भारत ने पहले 10 ओवरों में 12 चौके लगाए लेकिन अगले 40 ओवरों में टीम केवल 4 चौके ही लगा सकी जिसका खामियाजा टीम को उठाना पड़ा.
फ़ाइनल में रोहित की कप्तानी खराब रही. हेड और लाबुशेन के बीच साझेदारी को तोड़ने की जरूरत थी लेकिन रोहित ने स्पिनरों के लिए कोई स्लिप नहीं ली थी.
श्रेयस अय्यर सस्ते में आउट हुए वहीं केएल राहुल की धीमी बल्लेबाजी रही और सूर्यकुमार यादव भी प्रभावित करने में नाकाम रहे.
फ़ाइनल के लिए बेहद स्लो विकेट होना भी समझ के परे रहा. ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत घरेलू बढ़त का फायदा उठाने में नाकाम रहा.
भारत की हार में ओस भी एक बड़ा कारण साबित हुई. ओस के चलते भारतीय स्पिनर जाल बुनने में विफल रहे और गीली गेंद से कोई कमाल नहीं कर सके.
दूसरी पारी में 47 रन पर 3 विकेट गिर जाने के बाद ट्रेविस हेड ने भारतीय गेंदबाजों का डटकर सामना किया. इसके साथ ही रन रेट को भी लगातार कायम रखा.