हाइलाइट्स

  • छावला की 'गंगा' के साथ कैसा न्याय?
  • छावला गैंगरेप के तीनों दोषी बरी
  • सबूत के अभाव में SC ने किया बरी
  • पीड़िता की मां बोली- जंग हार गए
  • 'मेरे जीने की इच्छा खत्म हो गई'

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किडनैप, गैंगरेप, बर्बरता और हत्‍या... लोअर कोर्ट-HC ने ठहराया दोषी, SC ने बरी क्यों किया?

निर्भया गैंगरेप से करीब दस महीने पहले, किडनैपिंग, गैंगरेप, बर्बरता और फिर हत्या की वारदात हुई थी. छावला की रहने वाली 19 साल की युवती 'गंगा' (बदला हुआ नाम) के साथ जो कुछ हुआ वह रोंगटे खड़े करने वाला है.

किडनैप, गैंगरेप, बर्बरता और हत्‍या... लोअर कोर्ट-HC ने ठहराया दोषी, SC ने बरी क्यों किया?

Chhawla Rape Case : साल 2012... निर्भया गैंगरेप से करीब दस महीने पहले, दिल्ली की सड़कों पर वही सब हुआ था जो दिसंबर महीने में दोबारा निर्भया के साथ हुआ. पहले किडनैपिंग, फिर गैंगरेप, फिर बर्बरता और फिर हत्या. छावला की रहने वाली 19 साल की युवती 'गंगा' (बदला हुआ नाम) को मौत भी आसान नहीं मिली. 'गंगा' के जिस्म को दांतों से काटा गया. फिर उसके सिर पर घड़े से हमला किया. दरिंदों का मन इतने से भी नहीं भरा तो उसने गाड़ी से लोहे का पाना और जैक निकालकर उसके सिर पर वार किया.

इतना ही नहीं गाड़ी के साइलेंसर से दूसरे औजारों को गर्म कर जिस्म को जगह-जगह दागा. गर्म लोहे के औज़ार से उसके प्राइवेट पार्ट को भी जलाया गया. इतने से भी मन नहीं माना तो बीयर की बोतल फोड़ी और 'गंगा' के जिस्म को काटने लगे. अंत में तड़प-तड़प कर 'गंगा' ने दम तोड़ दिया. लेकिन दरिंदों का मन नहीं भरा.

पार्ट में घुसा दी बोतल प्राइवेट

उसने बीयर की टूटी बोतल प्राइवेट पार्ट में घुसा दी. लड़की की आंखें फोड़कर उनमें कार की बैटरी का तेज़ाब भर दिया. 2014 में निचली अदालत ने रवि, राहुल और विनोद तीनों दोषियों को सड़कों पर घूमने वाला हिंसक जानवर बताते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई. अगस्त 2014 में हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा. फिर क्या वजह हुई कि सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों दोषियों को बरी कर दिया?

छावला केस फिर चर्चा में क्यों?

दिल्ली का दस साल पुराना छावला केस एक बार फिर से चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गैंगरेप और हैवानियत के मामले में फैसला बदलते हुए तीन दोषियों को बरी कर दिया. देश की सबसे बड़ी अदालत के इस फ़ैसले से 'गंगा' के परिवार वाले निराश हैं. 'गंगा' की मां ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए कहा कि वह हार गईं. वह इस फैसले के इंतजार में जिंदा थी. उन्हें उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से उनकी बेटी को इंसाफ मिलेगा. लेकिन इस फैसले के बाद अब उनके जीने का कोई मकसद नहीं बचा है.

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दोषियों को बरी क्यों किया?

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की लापरवाही की वजह से दोषियों को बरी कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने 16 फरवरी को आरोपियों के डीएनए टेस्ट सैंपल लिए. लेकिन अगले 11 दिनों तक सैंपल पुलिस थाने के मालखाने में पड़े रहे. जानकार बताते हैं कि दोषियों को पुलिस की इसी लापरवाही का फ़ायदा मिला. यही वजह रही कि 2014 में जिस मामले को लोअर कोर्ट ने 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' मानते हुए फांसी की सज़ा सुनाई, सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के आभाव में उसी मामले में दोषी करार दिए गए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया.

