Happy Birthday Gulzar: महान गीतकार गुलजार की दिलचस्प बाते

By Editorji News Desk
Published on | Aug 18, 2023

दिखता है बंटवारे की दर्द

1947 में झेलम में सबछोड़ कर गुलजार हिंदुस्तान में आ गए थे. उनकी गजलों और नज्मों में बंटवारे की दर्द दिखता है.

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गैराज में करते थे काम

बंटवारे के दौरान गुलजार परिवार समेत दिल्ली में रहने लगे थे, घर चलाने के लिए गैराज में करते-करते हजल, नज्म और शायरी से दोस्ती बनाए रखी.

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ऐसे आए सिनेमा में

दिल्ली में गजल नज्म और शायरी में रुचि होने के चलते उनकी दोस्ता जाने-माने लेखकों से हो गई. जाने-माने गीतकार शैलेंद्र ने गुलजार की सिनेमा में एंट्री करा

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ऐसे खुला सिनेमा का रास्ता

एक बार शैलेंद्र की एसडी बर्मन से कहासुनी हो गई. तब शैलेंद्र ने गुलजार से फिल्म बंदिनी के गाने लिखने के लिए पूछा. तब गाना 'मोरा गोरा रंग लई ले' लिखा.

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अंतिम संस्कार में लगे पांच साल

गुलजार जब मुंबई में रहते थे तो उनका पूरा परिवार दिल्ली में था. पिता का जब निधन हुआ तो गुलजार को झटका लगा, जिसके चलते 5 साल बाद अंतिम संस्कार कर पाए.

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