देश में अलग-अलग ट्रिब्यूनल्स में खाली पदों की नियुक्तियों पर केन्द्र सरकार के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने भारी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने ट्रिब्यूनल नियुक्तियों के लिए अपनी सिफारिशों से चुन-चुनकर हो रही नियुक्तियों पर सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा है कि उसके द्वारा सिफारिश किए गए सभी लोगों को दो हफ्तों के अंदर नियुक्ति पत्र देकर केन्द्र सरकार हलफनामा दाखिल करे.
दरअसल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) और इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) में काफी समय से कई पद खाली हैं. जिस पर नियुक्तियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था. लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल कर बताया कि केन्द्र सरकार सिफारिश किए गए नामों से चुन-चुनकर नियुक्तियां कर रही है. चीफ जस्टिस ने कहा है कि मैंने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की नियुक्तियां देखी हैं. इसमें अधिक नामों की सिफारिशें की गईं लेकिन नियुक्तियों में 'चेरी पिकिंग' की गई. यह किस तरह का चयन है? ITAT सदस्यों के साथ भी यही किया गया. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार कुछ सिफारिशों का पालन नहीं करने की हकदार है.
इसके बाद CJI एनवी रमना ने कहा कि जिस तरह से फैसले लिए जा रहे हैं, उससे हम बहुत नाखुश हैं. उन्होंने कहा कि मैं भी NCLT चयन समिति का हिस्सा हूं. हमने 544 लोगों के साक्षात्कार लिए, जिनमें से हमने 11 न्यायिक सदस्य और 10 तकनीकी सदस्य दिए. इसके बावजूद सरकार ने चुन कर नियुक्तियां क्यों की?
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