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वहीं आज दूसरी ख़बर में हमलोग बात करेंगे भारतीय वायुसेना में एयरमैन ‘एक्स’ और ‘वाई’ समूह की भर्ती के लिए जुलाई 2021 में आयोजित की गई परीक्षा की. जिसमें कुल 6.34 लाख उम्मीदवारों का रिजल्ट अग्निपथ योजना के चलते रोक दिया गया है. ना ही परीक्षा का परिणाम जारी किया गया और ना ही उम्मीदवारों से वसूली गई फीस वापस की गई. तो बने रहिए हमारे साथ, आपके अपने कार्यक्रम में, जिसका नाम है- मसला क्या है?

सजा तर्क और सबूत के आधार पर

एक तरफ 7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जजों का दिया वह बयान है. जिसमें वह कहते हैं कि 'भावनाओं को देखकर सजा नहीं दी जा सकती. सजा तर्क और सबूत के आधार पर दी जाती है. हम आपकी भावनाओं को समझ रहे हैं, लेकिन भावनाओं को देखकर कोर्ट में फैसले नहीं होते हैं.' वहीं दूसरी तरफ इस मां की रोती हुई तस्वीर. 'गंगा' की मां कहती हैं- 11 साल बाद यह फैसला आया है. हम जंग हार गए …मैं उम्मीद के साथ जी रही थी…मेरे जीने की इच्छा खत्म हो गई है. मुझे लगता था कि मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा. पहले एक बार यह वीडियो देख लीजिए.

हालांकि 'गंगा' के पिता ने कहा है कि भले ही वह सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से टूट गए हैं. लेकिन आगे की कानूनी जंग जारी रखेंगे. उन्होंने कहा- हम यहां न्याय के लिए आए थे. यह अंधी कानून व्यवस्था है. दोषियों ने हमें कोर्ट रूम में ही धमकाया था. हमारे 12 साल के संघर्ष को नजरअंदाज कर दिया गया. लेकिन हम कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.

अपराधी को बेनिफिट ऑफ डाउट क्यों?

महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर निराशा दिखाते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा- साल 2012 में निर्भया मामला हुआ तो पूरा देश सड़कों पर था. निसंकोच क़ानून के क़िताब में बदलाव कर दिया गया. लेकिन छावला की बेटी के मामले को लेकर कोई आक्रोश नहीं, कोई शोर नहीं. देश की सबसे बड़ी अदालत को इस जघन्यतम अपराध के अपराधी को बेनिफिट ऑफ डाउट देने में कोई संकोच नहीं हुआ !!

वह आगे लिखती हैं- दिल्ली छावला गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को बदलकर 'गंगा' के क़ातिलो को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है. जिस तरह गैंगरेप के बाद उसकी आंखों और कान में तेजाब डाला पेचकस से आंखें फोड़ दी. गुप्तांग में शराब की बोतल घुसा बोतल फोड़ दी. जिस तरह से उसके साथ हैवानियत हुई उसको फांसी देने की जगह बरी कर दिया गया.

'गंगा' का भयावह बलात्कार हुआ

चर्चित कवि और विचारक अशोक कुमार पांडेय अपने ट्विटर हैंडल पर लिखते हैं- 'गंगा' का भयावह बलात्कार हुआ, हत्या हुई. हाई कोर्ट ने मौत की सज़ा दी, सुप्रीम कोर्ट ने बाइज़्ज़त बरी कर दिया. लेकिन फिर अपराधी कौन था? किस हैवान ने की यह हरक़त? वह कभी गिरफ़्तार क्यों नहीं हुआ? कैसे इस तरह के अपराध में यह सवाल नहीं पूछा गया? क्यों सब चुप हैं इस पर?

वहीं प्रियंका जोशी नाम की एक ट्विटर यूजर लिखती हैं- 'गंगा' का सामूहिक दुष्कर्म हुआ फिर उसकी आंखों और कानों में तेजाब डाल दिया गया, प्राइवेट पार्ट के पेचकस घुसाया गया और शराब की बोतल डालकर फोड़ दी गई.... पर सबसे बुरा आज हुआ. जब सुप्रीम कोर्ट ने उसके आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया.

हरीश रावत ने निराशा ज़ाहिर की

वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा- अभी-अभी एक अत्यधिक दु:खद खबर आई है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 'गंगा' के साथ वीभत्स बलात्कार और उसकी हत्या के लिए जिम्मेदार अभियुक्तों को जिन्हें जिला न्यायालय और माननीय हाईकोर्ट ने सजा-ए-मौत दी थी बरी कर दिया है?

CM पुष्कर सिंह धामी क्या बोले?

हालांकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री CM पुष्कर सिंह धामी ने ANI से बात करते हुए कहा- इस मामले को उच्चतम न्यायालय में देख रही वकील चारू खन्ना और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से भी बात की है. 'गंगा' हमारे प्रदेश की बेटी है, उसको न्याय दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे.

सोशल मीडिया पर लोग इंसाफ़ की गुहार लगा रहे हैं. इसके साथ ही कई ट्रेंड भी चला रहे हैं. आपको बता दूं कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान सभी पक्षों ने अपनी दलील रखी. एक बार देखते हैं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसकी तरफ से क्या दलील दी गई?

मुवक्किल विनोद दिमाग से कमजोर

दोषियों के वकील ने कहा- इस मामले में उसके मुवक्किलों की उम्र, फैमिली बैकग्राउंड और क्रिमिनल रिकॉर्ड को भी ध्यान में रखा जाए. एक मुवक्किल विनोद दिमाग से कमजोर भी है. पीड़ित को लगी चोटें भी गंभीर नहीं हैं.'

वहीं दलील के विरोध में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भारती ने कहा- '16 गंभीर चोटें थीं. लड़की की मौत के बाद उस पर 10 वार किए गए. ऐसे ही अपराध मां-बाप को मजबूर करते हैं कि वो अपनी लड़कियों के पंख काट दें.'

वहीं दिल्ली पुलिस ने सजा कम किए जाने का विरोध करते हुए कहा था- यह अपराध केवल पीड़िता के खिलाफ नहीं है, बल्कि समाज के खिलाफ है. यह जघन्य अपराध है. हम दोषियों को किसी भी तरह की राहत दिए जाने के खिलाफ हैं.

अदालतें सबूतों पर चलकर फैसले लेती है

सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला पढ़ते हुए क्या कहा, एक बार उसपर भी नज़र डाल लेते हैं. अदालतें सबूतों पर चलकर फैसले लेती है ना कि भावनाओं में बहकर. आरोपियों को अपनी बात कहने का पूरा मौका नहीं मिला. बचाव पक्ष की दलील थी गवाहों ने भी आरोपियों की पहचान नहीं की. कुल 49 गवाहों में दस का क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं कराया गया.

आरोपियों की पहचान के लिए भी कोई परेड नहीं कराई गई. निचली अदालत ने भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया. निचली अदालत, अपने विवेक से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 के तहत सच्चाई की तह तक पहुंचने के लिए आवश्यक कार्यवाही कर सकता था. ऐसा क्यों नहीं किया गया?

शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा

जबकि जांच में जानकारी मिली थी कि 'गंगा' के साथ गैंगरेप करने के अलावा आरोपियों ने उसके शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा था. लड़की के चेहरे और आंखों पर तेजाब डाला गया था. उसे कार में मौजूद औजारों से बुरी तरह पीटा गया था. 'गंगा' मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थी. वह दिल्ली में छावला इलाक़े में रहती थी. उस रोज़ 19 साल की 'गंगा' गुड़गांव से काम खत्म कर वापस लौट रही थी.

बस से नीचे उतरने के बाद वह अपने घर की तरफ पैदल जाने लगी. तभी पीछे से एक लाल रंग की कार आई और उसमें सवार तीन युवकों ने जबरन 'गंगा' को कार में खींच लिया. बदमाशों ने 'गंगा' को हरियाणा ले जाने की योजना बनाई. तब तक कार में घंटों 'गंगा' के साथ ज्यादती होती रही.

