Traditional food VS Organic food: एक समय था जब आर्गेनिक फ़ूड आइटम्स सिर्फ हेल्थ फ़ूड स्टोर्स में ही मिला करते थे लेकिन अब लगभग हर सुपरमार्केट (Healthy food in supermarket) में आपको इन फ़ूड आइटम्स का एक अलग सेक्शन मिल जाएगा. एक तरफ आपको मिलेंगे वो फ़ूड आइटम्स (List of organic food items) जो आप इतने सालों से खाते आये हैं और एक तरफ आर्गेनिक फ़ूड आइटम्स. अब सवाल ये उठता है कि इन दोनों में से किसे चुनना सही रहेगा?
सबसे पहले तो ये जान लीजिये एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट्स से उन्ही फ़ूड आइटम्स को ऑर्गेनिक फ़ूड का सर्टिफिकेट मिलता है जिन्हें तैयार करने में किसी भी तरह के फ़र्टिलाइज़र और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके अलावा मीट और डेयरी प्रॉडक्ट्स उन्ही जानवरों का होना चाहिए जिन्हें ऑर्गेनिक फ़ूड खिलाया जाता है और जिन पर किसी भी तरह के सिंथेटिक हॉर्मोन और एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल ना किया गया हो.
पैकेज्ड ऑर्गेनिक फ़ूड जैसे कुकीज़ और आइसक्रीम भी NPOP द्वारा दिए जाने वाले 'India Organic' या FSSAI द्वारा दिए जाने वाला 'जैविक भारत' सील के साथ होने चाहिए. कोई भी प्रॉडक्ट जिसके डिस्क्रिप्शन में ऑर्गेनिक शब्द का इस्तेमाल किया गया हो वो 'India Organic' या जैविक भारत सर्टिफाइड होना चाहिए और उसमें किसी भी तरह का आर्टिफिशियल प्रिज़र्वेटिव्स, कलर्स या फ्लेवर्स का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
2017 में इन फ़ूड आइटम्स का लगभग 50 बिलियन डॉलर्स का मार्केट था जिसके 2025 तक 70 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है. चलिए अब आपको बताते हैं ऑर्गेनिक फ़ूड के NCBI द्वारा बताये गए कुछ फायदे.
हेल्दी फैट
जब मिल्क और मीट की बात आती है तो पारंपरिक रूप से तैयार किये गए प्रॉडक्ट्स की तुलना में ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स में लगभग पचास प्रतिशत ज़्यादा ओमेगा- 3 फैटी एसिड पाया जाता है. इसलिए अगर आप कन्वेंशनल से ऑर्गेनिक फ़ूड पर स्विच करते हैं तो बिना कैलोरी या फैट की मात्रा बढाए आपका ओमेगा- 3 का इन्टेक बढ़ जाएगा.
ऑर्गेनिक फ़ूड नहीं होते हैं जेनेटिकली मॉडिफाइड
जेनेटिक इंजीनियरिंग के ज़रिये फसलों के गुणों में बदलाव किया जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर राजस्थान में धान की खेती करनी है और पानी कम है तो ऐसे बीज तैयार किये जाएंगे जो कम पानी में ही लहलहाती फसल दे सकें. ये सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसके इस्तेमाल से दिमाग के विकास पर असर पड़ सकता है. ऐसे फ़ूड आइटम्स पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियां पैदा कर सकते हैं. ऑर्गेनिक फ़ूड GMO फ्री होने के कारण सेफ माने जाते हैं.
नहीं किया जाता एंटीबायोटिक्स और सिंथेटिक हॉर्मोन्स का इस्तेमाल
कई बार पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए उन्हें एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं. जबकि ऑर्गेनिक फ़ूड के मामलों में ऐसा नहीं होता है. इसलिए ये इस्तेमाल करने के लिए ट्रेडिशनल फ़ूड की तुलना में ज़्यादा सेफ माने जाते हैं.
पर्यावरण के लिए सुरक्षित
आपकी सेहत के साथ साथ ऑर्गेनिक फ़ूड आइटम्स पर्यावरण के लिए भी काफी सुरक्षित माने जाते हैं. क्यूंकि इनकी खेती के दौरान कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है इसलिए इनके कारण वॉटर, सॉइल और एयर पॉल्यूशन भी काफी कम होता है.