वो ब्रिटेन में गर्मियों के दिन थे...साल था 1978... कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) के 52 साल के फिजिशियन रॉबर्ट एडवर्ड्स की गोद में एक नवजात बच्ची को दिया गया...उस बच्ची को गोद में लेकर एडवर्ड्स (Robert Edwards) ने कहा- मैं आशा करता हूं कि कुछ ही वर्षों में ऐसे बच्चे अजूबा होने के बजाय एक सामान्य मेडिकल प्रैक्टिस बन जाएंगे. ये बयान बेहद अहम था क्योंकि उनकी गोद में थी दुनिया की फर्स्ट टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस ब्राउन ( Louise Brown)...
90 लाख से ज्यादा टेस्ट ट्यूब बेबी
तब से लेकर अब तक करीब 90 लाख से ज्यादा बच्चे टेस्ट ट्यूब या यूं कहें IVF तकनीक से पैदा हो चुके हैं जो डॉक्टर एडवर्ड्स के उस बयान को सही साबित करते हैं. अहम ये है कि इस क्रांतिकारी तकनीक की खोज का श्रेय भी डॉक्टर एडवर्ड्स को ही जाता है... जिसकी वजह से दुनिया के करोड़ों नि:संतान दंपत्तियों के घरों में अब किलकारियां गूंज रही हैं...इस खोज के लिए बाद में उनको नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. आपको ये भी बता दें कि जिस दिन लुइस ब्राउन का जन्म हुआ उस दिन तारीख थी 25 जुलाई 1978...
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कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में फिजिशियन थे रॉबर्ट एडवर्ड्स
आज खरबों रुपए के व्यापार में बदल चुके IVF तकनीक की खोज 44 साल पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के 52 वर्षीय एक फिजिशियन रॉबर्ट एडवर्ड्स (Physician Robert Louis) ने की थी, जिन्हें इसी खोज के लिए साल 2010 में मेडिसिन के नोबेल सम्मान (Nobel Award) से भी नवाजा गया था. दरअसल, ब्रिटेन की एक दंपत्ति लेस्ली और जॉन ब्राउन डॉ एडवर्ड्स के पास इलाज के लिए आए थे. उनकी शादी को 9 साल हो चुके थे लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी. डॉ एडवर्ड्स ने जांच में पाया की लेस्ली की फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने से वह गर्भवती नहीं हो पा रही थीं.
डॉ एडवर्ड्स के प्रोजेक्ट से जुड़े थे लेस्ली और जॉन ब्राउन
इसके बाद डॉ एडवर्ड्स ने उन्हें अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताया, जिसमें वे करीब 280 महिलाओं को लेकर IVF तकनीक का प्रयोग कर रहे थे. कोई और रास्ता न देखकर लेस्ली भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन गईं. वक्त गुजरा और प्रोजेक्ट में शामिल 280 में से 5 महिलाएं गर्भवती हुईं लेकिन इस तकनीक की मदद से केवल लेस्ली ही बच्ची को जन्म दे पाईं और दुनिया को मिल गई पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस ब्राउन.
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जन्म के समय ब्राउन का वजन 2.6 किलोग्राम था. खुद ब्राउन ने अपनी आत्मकथा में इसका जिक्र किया है. उनके पैरेंट्स ने उनके पैदा होने के समय का वीडियो भी उन्हें दिखाया था. लुइस की छोटी बहन नैटली ब्राउन भी उनके जन्म लेने के 4 साल बाद IVF तकनीक से ही हुई थीं.
पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस ब्राउन अब 44 साल कीं
दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुइस ब्राउन इस एपिसोड के लिखे जाने तक 44 साल की हो चुकी हैं. मैनचेस्टर (Manchester) के ओल्डहैम जनरल हॉस्पिटल में जन्मीं लुइस के मुताबिक इतिहास से जुड़े होने की वजह से वो खुद को बेहद खास मानती हैं लेकिन शुरू में ऐसा नहीं था. कुछ लोग उन्हें अजीब नजरों से भी देखते थे क्योंकि लोग उन्हें अलग मानते थे.
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उनके घर में कई चिठ्ठियां आती थीं जिनमें से कुछ में अच्छी बातें लिखी होती थीं और कुछ में भद्दी बातें भी लिखी होती थीं. लुइस के मुताबिक उनकी जिंदगी का आधा समय दुनिया को ये समझाते हुए ही निकल गया कि वो भी एक आम बच्ची या सामान्य इंसान हैं. बाद में अपनी बात समझाने के लिए उन्होंने एक किताब भी लिखी जिसका नाम है- 'माय लाइफ एज द वर्ल्ड्स फर्स्ट टेस्ट ट्यूब बेबी (My life as the world's first 'test tube baby').
क्या होती है IVF तकनीक ?
बात जब लुइस ब्राउन की हो रही है तो आपको ये भी बता देंते हैं कि आखिर IVF तकनीक है क्या. दरअसल, IVF का पूरा नाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilisation) है. इस प्रक्रिया द्वारा पति-पत्नी अपना बच्चा आर्टिफिशियल तरीके से पैदा कर सकते हैं. इस प्रोसेस में सबसे पहले अंडों के उत्पादन के लिए महिला को फर्टिलिटी की दवाइयां दी जाती हैं.
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इसके बाद सर्जरी के माध्यम से अंडों को निकाल कर प्रयोगशाला में कल्चर डिश में तैयार मेल के शुक्राणुओं के साथ मिलाकर निषेचन यानि फर्टिलाइजेशन के लिए रख दिया जाता है. पूरी प्रक्रिया में अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद इसे लैब में दो या तीन दिन के लिए रखा जाता है, फिर पूरी जांच के बाद इससे बने भ्रूण को वापस महिला के गर्भ में इम्प्लांट कर दिया जाता है.
IVF की प्रक्रिया में 2 से 3 हफ्ते लगते हैं
IVF की इस प्रक्रिया में दो से तीन हफ्ते का समय लग जाता है. बच्चेदानी में भ्रूण इम्प्लांट करने के बाद 14 दिनों में ब्लड या प्रेग्नेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता और असफलता का पता चलता है.
IVF को लेकर लोगों के बीच में आज भी कई भ्रांतियां फैली हुई हैं जो कि सभी बेबुनियाद हैं. IVF से पैदा हुए बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य होते हैं. खुद लुइस ब्राउन इसकी जीती-जागती मिसाल हैं. उन्होंने साल 2006 में अपने पहले बेटे कैमरोन को प्राकृतिक तरीके से जन्म दिया. आज लुइस के दो बच्चे हैं.
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लुइस की कहानी तो आपको पता चल गई लेकिन आपको ये जानकर खुशी होगी कि लुइस के जन्म के ठीक 67 दिनों बाद भारत में भी डॉ सुभाष मुखोपाध्याय (Dr. Subhash Mukhopadhyay) की देखरेख में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ. उनका जन्म दुर्गापूजा के दिन हुआ इसलिए पहले तो लोग उन्हें दुर्गा कहने लगे लेकिन बाद में उनका नाम रखा गया- कनुप्रिया अग्रवाल. आज कनुप्रिया भी विवाहित हैं और फिलहाल एक कंप्यूटर कंसल्टेंसी कंपनी में मैनेजर हैं.
चलते-चलते आज के दिन हुई दूसरी अहम घटनाओं पर भी निगाह डाल लेते हैं.
1813: भारत में पहली बार नौका दौड़ प्रतियोगिता कलकत्ता में आयोजित
1943: इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने सत्ता छोड़ी
1994: जॉर्डन और इजरायल के बीच 46 वर्ष से चल रहा युद्ध समाप्त
2007: प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भारत की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली