GST on Paratha : रवींद्र जैन का एक गाना आज भी बेहद मशहूर है. एक राधा, एक मीरा... दोनों ने श्याम को चाहा, अंतर क्या दोनों की चाह में बोलो...एक प्रेम दीवानी, एक दरस दीवानी... आज की स्टोरी तैयार करते हुए अचानक ही यह गीत मेरे ज़ुबान पर आ गया... हालांकि शब्द बदल गए थे. मैं जो गुनगुना रहा था, वह कुछ इस तरह था. एक रोटी, एक पराठा... दोनों ने आटे को चाहा.. अंतर क्या दोनों की चाह में बोलो... एक पर 18% GST और एक पर 5%... पराठे बनाने वाली कंपनी का कहना है कि रोटी और पराठा में ज्यादा अंतर नहीं है, क्योंकि दोनों आटे से ही बनते हैं. इसलिए पराठा पर भी 5 प्रतिशत ही GST लगना चाहिए.
पराठा रोटी से अलग कैसे?
वहीं गुजरात की अपीलेट अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (AAAR) के अनुसार, पराठा में 36 से 62 फीसद तक आटा होता है. इसके अलावा इनमें आलू, मूली, प्याज के साथ वेजिटेबल ऑयल और नमक भी होता है. इतना ही नहीं, रोटी को डायरेक्ट खाया जाता है और पराठा को खाने से पहले तवे पर सेकना पड़ता है.
सीधे शब्दों में कहूं तो अब सिर्फ पारठे में घी नहीं लगेंगे, बल्कि GST भी लगेंगे. साल 2020 में कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही फ़ैसला लिया गया था. तब कर्नाटक की एडवांस रूलिंग्स अथॉरिटी ने फैसला दिया था कि पराठा पर 18 फीसदी की दर से GST दर लगेगा, जबकि रोटी पर पांच फीसदी GST दर लागू है.
आनंद महिंद्रा ने ली चुटकी
प्रख्यात उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस ख़बर पर तब चुटकी लेते हुए ट्वीट किया था कि आमतौर पर लोग खान-पान में रोटी और पराठा को अलग नहीं समझते, लेकिन वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दुनिया में दोनों एक समान नहीं हैं. तो क्या अब पराठा के शौकीनों को इसका लुत्फ़ उठाने के लिए ज़्यादा जेब ढीली करनी होगी? इन्हीं तमाम मुद्दों पर होगी बात आज के कार्यक्रम में... जिसका नाम है 'मसला क्या है?'
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GST को लागू किए हुए पांच साल से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन कई वस्तुओं को स्लैब में डालने को लेकर अब भी विवाद जारी है. गुजरात में क़रीब 20 महीने से रोटी और पराठा के GST स्लैब को लेकर विवाद चल रहा था. लेकिन अब इसपर फ़ाइनल फ़ैसला आ गया है. जिसके मुताबिक वाडीलाल के फ्रोजेन पराठा पर 18% GST लगेगा, जबकि रोटी पर 5% GST.
क्या है मामला?
आपको पूरा मामला विस्तार से समझाते हैं. काफी लंबे समय से अपीलेट अथॉरिटी फॉर अडवांस रूलिंग (AAAR) और रेडी टू ईट प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी वाडीलाल के बीच यह बहस चल रही थी कि पराठा को रोटी के साथ रखें या अलग?
जिसके बाद अथॉरिटी ने यह तर्क दिया कि रोटी और पराठा में काफी अंतर है. पराठा में 36 से 62 फीसद तक आटा होता है. इसके अलावा इनमें आलू, मूली, प्याज के साथ वेजिटेबल ऑयल और नमक भी होता है. इतना ही नहीं, रोटी को डायरेक्ट खाया जाता है और पराठा को खाने से पहले तवे पर सेकना पड़ता है. इसलिए रोटी पर 5 प्रतिशत जबकि, पराठा पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.
कंपनी और अथॉरिटी की दलील क्या?
वहीं कंपनी का तर्क है कि रोटी और पराठा, दोनों आटे से बनते हैं. पराठा और रोटी बनाने की प्रक्रिया भी एक समान है. इसके अलावा उनके इस्तेमाल और उपभोग का तरीका भी एक जैसा ही है. लेकिन कंपनी की इस दलील को अथॉरिटी ने खारिज करते हुए कहा कि पराठा पर 18 प्रतिशत जीएसटी ही लगेगा. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि अहमदाबाद की कंपनी वाडीलाल इंडस्ट्रीज की अपील पर यह फैसला आया है.
पहले के फ़ैसले?
इससे पहले अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स की अहमदाबाद बेंच ने भी फ्रोजन पराठे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने की व्यवस्था दी थी. वाडीलाल इंडस्ट्रीज ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ पीलेट अथॉरिटी फॉर अडवांस रूलिंग (AAAR) में अपील की थी, लेकिन अपीलेट अथॉरिटी ने पहले के फैसले को सही ठहराते हुए उसे बरकरार रखा है. हालांकि इस व्यवसाय से जुड़ी अन्य कंपनियां भी पराठा पर अधिक जीएसटी लगाने का विरोध कर रही हैं.
इससे पहले जून 2020 में कर्नाटक की एडवांस रूलिंग्स अथॉरिटी ने फैसला दिया था कि केरल के मालाबार पराठे पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी दर लगेगा, जबकि रोटी पर पांच फीसदी जीएसटी दर लागू है. सोशल मीडिया पर इस ख़बर को लेकर काफी ट्रोल भी किया गया. वहीं 2018 में महाराष्ट्र की अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग ने कहा था कि देश में रोटी या चपाती को अलग-अलग नाम से जाना जाता है, लेकिन इसका नाम बदल जाने भर से इस पर GST अलग-अलग दरें नहीं लगा सकते.
गुजरात चुनाव से पहले दिल्ली में दंगा भड़काने की तैयारी... सोशल मीडिया पर ऐसा क्यों कह रहे लोग?
सोशल मीडिया पर एक बार फिर से इस ख़बर को लेकर लोग ग़ुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं. दीपक कुमार नाम के एक ट्विटर यूजर लिखते हैं- लगता है मानव इतिहास की सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्री निर्मला सीतारमण जी दिल्ली की मशहूर पराठा गली में घूम कर आई हैं. वैसे केंद्रीय मंत्री भी सब्जी खरीदती हैं सब्जी पर जीएसटी कब तक लग जाएगा?
ग़रीब नवाज़ नाम के एक अन्य ट्विटर यूजर्स लिखते हैं- घी लगाकर पराठे बहुत खा ली, अब जीएसटी लगाकर खाओ..!
एक अन्य यूजर्स लिखते हैं- अब आप देशहित में पराठे पर भी GST दे सकते हैं. आशा करता हूं कि जल्द ही आप और हम चटनी और आचार पर भी GST दे पाएं, जिससे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके.
एक और यूजर्स लिखते हैं- यह गलत है. सिर्फ पराठे पर जीएसटी लगाई चटनी और अचार पर क्यों नहीं? इसके लिए तो भूख हड़ताल करनी चाहिए...