क्या है चौरी चौरा कांड? 100 साल पहले इस घटना से हिल गया था पूरा देश

Updated : Feb 04, 2021 13:10
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Editorji News Desk

चौरी-चौरा की घटना के 100 साल पूरे हो गए हैं. चौरी चौरा कांड 4 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में हुई थी, जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था. जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी, जिससे उनके सभी कब्जेधारी मारे गए. इस घटना के कारण तीन नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. कहा जाता है कि चौरी चौरा कांड से पूरा देश हिल गया था. महात्मा गांधी, जो हिंसा के सख्त खिलाफ थे, उन्होंने इस घटना के बाद 12 फरवरी 1922 को राष्ट्रीय स्तर पर असहयोग आंदोलन को रोक दिया था.  महात्मा गांधी के इस फैसले को लेकर क्रांतिकारियों का एक दल नाराज़ हो गया था. 16 फरवरी 1922 को गांधीजी ने अपने लेख 'चौरी चौरा का अपराध' में लिखा कि अगर ये आंदोलन वापस नहीं लिया जाता तो दूसरी जगहों पर भी ऐसी घटनाएँ होतीं.

चौरी-चौरा कांड के अभियुक्तों का मुकदमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लड़ा और उन्हें बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी.

महात्मा गांधीगोरखपुरआजादीउत्तर प्रदेशस्वतंत्रता दिवसभारत

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