क्या इस साल भारत 52 डिग्री टेंपरेचर ( 52 Degrees Temperature fear in India ) देखने जा रहा है? ये सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि भारत में लगातार तापमान बढ़ने की खबरें देखी जा रही है. सबसे हालिया रिकॉर्ड पोखरण के पास मौजूद फलोदी का है, जहां 19 मई 2016 को 51 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. 1901 से 2020 के 120 सालों में, भारत के सालाना औसत तापमान में 0.62 डिग्री सेल्सियस / 100 वर्षों की बढ़ोतरी वाली प्रवृत्ति दिखाई दी है. इसमें महत्वपूर्ण पक्ष अधिकतम तापमान का है. इसमें 100 सालों में 0.99 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है, वहीं न्यूनतम तापमान में इसी दौरान 0.24 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई है.
भारत में बीते इस साल मार्च में गर्मी शुरुआत ही डराने वाली रही है. बीते दो महीनों में पश्चिमी राजस्थान और महाराष्ट्र के विदर्भ का अधिकतम तापमान 40 डिग्री से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहा है.
2022 में देश में गर्मी वक्त से पहले शुरू हुई. मार्च में औसत तापमान 122 सालों में सबसे ज्यादा रहा. उत्तर-पश्चिम भारत में तापमान 122 साल में सबसे ज्यादा दिखाई दे रहा है. उत्तर पश्चिम भारत में अधिकतम तापमान 30.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. ये 122 वर्षों में सबसे ज्यादा था.
इसके साथ ही, पूर्वोत्तर भारत में जहां आमतौर पर तेज बारिश होती है, वहां इस बार ज्यादा बारिश नहीं हुई. इसी वजह से पूर्वोत्तर भारत का न्यूनतम तापमान भी 122 सालों में सबसे ज्यादा दर्ज किया गया. यह 25.20 डिग्री सेल्सियस पर रहा.
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हालात इशारा कर रहे हैं कि कहीं इस बार गर्मी एक नया दौर तो नहीं दिखाने जा रही? जो और भी मुश्किल होगा, और भी तकलीफ भरा होगा...!
कितना टेंपरेचर सह सकता है मानव शरीर || How much temperature can the human body tolerate?
एक साधारण मानव शरीर का तापमान 98.6 डिग्री Fahrenheit होता है जो 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है. इससे ऊपर का टेंपरेचर बुखार कहा जाता है. लू के थपेड़े अगर बार बार शरीर पर पड़ें, तो यह हाइपरथर्मिया की वजह बन जाता है. यह जनलेवा भी हो सकता है. आमतौर पर यह माना जाता है कि मनुष्य जिस अधिकतम तापमान पर जीवित रह सकता है वह 108.14 डिग्री Fahrenheit या 42.3 डिग्री सेल्सियस है.
हाई टेंपरेचर की वजह से मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है. सीधे शब्दों में कहें, तो इससे मानव शरीर एक भूने हुए अंडे में भी बदल सकता है.
Fahrenheit और Celsius का फर्क || Difference between Fahrenheit and Celsius
Celsius और Fahrenheit दो पैमाने हैं जिनका इस्तेमाल टेंपरेचर मापने के लिए किया जाता है. 1 डिग्री सेल्सियस में 2.66 डिग्री फारेनहाइट टेंपरेचर होता है. मानव शरीर का सामान्य टेंपरेचर 37 डिग्री सेल्सियस होता है जो फारेनहाइट में 98.6 ° डिग्री हो जाता है.
1948 में सेंटीग्रेड स्केल का नाम बदलकर "सेल्सियस" स्केल कर दिया गया था और अब ज्यादातर देश सेल्सियस स्केल का ही इस्तेमाल करते हैं. भारत सहित, कुछ दूसरे देश बॉडी टेंपरेचर नापने के लिए फारेनहाइट तरीके का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रिटिश काल के भारत में सिर्फ फारेनहाइट थर्मामीटर ही उपलब्ध थे. चाइनीज थर्मामीटर सेंटीग्रेड औ फारेनहाइट दोनों स्केल दिखाता है.
