Gujarat Assembly Election: मोरबी पुल हादसे पर दुख जाहिर करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने आज यानी कि गुरुवार को गुजरात चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक दो फेज में गुजरात विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे. कुल 182 सीटों के लिए पहले फेज में 1 दिसंबर को 89 सीटों पर वोटिंग होगी, जबकि 5 दिसंबर को दूसरे फेज में 93 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. नतीजे हिमाचल विधानसभा चुनाव के साथ ही आएंगे यानी कि 8 दिसंबर को.
इस बार गुजरात में 4.6 लाख लोग वैसे हैं जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जानकारी मिली है कि गुजरात में इस बार एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए बीजेपी कई बड़े चेहरों की क़ुर्बानी देने का प्लान बना रही है, ताकि प्रदेश में 'कमल का राज' कायम रह सके.
वहीं मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाली ख़बर सामने आई है. धनतेरस के दिन बड़े ताम-झाम के साथ पीएम मोदी से जिन साढ़े चार लाख ग़रीबों को आवास दिलवाया गया, उनमें कई ऐसे लोग हैं जिनकी मौत 4-5 साल पहले ही हो गई थी. तो जानेंगे मध्य प्रदेश में 'भूतों' द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना का फ़ायदा उठाने की पूरी कहानी.
वहीं पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के मद्देनजर लोगों को अपने पास त्रिशूल रखने को कहा जा रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है ताकि बीजेपी कार्यकर्ता इस त्रिशूल के ज़रिए ख़ुद को तृणमूल कांग्रेस से बचा सके. क्या है पूरा मामला? जानेंगे विस्तार से. इधर योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपको अंदर तक हिला कर रख देगी.
एक्सीडेंट में घायल युवक, अस्पताल के फर्श पर ख़ून से लथपथ पड़ा हुआ है. लेकिन इलाज करने वाला कोई नहीं है. लापरवाही की इंतहा यह है कि घायल युवक का ख़ून एक कुत्ता चाट रहा है.
तो ख़बरों को विस्तार से जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ. हमारे ख़ास कार्यक्रम में, जिसका नाम है- मसला क्या है?
गुजरात में वापसी के लिए BJP की माथापच्ची
गुजरात चुनाव के तारीखों की घोषणा होते ही भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने के लिए जी जान से जुट गई है. जानकारी के मुताबिक गुजरात की सभी 182 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फ़ाइनल करने के लिए गुरुवार दोपहर से ही बैठक शुरू हो गई थी. सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. यही वजह है कि दोपहर 11 बजे के क़रीब ही गुजरात की राजधानी गांधीनगर में गृहमंत्री अमित शाह ने माथा-पच्ची शुरू कर दी.
पहले उम्मीदवारों के नाम शॉर्टलिस्ट किए जाएंगे और बाद में उस लिस्ट को केंद्रीय चुनाव समिति के समक्ष रखा जाएगा. इस बार के चुनाव में बीजेपी के अंदर काफी उठा-पटक भी देखने को मिल सकता है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इस बार गुजरात में सत्ता बचाए रखने के लिए बीजेपी अपने कई बड़े पुराने चेहरों को क़ुर्बान करने जा रही है. ताकि एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को कम किया जा सके. मोरबी हादसे को लेकर वैसे भी बीजेपी की प्रदेश में काफी किरकिरी हुई है.
एंटी इनकंबेंसी कितना बड़ा फैक्टर?
अस्पतालों के अंदर मरीज़ों के लिए ख़राब इंतज़ाम और वीआईपी दौरे की वजह से मरीज़ों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जैसे आरोप, सोशल मीडिया पर बहुत आम है. लेकिन क्या यह मुद्दे बीजेपी के लिए ख़तरे की घंटी है? गुजरात में पिछले 24 सालों से बीजेपी की सरकार है. ऐसे में प्रदेश के अंदर पार्टी कार्यकर्ताओं का संगठन बेहद मजबूत है. क्या कांग्रेस या आम आदमी पार्टी के लिए उस संगठन को कमज़ोर कर, अपने लिए राह निकालना आसान होगा?
