सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि- गलत पर बोलना हक ही नहीं हर किसी का फर्ज भी है. 140 पन्ने के जवाब में भूषण ने कहा है कि, मौजूदा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सुपरबाइक वाली तस्वीर पर उन्होंने जो ट्वीट किया था और बीते 6 साल में सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर जो टिप्पणी करी थी, वो सोच समझकर की. भूषण बोले कि चीफ जस्टिस की आलोचना कोर्ट की आलोचना नहीं है और अगर किसी को इस से रोका जाता है तो यह अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट है.
CJI की बाइक वाली तस्वीर पर उन्होंने लिखा कि - जब 3 महीने से SC बंद हो, लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा हो, ऐसे में CJI का बिना मास्क पहने पब्लिक प्लेस में नजर आना कितना सही है? तो 27 जून वाले ट्वीट पर उन्होंने लिखा कि- मेडिकल रिश्वत कांड में CJI दीपक मिश्रा खुद पार्टी थे तो फिर जजों को क्यों तय किया. CJI रंजन गोगोई के कार्यकाल में राफेल समेत कई मामलों की जानकारी बंद लिफाफे में क्यों ली गई. इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर धारा 370 तक की याचिकाओं पर सुनवाई क्यों नहीं हुई. यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी होते हुए सुनवाई वाली बेंच में वो कैसे मौजूद रहे. तो CJI बोबडे के दौर में CAA के मामलों पर सुनवाई क्यों नहीं की गई, प्रवासी मजदूरों की तकलीफों की अनदेखी क्यों की गई?