Pakistan Economic Crisis : पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इन दिनों मुश्किल दौर में है... देश की हालत धराशायी न हो जाए इसलिए आपाधापी में कई कदम उठाए जा रहे हैं... संकट इतना भयानक है कि वाशिंगटन में दूतावास (Pakistan Embassy in Washington) की संपत्ति को बिक्री के लिए रख दिया है... बिजली बचाने के लिए शॉपिंग मॉल, शादी के हॉल, रेस्टोरेंट और बाजारों को जल्दी बंद करने का निर्देश दिया गया है.
पुलिस की 1,167 वैकेंसी के लिए 30, 000 लोगों का इम्तिहान हुआ और वो भी पाकिस्तान के सबसे बड़े स्टेडियम में... जिन्ना स्पोर्ट्स स्टेडियम (Jinnah Sports Stadium) में ऐसा इसलिए किया गया ताकि बिजली को बचाया जा सके... आर्थिक बोझ से दबे पाकिस्तान को जिस तिनके का सहारा है, ये कोशिश भी उसमें से एक थी.
जुलाई की शुरुआत से ज्यादा बिजली खर्च वाले बिजली के पंखों और बल्ब के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
बिजली बचाने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर कैंपन की शुरुआत का फैसला लिया गया है. पानी की कीमतें फिर से तय होंगी. हाउसिंग सोसायटीज के लिए नए नियम बनाए जाएंगे.
हर सरकारी दफ्तर में इलेक्ट्रिक अपलायंसेस इस्तेमाल न करने का निर्देश खुद पीएम ने दिया है.
पाकिस्तान में बिजली की जरूरत इंपोर्ट किए जाने वाले ऑयल से पूरी होती है और यही ऑयल समस्या की जड़ बन गया है.
देश की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों से अच्छी स्थिति में नहीं है, जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट, यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्लोबल मुद्रास्फीति का बढ़ना, करेंसी की कीमत में गिरावट ने पाकिस्तान को बुरे दौर में पहुंचा दिया है... इंपोर्ट महंगे हो चुके हैं और विदेशी मुद्रा भंडार रसातल में पहुंच गया है.
आर्थिक फैक्टर्स ने जहां पाकिस्तान पर चोट की तो कुदरत ने भी दोहरी मार डाली है...बाढ़ ने देश में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई और लगभग साढ़े 3 करोड़ की आबादी को प्रभावित किया...विश्व बैंक ने 28 अक्टूबर 2022 को प्रकाशित अपने आकलन में कहा कि बाढ़ से हुए नुकसान और आर्थिक नुकसान का अनुमान $30 बिलियन ($14.9 बिलियन का नुकसान और $15.2 बिलियन का आर्थिक नुकसान) से ज्यादा है...
पाकिस्तान की सरकार द्वारा शॉपिंग सेंटर्स और बाजारों को हर दिन जल्दी बंद करने से 62 अरब पाकिस्तानी रुपये बच पाएंगे.
पाकिस्तान अपनी ज्यादातर बिजली इंपोर्ट किए जाने वाले फॉसिल फ्यूल से पैदा करता है.
वैश्विक तेल कीमतों में पिछले साल रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से उछाल आया. इससे देश की पहले से ही गिरती वित्तीय स्थिति पर और दबाव पड़ा.
उन एनर्जी इंपोर्ट के भुगतान के लिए देश को विदेशी मुद्रा, खासकर अमेरिकी डॉलर की जरूरत होती है.
पाकिस्तान के समाचार पत्र डॉन के मुताबिक, मार्च 2022 तक देश पर कुल कर्ज लगभग 43 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का था. इसमें सबसे ज्यादा लेनदारी इमरान खान के प्रधानमंत्री रहने हुई. इमरान ने 3 साल में ही जनता पर रोज लगभग 1400 करोड़ रुपए का कर्ज डाला.
पिछले साल विदेशी मुद्रा भंडार में जबर्दस्त गिरावट हुई... ये लगभग 50 फीसदी थी... पिछले महीने पाकिस्तान के पास 11.7 बिलियन डॉलर ही विदेशी मुद्रा उपलब्ध थी. यह देश के सभी आयातों के लगभग एक महीने के मूल्य को ही कवर कर सकती है, और इसमें ज्यादातर रकम ऊर्जा जरूरत पर ही खर्च होनी है...
2019 में पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से $ 6bn की रकम बेलआउट पैकेज के रूप में हासिल की थी, जबकि पिछले साल अगस्त में इसे और $ 1.1bn की राशि मिली.
सरकार 1.1 अरब डॉलर की अतिरिक्त राहत राशि जारी करने में देरी को लेकर भी आईएमएफ के साथ बातचीत कर रही है.
पिछले साल देश में आई विनाशकारी बाढ़ से पाकिस्तान की हालत और भी खस्ताहाल हो गई.
अक्टूबर में विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि बाढ़ से देश को 40 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
पाक की बदहाल स्थिति के बीच आटे और गैस की आसमान छूती कीमतों ने और भी डराने का काम किया है... पाकिस्तान के खैबर पख्तूनखवा से ऐसे वीडियो सामने आए जिसमें लोग प्लास्टिक की थैली में रसोई गैस भरकर ले जाते दिखाई दिए... रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में कमर्शियल गैस सिलेंडर 10,000 पाकिस्तानी रुपये में मिल रहा है...
एक धराशायी होते मुल्क की दास्तां सचमुच सहमा देने वाली है...
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