फारेनहाइट में, पानी 212 डिग्री पर उबलता है और 32 डिग्री पर जम जाता है. डिग्री सेल्सियस में पानी 0 डिग्री पर जमता है और 100 डिग्री सेल्सियस पर गर्म होता है
फ़ारेनहाइट से सेल्सियस निकालने का नियम: (° F - 32) / 1.8 = ° C
सेल्सियस को फारेनहाइट में बदलने का नियम: ° C × 1.8 + 32 = ° F
बढ़ता तापमान खतरे की घंटी? || Rising temperature Dangerous?
दुनिया में भी टेंपरेचर हाई है और उत्तर भारत में भी ऐसा ही है... मानसून में देरी है और इसका असर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दिखाई दे रहा है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में औसत तापमान सामान्य से ज्यादा है. अच्छी बात ये है कि मनुष्य का खून गर्म होता है. homeostasis एक ऐसा मकैनिज्म है जिसके जरिए मानव मस्तिष्क, बॉडी का टेंपरेचर रेगयुलेट करता है और इसे सर्वाइवल रेंज में लेकर आता है. लेकिन इसकी भी एक सीमा है.
हवा कब बन जाती है लू? || When does the wind become Heat Wave?
भारत में गर्मी की शुरुआत के साथ ही लू का चलना कोई नई बात नहीं है, खासकर मई और जून के महीने में... लू की परिभाषा हर देश के लिए अलग अलग है और ये वहां की क्लाइमेट कंडीशन पर डिपेंड करती है. भारत में इसे तय करने के लिए दो पैरामीटर हैं.
बाहरी टेंपरेचर 40 डिग्री से ज्यादा होना चाहिए.
किसी तय दिन टेंपरेचर पिछले दिन से 4.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होना चाहिए.
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लेकिन अगर टेंपरेचर 45 डिग्री के पार हो जाए, तब IMD और उसके रीजनल सेंटर टेंपरेचर के 4.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का इंतजार नहीं करते हैं.
मानव शरीर ने कब कब झेला हाई टेंपरेचर? || When did the human body faced high temperature?
अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक जगह है- Furnace Creek Ranch जहां अब तक का सबसे गर्म तापमान रिकॉर्ड किया गया है.
यह 56.7 डिग्री सेल्सियस या 134 डिग्री फ़ारेनहाइट है, जिसे 10 जुलाई, 1913 को दर्ज किया गया था. उस समय इस जगह को ग्रीनलैंड रेंच कहा जाता था, लेकिन इसके हाई टेंपरेचर ने इसे नया नाम दे दिया.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने 2010-12 की समीक्षा में इसे सबसे गर्म तापमान वाली जगह माना. इसने तब 1922 में लीबिया के अल अज़ीज़िया में दर्ज 58 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया था.
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अब आप सोचेंगे कि 58 डिग्री सेल्सियस तो ज्यादा हुआ, फिर ये कैसे रिकॉर्ड में पीछे रह गया. जांच समिति (जिसमें लीबिया, इटली, स्पेन, मिस्र, फ्रांस, मोरक्को, अर्जेंटीना, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के एक्सपर्ट थे) ने 1922 के एल अज़ीज़िया तापमान रिकॉर्ड में कई खामियां पाई थीं. जिसमें समस्याग्रस्त उपकरण, अनुभवहीन पर्यवेक्षक सहित दूसरी कई वजहें शामिल थीं
भारत में, राजस्थान के फलोदी में अब तक के उच्चतम तापमान का रिकॉर्ड है. पोखरण के पास फलोदी में 19 मई 2016 को 51 डिग्री सेल्सियस या 123.8 डिग्री Fahrenheit का तापमान दर्ज किया गया था.
राजस्थान का चुरू, अक्सर ही हाई टेंपरेचर के लिए खबरों में रहता है. अगस्त 2017 में यहां 50.2 डिग्री सेल्सियस या 122.4 डिग्री फ़ारेनहाइट का टेंपरेचर दर्ज किया गया.
10 जून, 2019 को, दिल्ली ने अपना सबसे ज्यादा तापमान 48-डिग्री सेल्सियस दर्ज किया. इसने पिछले 47.8-डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड को ध्वस्त किया. यह टेंपरेचर 10 जून, 2014 को पालम में दर्ज किया गया था.
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