भारत ने दक्षिणी गाजा के रफह शहर पर इजराइली हमले में आम नागरिकों की मौत को ‘‘हृदय विदारक’’ बताते हुए बृहस्पतिवार को संघर्ष के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान करने का आह्वान किया.
गाजा के स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि 26 मई को हुए हवाई हमले में 45 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर लोग तंबुओं में शरण लिए हुए थे। इस हमले से दुनिया भर में भारी आक्रोश फैल गया और यहां तक कि इजराइल के कुछ करीबी सहयोगियों ने भी इसकी आलोचना की.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘रफह स्थित शरणार्थी शिविर में नागरिकों की हृदय विदारक मौत हमारे लिए गहरी चिंता का विषय है.’उन्होंने कहा, ‘‘हमने लगातार आम नागरिकों की सुरक्षा और क्षेत्र में जारी संघर्ष में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के सम्मान का आह्वान किया है.’’
जायसवाल अपने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में गाजा की स्थिति पर पूछे गए प्रश्न का जवाब दे रहे थे.उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी रेखांकित करते हैं कि इजराइली पक्ष ने पहले ही इसे एक दुखद घटना मानते हुए इसकी जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है तथा घटना की जांच की घोषणा कर दी है.’’
गाजा में युद्ध के बीच स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे ने फलस्तीन को राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी थी। इस बारे में पूछे गए सवाल पर जायसवाल ने कहा कि भारत ने 1980 के दशक में ही ऐसा कर दिया था.उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने 1980 के दशक में ही फलस्तीन को मान्यता दे दी थी.हमारा लंबे समय से यह रुख रहा है कि हम दो राष्ट्र समाधान का समर्थन करते हैं, जिसमें मान्यता प्राप्त और परस्पर सहमत सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, व्यवहार्य और स्वतंत्र फलस्तीन राज्य की स्थापना शामिल है, जो इजराइल के साथ शांति से रह सके.’’
हमास द्वारा सात अक्टूबर को इजराइली शहरों पर किए गए अभूतपूर्व हमले के जवाब के रूप में इजराइल ने गाजा में अपना सैन्य अभियान शुरू किया.हमास ने इजराइल में लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी तथा 220 से अधिक लोगों का अपहरण कर लिया, जिनमें से कुछ को संक्षिप्त युद्ध विराम के दौरान रिहा कर दिया गया.इसके जवाब में इजराइल की सैन्य कार्रवाई में करीब 35 हजार लोग मारे गए हैं.