BJP and RSS Structure : आप बार बार सुनते होंगे कि बीजेपी ( BJP Political Journey ) 2 सीटों से शुरू होकर 300 तक पहुंच गई, बात ये भी होती है कि 30 साल बाद अगर किसी ने राज्यसभा ( BJP Seats in Rajyasabha ) में 100 सीटें हासिल की, तो वह बीजेपी ही थी, 1984 के बाद अकेले दम पर सत्ता पाने वाला दल भी बीजेपी ही बना... लेकिन बीजेपी और आरएसएस काम कैसे करते हैं ( How BJP and RSS works ), एक कॉर्पोरेट हाउस की तरह काम करनेवाली जुगलबंदी है कैसी? हम आपको इस ढांचे को समझाएंगे...
कई बार ये दिखती नहीं है लेकिन जमीन पर मौजूद होती है.... कैसे ब्लू प्रिंट बनता है... हम आपको समझाएंगे कि कैसे कंक्रीट जैसे मजबूत दो संगठन क्यों हारकर भी जीत जाते हैं और दूसरे संगठन जीतकर भी हार जाते हैं....
बीजेपी और उसकी मातृ संगठन आरएसएस की संरचना ( BJP and RSS Structure ) और दोनों का तालमेल ऐसा है, मानों कोई कॉर्पोरेट सिस्टम हो...
भारतीय जनता पार्टी || Bharatiya Janata Party
बीजेपी का सांगठनिक ढांचा पार्टी के संविधान ( BJP Constitution ) पर आधारित है. यह एक कैडर बेस्ड पार्टी है और हिंदुत्व पर टिकी मातृ संगठन आएसएस की विचारधारा से संबंधित है. बीजेपी सांसदों और विधायकों के मामले में देश की सबसे बड़ी पार्टी है और सदस्यता के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा दल....
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लोकसभा सांसद- 301
देशभर में विधायक- 1379 (मार्च 2022 में)
पार्टी की सदस्य संख्या- 18 करोड़ के पार
बीजेपी का सांगठनिक ढांचा || BJP Organisational Structure
BJP IT सेल: बीजेपी का आईटी सेल पार्टी का सोशल मीडिया कैंपेन मैनेज करता है.
राष्ट्रीय स्तर
अध्यक्ष
अध्यक्ष, बीजेपी में सुप्रीम अथॉरिटी है. पार्टी अध्यक्ष का चयन एक चुनावी पद्दति से होता है. 2012 तक नियम था कि कोई भी योग्य शख्स राष्ट्रीय या राज्य का अध्यक्ष बन सकता है. बाद में इसमें बदलाव कर अधिकतम 2 टर्म तक सीमित कर दिया गया.
BJP National Executive
अध्यक्ष से नीचे नेशनल एग्जिक्युटिव है. इसमें सीनियर नेताओं का ग्रुप होता है जो देशभर से पार्टी अध्यक्ष के द्वारा चुने जाते हैं. यह पार्टी की हायर डिसिजन मेकिंग बॉडी है.
BJP National Council
National Council, पार्टी की हाइएस्ट पॉलिसी मेकिंग बॉडी है. पार्टी संविधान में किसी भी तरह का संशोधन, परिवर्तन यही बॉडी करती है.
BJP State level
पार्टी में कई स्टेट यूनिट भी हैं.
District Committee
जमीनी स्तर पर डिस्ट्रिक्ट कमिटी है. इसमें एक अध्यक्ष, छह उपाध्यक्ष, चार महासचिव और छह सचिव होते हैं. जिला समिति में दूसरे सदस्य भी होते हैं.
Mandal
बीजेपी की मंडल कमिटी में एक अध्यक्ष होता है. इसमें दो महासचिव और चार सचिव होते हैं.
यह तो हुई संगठनात्मक संरचना की बात लेकिन पार्टी में कई मोर्चे हैं जो अलग अलग स्तर पर संबंधित कार्य करते हैं
इनके नाम हैं-
किसान मोर्चा
महिला मोर्चा
अनुसूचित जाति मोर्चा
युवा मोर्चा
अनुसूचित जनजाति मोर्चा
ओबीसी मोर्चा
अल्पसंख्यक मोर्चा
लेकिन बीजेपी की ताकत उसकी सांगठनिक संरचना ही नहीं है!
कामयाबी की कहानी का सबसे मजबूत किरदार है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ...
1925 में केशव बालीरम हेडगेवार ने 27 सितंबर को विजयादशमी के दिन इस संगठन की शुरुआत की... तब इसे संघ के नाम से ही जाना गया...
1926 में तीन नामों Jaripatka Mandal, Bharat Uddharak Mandal, Hindu Swayamsevak Sangh और Rashtriya Swayamsevak Sangh चार नाम सुझाए गए. इसमें से Rashtriya Swayamsevak Sangh को चुना गया .
नागपुर के मोहितेवाडा ग्राउंड में हर रोज शाखा लगनी शुरू हुई... लाठी डंडे को शामिल किया गया... भगवा ध्वज को प्रणाम और मराठी-हिंदी में गीत गाए जाने लगे... पहले पद संचलन में सिर्फ 30 स्वयंसेवक जुटे थे.
