सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में सहमति से सेक्स को रेप मानने से इनकार कर दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि अगर लंबे वक्त तक चले रिश्ते में सहमति से सेक्स होता है और पुरुष महिला से शादी करने का अपना वादा नहीं निभा पाता तो इसे रेप नहीं कहा जा सकता. दरअसल मामला कॉल सेंटर के दो कर्मचारियों से जुड़ा था जो पांच साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में थे. आरोप है कि बाद में लड़के ने किसी और शादी कर ली. जिसके बाद लड़की ने उस पर रेप का केस दर्ज कर दिया. इसी केस में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी लड़के की गिरफ्तारी पर आठ हफ्ते के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान ये पता लगाया जाए कि शिकायतकर्ता ने अब तक बलात्कार को साबित करने के लिए सबूत पेश किया है या नहीं.