महबूबा मुफ्ती की रिहाई के साथ ही घाटी की राजनीति में हलचल हो गई है.अनुच्छेद 370 की बहाली के मसले पर घाटी के सियासी नुमाइंदे अपनी रंजिश भुलाकर एक प्लेटफॉर्म तले आ गए हैं. फारुक अब्दुल्ला ने अपनी जीवन भर प्रतिद्वंदी रही महबूबा मुफ्ती के साथ गठजोड़ कर लिया है. कुल सात राजनीतिक पार्टियों की इस एकजुटता को पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन का नाम दिया गया है.बैठक के बाद फारुक़ अब्दुल्ला ने कहा कि वो जम्मू कश्नीर को वो सारे अधिकार दिलाने के लिए लड़ाई लड़ेंगे, जो उससे 5 अगस्त 2019 को छीन लिए गए थे
चार अगस्त 2019 को फारुक अब्दुल्ला के घर एक सर्वदलीय बैठक हुई थी, जिसमें गुपकार समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे इसमें सभी पार्टियों ने एकमत से फैसला लिया था कि जम्मू कश्मीर की पहचान, स्वायत्ता और विशेष दर्जे को बचाने के लिए वो मिलकर कोशिश करेंगी