हालांकि 2017 गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. तब 42 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ कांग्रेस 77 सीट निकालने में कामयाब रही. वहीं सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी 50 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ 99 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. जबकि अन्य के खाते में 6 सीटें गई थीं. लेकिन इस बार मामला त्रिकोणीय बताया जा रहा है. पंजाब में ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं.
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पंजाब के बाद गुजरात में भी AAP के हौसले बुलंद
उसी तर्ज पर AAP इस बार गुजरात में भी ज़ोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रही है. AAP में गोपाल इटालिया ओर इशुदान गढवी को CM पद का दावेदार माना जा रहा है. जबकि कांग्रेस में भरत सोलंकी, अर्जुन मोढवाडिया, शक्तिसिंह गोहिल जैसे पुराने और वरिष्ठ चेहरों को CM पद के लिए बड़ा दावेदार माना जा रहा है. वहीं फिलहाल भूपेन्द्र पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री है. इस बार वह बीजेपी के लिए सीएम चेहरा बनेंगे या फिर मोरबी पुल हादसा, कर्मचारियों की समस्या, महंगाई और पोर्ट पर पकड़े जाने वाले ड्रग्स जैसे मुद्दों की भेंट चढ़ जाएंगे, कहना मुश्किल है. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से अब तक सीएम उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है. बीजेपी का टारगेट है कि इस बार वह 160 सीटों पर अपना परचम लहराए.
गुजरात चुनाव में इस बार पाटीदार आगेवान नरेश पटेल और सोमाभाई गांडाभाई को साइलेंट चेहरा बताया जा रहा है. नरेश पटेल कई बार कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश कर चुके हैं. लेकिन पार्टी हाईकमान से बात नहीं बन पाई. ये गुजरात के 85 लाख लेउवा पटेल समाज के सर्वमान्य नेता बताए जा रहे हैं. वहीं सोमाभाई गांडाभाई को भी गेम चेंजर माना जा रहा है. जानकार मानते हैं कि इनका कोली समाज पर ख़ासा प्रभाव है.
PM आवास योजना में ही कर दिया घोटाला
अब बात करते हैं PM आवास योजना घोटाले की. NDTV की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश के योजना लाभार्थी, टूटे फूटे और कच्चे घरों में रह रहे हैं. कई लाभार्थी ऐसे हैं जिनकी मौत 2016 में ही हो गई थी लेकिन साल 2021-22 में उनके नाम पर प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हो गया. कागज़ों पर घर भी बने और पैसे भी निकाले गए. यह किसे मिला, फ़िलहाल इसकी कोई जानकारी नहीं है.
सतना जिले की एक ग्राम पंचायत में जब योजना लाभार्थियों के घर का दौरा करने NDTV की टीम पहुंती तो वहां की सच्चाई कुछ और ही सामने आई. जिन लोगों को योजना का लाभार्थी बताकर प्रचारित किया गया, असल में वे टूटे-फूटे, कच्चे घरों और झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं. वहीं एक अन्य बताए गए लाभार्थी, लालमनि चौधरी की मौत 2016 में ही हो गई थी. फ़िलहाल उनकी विधवा पत्नी और दिव्यांग बेटा कच्चे घर में रह रहे हैं और उन्हें कोई पैसा भी नहीं मिला है.
इतना ही नहीं, काग़जी तौर पर इनके बैंक खातों में किस्तों में पैसा भी पहुंच गया. लेकिन असल में इन्हें कुछ मिला ही नहीं. ना ही इनके बैंक अकाउंट की पासबुक में ट्रांजेक्शन की कोई जानकारी है. स्वर्गीय लालमनि के बेटे ने चैनल से बात करते हुए कहा कि उनके बैंक खाते में कोई पैसा ही नहीं आया और ना ही कोई जानकारी मिली थी. काग़ज़ निकलवाया तो सारी बातें पता चलीं.
