हिंदू धर्म में करवाचौथ का व्रत बहुत खास है. हिंदी कैलेंडर के मुताबिक, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है. इस साल ये त्योहार 24 अक्टूबर रविवार को मनाया जा रहा है. सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं दिनभर भूखी-प्यासी रह कर शाम के समय कथा पढ़ती-सुनती हैं. करवा चौथ के दिन माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करने का विधान है. पूजा के बाद रात को चांद देखने की परंपरा है, चांद को अर्घ्य देकर जल ग्रहण करने के बाद ही करवा चौथ का व्रत संपन्न होता है.
द्रिक पंचांग के मुताबिक, करवा चौथ पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 43 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगा, यानि पूजा का मुहूर्त 01 घंटा 17 मिनट का है वहीं व्रत का समय सुबह 6 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा. जबकि करवा चौथ पर चंद्रोदय (Moonrise Time) का समय रात 8 बजकर 7 मिनट है, लेकिन अलग-अलग जगहों के हिसाब चांद के निकलने का समय भी अलग होता है. यहां देखिये अलग-अलग शहर, महानगर और राजधानी में चंद्रोदय का सही समय.
कोलकाता: 07 बजकर 36 मिनट
पटना: 07 बजकर 42 मिनट
लखनऊ: 07 बजकर 56 मिनट
देहरादून: 8 बजे
मेरठ 08 बजकर 05 मिनट
आगरा : 08 बजकर 07 मिनट
नोएडा 08 बजकर 07 मिनट
दिल्ली: 08 बजकर 08 मिनट
जयपुर: 08 बजकर 17 मिनट
मुंबई 08 बजकर 47 मिनट
बेंगलुरु 08 बजकर 39 मिनट
- व्रत के दिन सुबह स्नान करने बाद महिलाएं हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें और निर्जला उपवास शुरू करें
- करवा चौथ व्रत की पूजा में आठ पूरियों की अठावरी और हलवा बनाएं. साथ ही पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में श्री गणेश भगवान को बिठाएं
- गौरी को चुनरी ओढ़ाएं, बिंदी जैसे सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें. इसके बाद सामने जल से भरा एक कलश रखें
- करवा यानि मिट्टी के पात्र में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं
- करवा चौथ व्रत की कथा सुनते समय गेहूं या चावल के तेरह दाने हाथ में रखें. अब कथा के समाप्त होने पर इन्हें गौरी मां को चढ़ा दें. अब करवे से रात में चंद्रमा की आरती करें