जावेद अख्तर ने उर्दू का सिर्फ मुस्लिमों की भाषा होने से किया इंकार

By Editorji News Desk
Published on | Jan 17, 2024

किसी भाषा पर धर्म का एकाधिकार नहीं

'भाषा क्षेत्र से निकलती है, धर्म से नहीं और उर्दू भी उतनी ही हिंदुस्तानी भाषा है जितनी हिंदी है.' :जावेद अख्तर

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भाषा को अंग्रेजों और राजनीति ने बांटा

'200 साल पहले हिंदी और उर्दू समान थीं, लेकिन इसके बाद इसे अंग्रेजों ने उत्तर भारत में सांस्कृतिक अंतर पैदा करने के लिए अलग किया.' :जावेद अख्तर

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किसी भाषा के लिए नहीं लिखा

'मैं हिंदुस्तान के लिए लिख रहा हूं. मैं उर्दू भाषियों या हिंदी भाषियों के लिए नहीं लिख रहा हूं' :जावेद अख्तर

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संस्कृती को लेकर मुखर रहे जावेद

जावेद अक्सर भारत की सांस्कृतिक को लेकर मुखर रहे हैं. उन्होंने इस देश को किसी धर्म का नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान का बताया है.

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27 रुपये लेकर आए थे मुबंई

जावेद आंखों में बड़े सपने लिए 19 साल की कम उम्र में वह मुंबई आ गए थे. जेब में सिर्फ 27 रुपए लेकर जब वह मुंबई रेलवे स्टेशन पर उतरे थे.

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