हथकरघा यानि हैंडलूम को भारत की संस्कृति और आर्थिक ताने बाने में गहराई से बुना जाता है. आइये जानते हैं भारत के कुछ फेमस हैंडलूम के बारे में.
आंध्र प्रदेश की प्राचीन कला को कलम की मदद से और लकड़ी के ब्लॉक से कपड़ों पर उतारा जाता है.
बांधनी को बनाने के लिए कपड़े पर छोटे-छोटे गोले बनाकर अलग डिज़ाइन में बांध दिया जाता है और फिर अलग-अलग रंगों से रंग दिया जाता है.
कांजीवरम साड़ी को बनाने के लिए अलग-अलग रंग के धागों का इस्तेमाल होता है और रोशनी के कोण बदलने पर साड़ी का रंग भी बदलता हुआ नज़र आता है.
पैठणी साड़ियों को असली चांदी या सोने के शुद्ध रेशम से बुना जाता है. इसलिए ये भारत की सबसे महंगी साड़ियों में से एक हैं.
चंदेरी में प्योर सिल्क, चंदेरी कॉटन और सिल्क कॉटन फैब्रिक्स होते हैं. इन साड़यों को बनाने के लिए अब हाथ से बने यार्न की बजाय मिलमेड यार्न यूज होता है.
यूनीक डायिंग टैनकीन भागलपुरी सिल्क साड़ियों को बाकि सिल्क साड़ियों से अलग करती हैं. अब वेजिटेबल डाई की जगह एसिड डाई का इस्तेमाल किया जाता है.
बनारसी साड़ियां अपने सोने और चांदी के ब्रोकैड या ज़री के काम, रेशम और शानदर कढ़ाई के लिए काफी फेमस हैं.
कश्मीर का पश्मीना GI प्रमाणित ऊन है जो 6 सामान्य स्वेटर जितना गर्म होता है. पश्मीना अपनी गर्माहट, नरमी, और खूबसूरती के लिए बेहद मशहूर है.
खादी एक ऐसा कपड़ा है जो सर्दियों में गर्मी और गर्मियों में ठंड का एहसास दिलाता है. खादी के कपड़े सूती, रेशम, या ऊन से बने हो सकते हैं.
इसे रेशम के कीड़े से बनाया जाता है लेकिन कीड़े को मारा नहीं जाता. मूगा सिल्क साड़ी जितनी पुरानी होती जाती है उतनी ही इसकी शाइन भी बढ़ती ही जाती है.