रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को शुक्रवार को चार महीने पूरे हो गए हैं. चार महीने लंबी चली इस जंग में शहर के शहर तबाह (devastation ) हो गए और हजारों सैनिकों की मौत हुई. भीषणता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि करीब 80 लाख लोग अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हुए. जो जंग से बच भी गए तो उनकी जान खाद्यान संकट (food crisis) या अन्य दूसरी जरूरी सुविधाओं के अभाव में चली गई.
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खूबसूरत शहरों के यूं खंडहरों में तब्दील होने की तस्वीरें बेहद डरावनी हैं. जंग की शुरुआत के समय लग रहा था कि शक्तिशाली लड़ाकों वाला रूस यूक्रेन को महज हफ्ते भर में सरेंडर करने के लिए मजबूर कर देगा लेकिन यूक्रेन ने सबको चौंका दिया. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने मैदान नहीं छोड़ा बल्कि आम लोगों को साथ लेकर युद्ध के मैदान में डट गए.
यूक्रेनी दावों की मानें तो जंग में रूस के 34 हजार सैनिकों की जान गई है. यूक्रेनी सेना ने रूस के 1500 रूसी टैंक, 756 आर्टिलरी सिस्टम, 99 एंटी एयक्राफ्ट डिफेंस सिस्टम, 216 फाइटर जेट और 183 हेलिकॉप्टर गिराने का भी दावा किया. वहीं रूस ने यूक्रेन को ज्यादा नुकसान पहुंचाने की बात कही है. ख़बर है कि आर्थिक मोर्चो पर यूक्रेन को 600 बिलियन डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान पुहंचा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस जंग में सिर्फ रूस-यूक्रेन ही नहीं बल्कि दुनिया के 107 देश किसी ना किसी रूप में प्रभावित हुए हैं. करीब 60 करोड़ लोगों को खाद्यान्न, ऊर्जा और वित्तीय मामलों में से किसी ना किसी एक मोर्चे पर संकट झेलना पड़ा है. जहां रूसी गैस की सप्लाई पर बैन से यूरोप में ईंधन का संकट खड़ा हो गया वहीं भारत समेत अन्य देशों में तेल और जरूरी सामानों की सप्लाई बाधित हुई. दुनियाभर के कई देशों को रोजगार के संकट से भी जूझना पड़ रहा है. इतनी बर्बादी के बावजूद भी इस युद्ध पर विराम लगता नजर नहीं आ रहा. माना जा रहा है कि चार महीने पूरे होने के बाद अब ये युद्ध और भी ज्यादा भीषण होगा.
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