महालया का महत्व बंगाली समुदाय में कुछ खास है. मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग इस दिन का इंतजार करते हैं और महालया के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है. कहा जाता है कि महालया के दिन ही सबसे पहले पितरों को विदाई दी जाती है. महालया के दिन मां दुर्गा की आंखों को तैयार किया जाता है. मूर्तिकार इसमें रंग भरते हैं.
महालया के दिन पितरों का किया जाता है तर्पण
महालया के दिन पितरों को अंतिम विदाई दी जाती है. पितरों को दूध, तील, कुशा, पुष्प और गंध मिश्रित जल से तृप्त किया जाता है. इस दिन पितरों की पसंद का भोजन बनाया जाता है और विभिन्न स्थानों पर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसके अलावा इसका पहला हिस्सा गाय को, दूसरा देवताओं को, तीसरा हिस्सा कौवे को, चौथा हिस्सा कुत्ते को और पांचवा हिस्सा चीटियों को दिया जाता है.