आज बात होगी फर्जीवाड़े की. हमारे देश में फर्जीवाड़े का इतिहास काफी पुराना है. सच कहें तो हमारे देश में ठग प्रचलन को स्वीकार भी कर लिया गया है. अगर नहीं तो इतने सालों से कोई कंपनी पूरे देश को गोरा बनाने के नाम पर कैसे ठगती रही. ये अलग बात है कि बवाल बढ़ने के बाद कंपनी ने प्रोडक्ट का नाम ही बदल दिया. मैं कंपनी का नाम नहीं बताऊंगा.. आप जानते हैं. फेयरनेस क्रीम छोड़ दीजिए....
'मोती जैसे दांत और खुशबूदार सांसों' के नाम पर कितने टूथपेस्ट धड़ल्ले से आज भी बेचे जा रहे हैं. मुझे नहीं पता कितने लोगों के दांत उस प्रोडक्ट की वजह से मोतियों जैसे हो गए हैं और उनकी सांसों की खुशबू से सड़क पर कितनी बड़ी लंबी लाइन लग गई...
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रचनात्मकता के नाम पर ठगे जा रहे अरबों
कुछ लोग इसे क्रिएटिविटी कह सकते हैं, लेकिन याद रखिए इस रचनात्मकता के नाम पर आपसे अरबों रुपये कमाए जा रहे हैं. इसलिए इस रचनात्मकता में अब ठगी का मामला भी बनता है....
आज हमलोग जिस ठगी की बात कर रहे हैं वह मामला अलग है. क्योंकि एक शख्स को प्रधानमंत्री के सामने खड़ा करवाकर, झूठ कहलवाया जा रहा है. वह भी सरकारी योजनाओं को लेकर... यह करता कौन है.... सरकारी अफसर... पहले खबर जान लेते हैं...
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पीएम मोदी के सामने फर्जी लाभार्थी
यह पूरा मामला मंगलवार का है. पीएम मोदी, एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे और केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लाभार्थियों से बात कर रहे थे. उसी दौरान राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सरकारी अफसरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक फर्जी लाभार्थी को खड़ा कर दिया. पीएम मोदी के सामने इस शख्स को असली लाभार्थी देबीपुरा (बेमाली) के गोपालदास वैष्णव की जगह खड़ा किया गया था. इतना ही नहीं शख्स पर दबाव डालकर सरकारी योजनाओं का गुणगान भी करवाया गया.
सरकारी योजनाओं का किया झूठा गुणगान
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट छापते हुए दावा किया है कि पीएम मोदी के सामने जिस शख्स को खड़ा किया गया था उसे सरकारी योजनाओं का लाभ ही नहीं मिला था. वहीं अफ़सरो को डर था कि पीएम के सामने असली लाभार्थी सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की असली पोल ना खोल दे. इसलिए उसे सिर्फ सूचना देकर औपचारिकता पूरी कर ली और उसकी जगह दूसरे आदमी को लाभार्थी बनाकर खड़ा कर दिया.
सोचिए यह अफ़सर ही हैं, जो फर्जीवाड़ा करने पर दोषियों की ईंट से ईंट बजा देते हैं. लेकिन मंगलवार को एक अफ़सर ही बड़ा फर्जीवाड़ा करता है. पहले तो असली की जगह नकली लाभार्थी को खड़ा करता है. दूसरा उससे सरकारी योजनाओं का झूठा प्रचार करवाया जाता है और तीसरा प्रधानमंत्री और समस्त देशवासियों के सामने सफेद झूठ बोला जाता है.
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असली लाभार्ठी गोपाल था जिसे कार्यक्रम में नहीं बुलाया
दैनिक भास्कर ने असली गोपाल दास से बात की है, और उस आधार पर जो बड़ी बात सामने आई है वह कुछ इस प्रकार है....
गोपाल दास बोले...
- मेरी पत्नी नहीं है, इसलिए उज्जवला योजना में गैस कनेक्शन नहीं मिला.
आवास योजना में एक किस्त बाकी है.
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने पर 12 हजार रुपए नहीं मिले.
- नल कनेक्शन के लिए रसीद कटी, लेकिन जल जीवन मिशन-अमृत कनेक्शन नहीं मिला
- दो-तीन बार नकल दी, लेकिन किसान निधि योजना का पैसा मुझे नहीं मिला
ऐसा भी नहीं था कि गोपाल दास कार्यक्रम में जाने को तैयार नहीं था. गोपाल दास के मुताबिक उन्हें पंचायत से सचिव पुष्पा का फोन आया था. उन्हें भीलवाड़ा जाने को कहा गया, वह तैयार भी हो गए. लेकिन बाद में सचिव ने बताया कि कार्यक्रम ही कैंसिल हो गया है, इसलिए जाने की जरूरत नहीं है.
जबकि फर्जी लाभार्थी ने पूरे देशवासियों को क्या-क्या बताया वह भी सुन लीजिए....
- गैस कनेक्शन से पत्नी खुश है, पूरा गांव धुआं मुक्त हो गया है...
- घर पर नल कनेक्शन हो गया है. 2,250 रुपए की रसीद कटी है.
- पहले पानी की बहुत समस्या थी लेकिन अब एक दो- दिन में पानी मिल जाता है.
- पहले कुएं से पानी लाना पड़ता था. अब कोई दिक्कत नहीं है.
- शौचालय वाली स्कीम में 12 हजार रुपए मिले हैं.
हलांकि इसमें एक और बड़ा फर्जीवाड़ा है. जब गोपाल दास की पत्नी ही नहीं है तो उज्जवला योजना के लाभांवितों की सूची में उसका नाम कैसे शामिल हुआ. जल जीवन मिशन में नल कनेक्शन नहीं हुआ है और ना ही पेयजल की सप्लाई हुई है. सिर्फ रसीद कटने से लाभांवित कैसे मान लिया गया. और भी कई सवाल हैं... लेकिन आज उसपर बात नहीं...
2018 में एक महिला किसान से झूठ कहलवाया गया कि आमदनी दोगुनी हुई
बात आगे बढ़ाएं, उससे पहले एक और पुरानी रिपोर्ट देख लेते हैं. यह कहानी है सन 2018 की... तारीख 20 जून... प्रधानमंत्री मोदी 'नरेंद्र मोदी मोबाइल ऐप' के जरिए पांच करोड़ किसानों से बात की थी. इस दौरान छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कन्हारपुरी गांव की एक महिला चंद्रमणि कौशिक ने प्रधानमंत्री मोदी से बात करते हुए कहा था कि पहले के मुकाबले अब उन्हें ज्यादा मुनाफा हो रहा है और उनकी आय दोगुनी हो गई है.
चंद्रमणि कौशिक ने बताया था कि लोग 50-60 रुपये में 25 किलो सीताफल हमसे ठग कर ले जाते थे. फिर हम लोग कृषि आत्मा परियोजना से जुड़ गए. अब जो 50 रुपये मिलता था, उसमें सीधे 700 रुपये मुनाफा कमाते हैं.
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लेकिन बाद में एबीपी न्यूज़ के एक संवाददाता ने कन्हारपुरी गांव जाकर चंद्रमणि कौशिक से फिर से बातचीत की. बातचीत में उन्होंने बताया कि वे दो एकड़ में धान की खेती करती हैं, लेकिन उनकी आय दोगुनी नहीं हुई है.
मामला गंभीर है. बार-बार केंद्र सरकार की योजनाएं को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के सामने ही झूठ कहलवाया जा रहा है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इसे किस तरह के अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा? इस घटना के लिए जिम्मेदार किसको माना जाएगा? क्या यह मामला कानूनन बनता है?