पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) यानी सॉफ्टवेयर के जरिए मीडियाकर्मियों, नेताओं और जजों की कथित जासूसी का मामला पूरे देश में चर्चा में बना हुआ है. सोमवार को मामले के सामने आने के बाद इसके शिकार हुए लोगों की दिलचस्प प्रतिक्रिया सामने आ रही है.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने NDTV से कहा कि मैंने पांच बार मोबाइल हैंडसेट बदला, लेकिन हैकिंग जारी है. बता दें कि द वायर (The Wire) की रिपोर्ट में फोरेंसिक विश्लेषण के हवाले से बताया गया है कि बीते 14 जुलाई को ही प्रशांत के फोन से छेड़छाड़ की गई थी.
द वायर के फाउंडिंग एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन (Siddharth Varadarajan) का भी नाम जासूसी से पीड़ित लोगों में है. वरदराजन का कहना है कि पत्रकारों पर निगरानी या जासूसी करना मीडिया की आजादी पर हमला है.
इसका मकसद कुछ खास स्टोरीज की पड़ताल होने और उन्हें पब्लिश होने से रोकना है. अभी तो हमारे पास 40 ही नाम हैं लेकिन ये लिस्ट काफी बड़ी हो सकती है.
द वायर की वरिष्ठ पत्रकार रोहिणी सिंह (Rohini Singh) ने दिलचस्प ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार से जवाब देते ना बन रहा हो तो यूपी पुलिस को बता दें, अभी 5 मिनट में वॉशिंगटन पोस्ट, गार्डियन आदि पर हज़रतगंज थाने में गम्भीर धाराओं में मुक़दमा लिख कर एक प्रेस रिलीज जारी कर दी जाएगी ‘फोन टैपिंग से संबंधित मामला प्रथम दृष्टया फर्जी है, शायद विदेशी साजिश का हिस्सा है.
इस मामले पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी सरकार की खिंचाई की है. संस्थान की ओर ट्वीट में कहा गया है कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब लोकतंत्र के सारे स्तभों न्यायपालिका, संसद, मीडिया, सरकारी अधिकारी और मंत्रियों के खिलाफ जासूसी हुई है. ये जासूसी निजी फायदे के लिए की गई.
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