‘सपनों के घरों' में ‘प्रवेश' कराने का झूठा दावा?
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इसी योजना के तहत 4 लाख़ 51 हज़ार लाभार्थियों को धनतेरस के दिन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों वर्चुअली ‘सपनों के घरों' में ‘प्रवेश' करवाया था. यानी टीवी चैनलों पर घंटो लाइव कर जिस ‘सपनों के घरों' को पीएम मोदी के हाथों बांटने का दावा किया गया, असल में वह भी सपना ही निकला.
कार्रवाई के नाम पर प्रशासन ने प्रेस रिलीज कर बताया कि 75 लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई. जिसके आरोप में तीन लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है. सतना जिले की रहिकवारा के जिस पूर्व सरपंच आदित्य प्रताप सिंह बघेल के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ हुआ है. वह सतना जिले से बीजेपी के लगातार 2 बार अध्यक्ष रहे सुरेन्द्र प्रताप सिंह बघेल के भाई हैं. सोचिए यह हालत तब है जब देश में भी बीजेपी की सरकार है और पीएम मोदी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की बात करते हैं.
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कार्यकर्ताओं को त्रिशूल रखने की सलाह
इधर पश्चिम बंगाल में बुधवार को जगधात्री पूजा कार्यक्रम के दौरान बीजेपी नेता राजू बंधोपाध्याय, अपने कार्यकर्ताओं को त्रिशूल रखने की सलाह देते नज़र आए. इतना ही नहीं, जब खुले मंच से यह सब कहा जा रहा था तो वहां मौजूद बंगाल के बीजेपी सांसद दिलीप घोष बयान पर ताली बजा रहे थे. बंधोपाध्याय अपने कार्यकर्ताओं से कहते हैं- "पंचायत चुनावों में तृणमूल कांग्रेस बम और गोलियों का इस्तेमाल करेगी. हमारे पास अपने बचाव के लिए क्या है? ख़ुद को बचाने के लिए हमारे पास त्रिशूल होना चाहिए जो मां (दुर्गा) ने हमे दिया है. हर मां-बहन को घर में त्रिशूल रखना चाहिए क्योंकि पश्चिम बंगाल में यही स्थिति है. "
जबकि मंच पर ताली बजाकर 'त्रिशूल रखने' वाले बयान का समर्थन करने वाले बीजेपी सांसद दिलीप घोष ने कहा- "इस बात की कोई गारंटी नहीं कि केंद्रीय बलों को तैनात किया जाएगा. पिछली बार भी हमने इसके लिए कहा था. हम जानते थे कि क्या स्थिति बनने जा रही है. लेकिन हमें चुनाव लड़ना होगा, और बीजेपी इसके लिए तैयारी कर रही है."
अगले साल पंचायत चुनाव
दरअसल अगले साल की शुरुआत में ही पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव होने हैं. पिछले चुनाव के दौरान भारी हिंसा को देखते हुए बीजेपी नेतृत्व ने राज्य में इस बार केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की है. वहीं टीएमसी विधायक तापस रॉय ने बीजेपी नेता के बयान पर आपत्ति ज़ाहिर करते हुए प्रशासन को आगाह किया है.
घायल शख़्स फर्श पर तड़पता रहा
अब बात उत्तम प्रदेश की. माफ़ कीजिएगा, उत्तर प्रदेश की. मैं आगे कुछ भी कहूं, उससे पहले यह वीडियो देख लीजिए... घायल शख़्स फर्श पर गिरा हुआ है. वह होश में तो है लेकिन ख़ुद को समेटकर उठाने की हिम्मत नहीं बची है. होंठ सूजे हुए हैं, शायद कटे हुए भी हैं. चेहरा ख़ून से इस कदर सना हुआ है कि यह पहचानना भी मुश्किल है कि चोट कहां-कहां लगी है. वहां पास मौजूद एक कुत्ता, फर्श पर बिखरा हुआ ख़ून चाट रहा है. लेकिन घायल युवक को स्ट्रेचर पर उठाने वाला भी वहां कोई मौजूद नहीं है.