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1980 में जनता पार्टी की सरकार की हार के बाद दल के भीतर से आवाज उठी कि पार्टी का कोई भी पूर्णकालिक सदस्य आरएसएस का मेंबर नहीं हो सकता. जनसंघ से मिलकर बनी जनता पार्टी में तब अटल-आडवाणी अड़ गए थे. उन्होंने संघ का साथ चुना... नतीजा, दोनों को जनता पार्टी से बाहर कर दिया गया. अब 1951 में बना जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी बन चुका था. 1980 में पार्टी का उदय हुआ...
1984 में जब बीजेपी ने अपना पहला संसदीय चुनाव लड़ा था, इसके एक साल बाद संघ ने अपनी स्थापना के 60 साल पूरे कर लिए थे
संघ-परिवार के अंतर्गत आने वाले संगठन:
बीजेपी के अलावा
विद्या भारती
भारतीय मजदूर संघ
भारतीय किसान संघ
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्
अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद
संस्कार भारती
सेवा भारती
भारत विकास परिषद्
विश्व हिंदू परिषद्
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
दधीचि देहदान समिति हैं.
आज बीजेपी और संघ, एक दूसरे के पूरक हैं. संघ जमीनी स्तर पर सीधे समाज के विभिन्न तबकों से जुड़कर कार्य करता है और बीजेपी राजनीतिक तौर पर मिशन में जुटी हुई है.
संघ, अपनी शाखाओं के जरिए हर जिले, ब्लॉक मंडल में ऐक्टिव हैं.
राजनीतिक दलों में जहां सदस्य बनने के लिए सदस्यता लेनी होती है, संघ में ऐसा कोई नियम नहीं है.
Vidya Bharati के अंतर्गत 12 हजार से ज्यादा सरस्वती शिशु मंदिर संचालित होते हैं. इन स्कूलों में 32 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. देश में किसी भी राजनीतिक दल के पास ऐसा ढांचा नहीं है, जिसमें आने वाली पीढ़ियों को उसकी उस माहौल में शिक्षा दी जाती हो, जो उस पार्टी के एजेंडे में हो.
वनवासी कल्याण समिति, मजदूर यूनियन, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे संगठनों के जरिए संघ बीजेपी के लिए जमीन तैयार करने का काम करता है.
सीधे तौर पर आरएसएस, बीजेपी की राजनीतिक पौध की सप्लाई चेन है...
बीजेपी में आरएएसएस की पृष्ठभूमि से आए नेताओं में
अटल-आडवाणी की जोड़ी- जनता पार्टी से जब इन दोनों को बाहर किया गया, तब वजह संघ की सदस्यता ही थी.
संघ पृष्ठभूमि के प्रमुख नेता
नरेंद्र मोदी- नरेंद्र मोदी खुद संघ कार्यकर्ता रहे हैं
राम माधव- माधव बीजेपी में संघ से ही आए थे और दोबारा चले गए
दिलीप घोष
कैलाश विजयवर्गीय
सुनील देवधर
राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, D.V. सदानंद गौड़ा, नरेंद्र सिंह तोमर, रविशंकर प्रसाद
आरएसएस के अंदर सबसे मजबूत चेहरा प्रचारक का होता है, खुद पीएम मोदी भी इस दायित्व पर रह चुके हैं.
अगर बात करें स्वयंसेवक की, तो स्वयंसेवक वह होता है, जो शाखा में शामिल होता है और संघ के जीवन दर्शन का पालन करता है. वहीं, संघ के आयोजित ट्रेनिंग कैंप में 4 कठोर लेवल को पार करने के बाद एक आरएसएस कार्यकर्ता तैयार होता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक की अहम भूमिका होती है. प्रचारक ही संघ की सबसे बड़ी ताकत होते हैं. ये संघ के साथ ही कई क्षेत्र में कार्य करते हैं. बीजेपी में भी वो संगठन मंत्री के रूप में कार्य करते हैं. इनका रुतबा मंत्रियों से भी ऊंचा होता है. मंत्री भी इनके आगे-पीछे लगे रहते हैं. मगर, प्रचारक बनने के लिए कठिन परीक्षा से होकर गुजरना पड़ता है.
आरएसएस बीजेपी को ह्यूमन रिसोर्स की आपूर्ति तो करता है है, साथ में बीजेपी को कार्यक्रमों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराता है, ये सब होता है भारत विकास परिषद और शिशु मंदिर की वजहों से... बीजेपी के भी ज्यादातर कार्यक्रम शिशु मंदिर में ही आयोजित किए जाते हैं.
आरएसएस का वजूद बीजेपी से कहीं व्यापक, कहीं पहले का है... नॉर्थ ईस्ट, केरल में बीजेपी के गठन से पहले भी संघ मौजूद था... केरल में आज बीजेपी भले सत्ता में न हो, लेकिन संघ की जड़ें वहां बेहद गहराई तक हैं. संघ की केरल में 6,845 से ज्यादा शाखाएं लगती हैं.
बीजेपी और आरएसएस की यही जोड़ी आज देश में सत्ता की नई पटकथा लिख चुकी है.
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