी ने फोन पर की बात   

Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: श्रमिकों के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पीएम मोदी ने फोन पर की बात   

Uttarkashi Tunnel Collapse: मजदूरों के रेस्क्यू पर राहुल गांधी बोले, 'सभी जांबाजों को मेरा सलाम'

Uttarkashi Tunnel Collapse: मजदूरों के रेस्क्यू पर राहुल गांधी बोले, 'सभी जांबाजों को मेरा सलाम'

Uttarkashi Tunnel: 41 मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा, बांटी गई मिठाइयां, राष्ट्रपति-PM मोदी ने जताई खुशी

Uttarkashi Tunnel: 41 मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा, बांटी गई मिठाइयां, राष्ट्रपति-PM मोदी ने जताई खुशी

Uttarkashi Tunnel Collapse: टनल से निकले सभी मजदूरों को मिलेंगे 1-1 लाख रुपये, CM धामी का ऐलान

Uttarkashi Tunnel Collapse: टनल से निकले सभी मजदूरों को मिलेंगे 1-1 लाख रुपये, CM धामी का ऐलान

Uttarkashi Tunnel Rescue: 41 मजदूरों की सुरक्षित वापसी पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जताया आभार

Uttarkashi Tunnel Rescue: 41 मजदूरों की सुरक्षित वापसी पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जताया आभार

और वीडियो

Uttarkashi Rescue: 41 मजदूरों के बार आने पर पीएम मोदी बोले- 'मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल'

Uttarkashi Rescue: 41 मजदूरों के बार आने पर पीएम मोदी बोले- 'मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल'

Uttarkashi Tunnel Collapse: मजदूरों के बाहर आने पर स्थानीय लोगों ने बांटी मिठाइयां, खुशी का माहौल

Uttarkashi Tunnel Collapse: मजदूरों के बाहर आने पर स्थानीय लोगों ने बांटी मिठाइयां, खुशी का माहौल

Uttarkashi Tunnel Rescue: टनल से बाहर निकलते ही मजूदर का सीएम धामी ने किया माला पहनाकर स्वागत

Uttarkashi Tunnel Rescue: टनल से बाहर निकलते ही मजूदर का सीएम धामी ने किया माला पहनाकर स्वागत

Uttarkashi Tunnel Rescue: सिल्क्यारा टनल से बाहर निकलने लगे मजदूर, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

Uttarkashi Tunnel Rescue: सिल्क्यारा टनल से बाहर निकलने लगे मजदूर, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

Uttarkashi Tunnel Rescue: सिल्क्यारा टनल से कुछ ही मिनटों में बाहर निकलने लगेंगे मजदूर, अंदर पहुंची पाइप

Uttarkashi Tunnel Rescue: सिल्क्यारा टनल से कुछ ही मिनटों में बाहर निकलने लगेंगे मजदूर, अंदर पहुंची पाइप

23 बार फेल होने पर भी हार नहीं मानी, MP के 56 वर्षीय गार्ड ने हासिल की Msc की डिग्री

23 बार फेल होने पर भी हार नहीं मानी, MP के 56 वर्षीय गार्ड ने हासिल की Msc की डिग्री

Rat-Hole Mining: जानिए क्या है  रैट माइनिंग, जिसने बढ़ाई रेस्क्यू में सफलता की उम्मीद

Rat-Hole Mining: जानिए क्या है रैट माइनिंग, जिसने बढ़ाई रेस्क्यू में सफलता की उम्मीद

UP News: सिद्धार्थनगर में मुस्लिम MLA के दौरे के बाद मंदिर को गंगाजल से किया गया 'शुद्ध'

UP News: सिद्धार्थनगर में मुस्लिम MLA के दौरे के बाद मंदिर को गंगाजल से किया गया 'शुद्ध'

Uttarkashi Tunnel Rescue: करीब 3 घंटे बाद सिल्क्यारा टनल से रवाना हुए सीएम धामी, हालात का लिया जायजा

Uttarkashi Tunnel Rescue: करीब 3 घंटे बाद सिल्क्यारा टनल से रवाना हुए सीएम धामी, हालात का लिया जायजा

Video: बेंगलुरु से केरल जा रही बस में लगी आग, ड्राइवर और कंडक्टर ने कूदकर बचाई जान

Video: बेंगलुरु से केरल जा रही बस में लगी आग, ड्राइवर और कंडक्टर ने कूदकर बचाई जान

Editorji Technologies Pvt. Ltd. © 2022 All Rights Reserved.