वीडियो में दी गई जानकारी के अनुसार यह तस्वीर कुशीनगर जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की है. अखिलेश तिवारी नाम के एक यूजर ने इसे अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर करते हुए लिखा है- यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था फर्श पर पड़ी है.. वीडियो कुशीनगर जिला अस्पताल का है. जहां सड़क एक्सीडेंट में घायल युवक इमरजेंसी वॉर्ड में तड़फड़ा रहा है लेकिन कोई इलाज करने वाला नहीं है. घायल युवक का ब्लड, कुत्ता चाट रहा है. CMS प्राइवेट प्रैक्टिस में व्यस्त रहते हैं.
वहीं पंखुड़ी पाठक नाम की एक अन्य यूजर लिखती हैं- बहुत ही पीड़ादायक दृश्य है. उत्तर प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की शर्मनाक तस्वीरें तो हम रोज़ ही देखते हैं लेकिन इस युवक के हाल ने विचलित कर दिया. योगी सरकार के मंत्री अस्पतालों के निरीक्षण के नाम पर PR स्टंट करते हैं लेकिन वास्तविकता आपके सामने है.
6 संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटाया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वीडियो सामने आने के बाद डीएम ने लापरवाही बरतने के आरोप में 6 संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है. इसके अलावा ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर से भी जवाब तलब किया गया है. वहीं संयुक्त जिला अस्पताल के सीएमएस एसके वर्मा ने मामले को लेकर कहा, "वीडियो संज्ञान में आया है जिसकी जांच करा रहा हूं कि किस समय घायल वहां पर पहुंचा था और ड्यूटी पर कौन तैनात था. इसके बाद जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी कड़ी कार्रवाई की जाएगी."
ताज़ा जानाकारी के मुताबिक यह वीडियो 1 नवंबर की है. घायल युवक का नाम बिट्टू है, जिसकी उम्र 25 साल बताई गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक बिट्टू, सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद किसी तरह इमरजेंसी वार्ड तक पहुंचा. तभी उसे चक्कर आया और वह लड़खड़ाकर फर्श पर गिर पड़ा. लगभग एक घंटे तक बिट्टू फर्श पर पड़ा रहा, लेकिन उसे कोई देखने तक नहीं आया. बाद में कर्मचारी पहुंचे और कुत्ते को वहां से हटाकर घायल युवक को बेड पर शिफ़्ट किया.
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इसलिए कहता हूं, आपके टीवी स्क्रीन पर जिस तरह से चीजों को प्रसारित किया जाता है, उसे फ़िल्म के तरह मनोरंजन के लिए मत देखिए और ना ही ताली बजाकर मुस्कुराइए. हर ख़बर के बाद सवाल कीजिए कि कमी कहां रही? वह कौन है जो सिस्टम में रहकर पैसा तो उठा रहा है लेकिन अपना काम ठीक से नहीं कर रहा? तभी एक मज़बूत भारत का निर्माण किया जा सकता है. ख़बर दिखाने के नाम पर सरकार की पीठ थपथपाना या सिस्टम की कमियों को छिपाना असल में देश विरोधी है. क्योंकि ऐसा कर एक कमज़ोर और झूठे समाज का निर्माण किया जा रहा है. इस तरह का समाज हमें कभी भी मज़बूत और ईमानदार नेतृत्व नहीं दे सकता. आज के लिए बस इतना ही, कल फिर होगी मुलाक़ात, किसी नए विषय के साथ, मसला क्या है कार्यक्रम में. तो देखते रहिए, एडिटरजी हिंदी...
नमस्कार