संगीत को स्ट्रेस कम करने के सबसे बेहतरीन तरीकों में माना जाता है. दिन भर के काम के बाद जब हम थका हुआ महसूस करते हैं तो कई बार हमारे फेवरेट गानों की प्लेलिस्ट हमें रिलैक्स करने में काफी मदद करती है. लेकिन क्या आप जानते हैं भले ही संगीत आपकी थकान उतारकर आपके स्ट्रेस को कम करने में मदद करता हो लेकिन ये आपकी सोने या अच्छी नींद आने में मदद नहीं करता.
आप भी सरप्राइस्ड हुए ना? ऐसा हमारा नहीं, साइंस का कहना है....
यूनाइटेड स्टेट्स में हुई एक रीसर्च में म्यूज़िक सुनने और नींद के बीच कनेक्शन का पता लगाने की कोशिश की गयी. स्लीप रिसर्चर माईकल स्कुलिन के नेतृत्व में इमेजिनरी म्यूजिकल मेकेनिज़्म के बारे में स्टडी की गयी. IMM को आम भाषा में ईयरवॉर्म भी कहा जाता है. इसमें आपके दिमाग में कोई गाना या धुन लगातार चलती रहती है.
स्टडी में पता चला कि सिर्फ जागते हुए नहीं बल्कि नींद में भी म्यूजिक प्लेयर बंद होने के बाद गाना आपके दिमाग में चलता रहता है. साइकोलॉजिकल साइंस नाम के जर्नल में छपी इस रिसर्च में बताया गया है कि जिन लोगों को हफ्ते में एक या दो बार रात को सोते समय ईयरवॉर्म यानी दिमाग में लगातार कोई गाना बजने की समस्या से दो चार होना पड़ता है उनकी स्लीप क्वालिटी बाकी लोगों की तुलना में छह गुना ज़्यादा खराब होती है. यानी वो रात में सही से सो नहीं पाते हैं.
इस स्टडी में आश्चर्यचकित करने वाली जो बात सामने आई वो ये थी कि इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक जिसे रिलैक्सिंग, सूदिंग और हार्मलेस माना जाता है ये आपकी स्लीप क्वालिटी को और ज़्यादा बिगाड़ सकता है. आमतौर पर म्यूजिक को हिप्नोटिक माना जाता है जो सोने में आपकी मदद कर सकता है लेकिन इस स्टडी में सामने आये रिजल्ट्स इसके विपरीत हैं.
रिसर्चर्स का कहना है कि रात को सोने से पहले म्यूजिक सुनने की बजाय आप अच्छी नींद के लिए क्रॉसवर्ड या पज़ल सॉल्व करने जैसी एक्टिविटी में खुद को व्यस्त करें. इससे ईयरवॉर्म की समस्या से बचा जा सकता है.