बीयर की बोतल प्राइवेट पार्ट में डाली

हरियाणा पहुंचकर तीनों बदमाशों ने एक ठेके से शराब खरीदी और फिर कार को सुनसान जगह ले गए. बदमाशों ने शराब पीते हुए 'गंगा' के साथ दरिंदगी की. इस दौरान उसके शरीर को दागा गया और काटा गया. इसके बाद आरोपियों ने बीयर की बोतल फोड़ी और लड़की के पूरी जिस्म को काटते रहे. युवती प्रताड़ना नहीं झेल पाई और दम तोड़ दिया. जिसके बाद बदमाशों ने प्राइवेट पार्ट में टूटी बोतल घुसा दी. इतना ही नहीं दरिदों ने लड़की की आंखें फोड़कर उनमें कार की बैटरी का तेजाब भर दिया था.

महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने फैसला पढ़े जाने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा. हमें उम्मीद थी कि कोर्ट मौत की सजा को बरकरार रखेगी. हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.

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बिलकिस बानो गैंगरेप में 11 अभियुक्त रिहा

इससे पहले अगस्त महीने में बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या में सज़ा काट रहे सभी 11 अभियुक्त रिहा कर दिए गया था. गुजरात सरकार की माफ़ी नीति के तहत 15 अगस्त को जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना को गोधरा उप कारागर से छोड़ दिया गया.

फ़िलहाल इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. अक्टूबर महीने में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा- गुजरात सरकार की दलीलें तो बहुत भारी-भरकम हैं, लेकिन इनमें फैक्ट्स की कमी है. अब इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का लोगों को इंतज़ार है.

6.34 लाख उम्मीदवारों का रिजल्ट रोका

अब बात दूसरी ख़बर की. अग्निपथ योजना के चलते 2021 में वायुसेना भर्ती परीक्षा देने वाले 6.34 लाख उम्मीदवारों का रिजल्ट रोका दिया गया है. सूचना के अधिकार यानी कि RTI के तहत जानकारी मिली है कि अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना शुरू होने से पहले जुलाई 2021 में भारतीय वायुसेना में भर्ती होने के लिए हुई एयरमेन ‘एक्स’ और ‘वाई’ समूह की परीक्षा में शामिल हुए उम्मीदवारों को अधर में छोड़ दिया गया है.

इतना ही नहीं ना तो परीक्षा का परिणाम जारी किया गया है और ना ही वसूली गई फीस वापस की गई है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले छात्र मोहम्मद कामिल को RTI के तहत जानकारी मिली है कि इस परीक्षा के लिए कुल 6,34,249 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था. मोहम्मद कामिल ‘वायुसेना के उम्मीदवारों में से एक’ थे. जानाकारी के मुताबिक पहले इस परीक्षा का आयोजन साल में दो बार होती थी. लेकिन 2020-21 में यह केवल एक-एक बार आयोजित की गई. हालांकि अब सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए संविदा आधारित नई अग्निपथ स्कीम आ गई है.

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पिछले साल 12 जुलाई से 18 जुलाई के बीच परीक्षा का आयोजन किया गया था. अधिसूचना के मुताबिक, परीक्षा परिणाम एक महीने के अंदर घोषित किया जाना था, लेकिन अब तक रिजल्ट नहीं आया है. वेबसाइट पर एक नोटिस डालकर कहा गया है कि ‘प्रशासनिक कारणों से परिणाम घोषित करने में देरी हो रही है.’ इतना ही नहीं कामिल के बयान के मुताबिक संबंधित वेबसाइट भी इंटरनेट से हटा दी गई है. अब तक यह वेबसाइट उम्मीदवारों को परीक्षा के नतीजे के संबंध में आवश्यक जानकारी देने के लिए इस्तेमाल की जाती थी.

RTI में मिली जानकारी

नई दिल्ली स्थित वायु भवन में कार्मिक सेवा निदेशालय ने कामिल के सवालों के जवाब में 6 अक्टूबर को जानकारी उपलब्ध कराते हुए कहा कि परीक्षा के लिए आवेदन जमा कराने वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या 6,34,249 थी. जबकि, उम्मीदवारों द्वारा परीक्षा शुल्क के रूप में 250 रुपये जमा कराए गए थे. सभी छात्रों से वसूला गया कुल शुल्क इस लिहाज से 15.85 करोड़ रुपये होता है.

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