South Africa: रंगभेद के खिलाफ संघर्ष करने वाले और नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel peace prize) जीतने वाले दक्षिण अफ्रीका के आर्चबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू (Archbishop Desmond Tutu) का रविवार को निधन हो गया. वो 90 साल के थे. आर्चबिशप टूटू का निधन केप टाउन में हुआ. टूटू कई वर्षों से को प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे.
टूटू करियर के शुरुआत में पेशे से शिक्षक थे, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को देखते हुए उन्होंने शिक्ष का पेशा छोड़ दिया और प्रीस्ट बन गए. 1984 में डेसमंड टूटू को रंगभेद के विरोध के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था. इसके अलावा उन्हें भारत सरकार ने 2007 में गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया था.
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रंगभेद के कट्टर विरोधी, काले लोगों के दमन वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रूर शासन के खात्मे के लिए टूटू ने अहिंसक रूप से अथक प्रयास किए. उत्साही और मुखर पादरी ने जोहानिसबर्ग के पहले काले बिशप और बाद में केप टाउन के आर्चबिशप के रूप में अपने उपदेश-मंच का इस्तेमाल किया और साथ ही घर तथा विश्व स्तर पर नस्ली असमानता के खिलाफ जनता की राय को मजबूत करने के लिए लगातार सार्वजनिक प्रदर्शन किया.