गीतांजली श्री (Geetanjali Shree) इंटनेशनल बुकर प्राइज (International Booker Prize) जीतने वाले पहली भारतीय महिला बन गई हैं तो 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (Tomb of Sand) ये पुरस्कार जीतने वाला भारतीय भाषा का पहला उपन्यास. गुरुवार को लंदन में एक समारोह में लेखिका गीतांजली को पुरस्कार दिया गया जिसे उन्होंने इस नोवेल की अंग्रेजी अनुवादक रहीं डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया. मूल रूप से नोवेल 'टॉम्ब ऑफ सैंड' हिंदी में प्रकाशित हुई 'रेत समाधि' का ही अंग्रेजी अनुवाद है जिसे अमेरिका में रहने वाली डेजी रॉकवेल (Daisy Rockwell) ने ट्रांसलेट किया. 'टॉम्ब ऑफ सैंड' के अलावा 12 किताबों को इंटनेशनल बुकर प्राइज के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था.
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इस उपलब्धि के बाद गीतांजली श्री ने कहा कि मैं काफी खुश हूं और विनम्र महसूस कर रही हूं. इस पुरस्कार का मिलना सचमुच एक अलग तरह की संतुष्टि है. गीतांजली ने कहा कि 'टॉम्ब ऑफ सैंड' उस दुनिया के लिए शोकगीत है जिसमें हम निवास करते हैं और बुकर इसे बाकी लोगों तक पहुंचाएगा. निर्णायक पैनल के अध्यक्ष फ्रैंक विने बोले कि भारत और विभाजन का ये उपन्यास युवा उम्र, करुणा, परिवार और राष्ट्र को कई आयाम में ले जाता है. उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से ताल्लुक रखने वाली गीतांजली श्री तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह लिख चुकी हैं. उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है.
बुकर प्राइज अग्रेजी में अनुवाद और ब्रिटेन या आयरलैंड में पब्लिश किसी एक बुक को हर साल दिया जाने वाला पुरस्कार है. 2022 के लिए चयनित की गई किताबों की घोषणा सात अप्रैल को लंदन बुक फेयर में की गई थी जबकि विनर की अनाउंसमेंट अब की गई है.
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