देश की सबसे बड़ी अदालत ने साफ किया है कि सरकार की राय से अलग राय रखने वाले विचारों को देशद्रोह नहीं कहा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान की. कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ आरोपों को साबित नहीं करने पर याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला ने अनुच्छेद-370 पर भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की मदद मांगी थी. उसने फारूक के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की थी. हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस आरोप को गलत ठहराया और कहा था कि अब्दुल्ला के बयानों को गलत तरीके से और तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.