Article 370: अनुच्छेद 370 ख़त्म करने और जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ 11 दिसंबर को फैसला सुनाएगा. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कई सवाल पूछे और अब फैसले की घड़ी है तो चलिए जानते हैं कि
17 अक्तूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को एक ‘अस्थायी उपबंध’ (temporary provision) के रूप में भारतीय संविधान में जोड़ा गया था. अनुच्छेद 370 द्वारा जम्मू- कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया था, राज्य को स्वयं के संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति प्राप्त हुई थी और राज्य में भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को नियंत्रित रखा गया था
एन. गोपालस्वामी अयंगर द्वारा संविधान के मसौदे में अनुच्छेद 306A के रूप में पेश किया गया था.अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य की संविधान सभा को यह अनुशंसा करने का अधिकार दिया गया था कि भारतीय संविधान के कौन-से अनुच्छेद राज्य पर लागू होंगे
राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को भंग कर दिया गया था। अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा भारत के राष्ट्रपति को इसके उपबंधों और दायरे में संशोधन कर सकने की शक्ति प्रदान की गई थी.
अनुच्छेद 35A को जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की अनुशंसा पर 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश (Presidential Order) के माध्यम से पेश किया गया था. अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेष अधिकारों और विशेषाधिकारों (special rights and privileges) को परिभाषित करने का अधिकार देता था
5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (1) द्वारा मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए ‘संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019’ जारी किया. इसके माध्यम से भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 में संशोधन किया.
Article 370 मामले पर 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा का फैसला