जसप्रीत बुमराह की जगह पर मोहम्मद शमी को टी-20 वर्ल्ड कप टीम में शामिल कर लिया गया है. बीसीसीआई के अनुसार शमी ऑस्ट्रेलिया पहुंच चुके हैं और ब्रिस्बेन में होने वाले वॉर्मअप मैचों से पहले टीम से जुड़ भी जाएंगे. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि कहीं सिलेक्टर्स से बुमराह की जगह पर शमी को चुनकर बड़ी चूक तो नहीं हो गई? शमी ने पिछले एक साल में एक भी टी-20 इंटरनेशनल मैच नहीं खेला है और हाल फिलहाल की बात करें तो जुलाई से वह क्रिकेट से भी दूर हैं. सिर्फ यही नहीं आंकड़े टी-20 इंटरनेशनल के आंकड़े भी उनके पक्ष में नहीं जाते हैं.
इस फॉर्मेट में साल 2014 में डेब्यू करने वाले शमी ने आठ साल में भारत के लिए सिर्फ 17 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. इस दौरान भारतीय तेज गेंदबाज के खाते में कुल विकेट 18 आए हैं. हालांकि, गौर करने वाली बात यह है कि शमी का टी-20 इंटरनेशनल में इकॉनमी 9.54 का है और उनके हिस्से में एक बार भी ना तो चार विकेट आए हैं, ना ही वह इस फॉर्मेट में कभी पंजा खोल सके हैं.
आईपीएल 2022 में शमी का जादू गेंद से जरूर चला था और उन्होंने 16 मैचों में 20 विकेट निकाले थे, लेकिन वह इस लीग में भी रनों पर लगाम नहीं लगा सके थे और उनका इकॉनमी 8 का रहा था.
अब अगर शमी के ऑस्ट्रेलिया में रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाए तो तेज गेंदबाज ने कंगारू धरती पर सिर्फ एक टी-20 इंटरनेशनल मैच खेला है और जहां वह अपने 4 ओवर के स्पैल में बिना कोई विकेट लिए 46 रन लुटा बैठे थे.
अगर सवाल उठता है कि अगर टी-20 वर्ल्ड कप टीम में शमी को लेकर आना था, तो उनको इस फॉर्मेट में पर्याप्त मौके क्यों नहीं दिए गए? साथ ही जिन युवा तेज गेंदबाजों को टीम मैनजमेंट ने एक-एक करके इस्तेमाल किया उन पर भरोसा क्यों नहीं दिखाया गया? शमी के पास अनुभव है इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन क्रिकेट और इस फॉर्मेट से उनकी दूरी और बिना प्रैक्टिस के तेज गेंदबाज को कंगारू धरती पर आजमाने का यह दांव कहीं सिलेक्टर्स और टीम इंडिया को भारी बहुत भारी ना पड़ जाए.