पिछले साल टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के बाहर होने के बाद रोहित शर्मा ने कप्तान की जिम्मेदारी संभाली और हेड कोच के रूप में उनको मिला राहुल द्रविड़ का साथ. बस यहीं से शुरू हुआ भारतीय टीम में एक्सपेरिमेंट का वो दौर, जो ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टीम इंडिया को ले डूबा. एक साल के अंदर बल्लेबाजी से लेकर गेंदबाजी विभाग तक जमकर प्रयोग किए गए.
हर बैटिंग पोजीशन पर युवा खिलाड़ियों को आजमाया गया, तो हर उभरते गेंदबाज के हाथ में आखिरी ओवर के लिए गेंद थमाई गई. लेकिन, सच्चाई तो यह रही कि वर्ल्ड कप के पास आते-आते खुद कप्तान और कोच कन्फ्यूज हो गए कि किसको स्क्वॉड में खिलाए और किसको बाहर का रास्ता दिखाए.
टॉप ऑर्डर में कप्तान रोहित और द्रविड़ ने ईशान किशन को पूरे साल खिलाया, पर वर्ल्ड कप टीम में ईशान का नाम ही गायब रहा. संजू सैमसन, दीपक हुड्डा और यहां तक कि श्रेयस अय्यर को भी आजमाया गया. इन सब में से दीपक ऑस्ट्रेलिया की फ्लाइट में तो बैठे, पर पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ बेंच पर ही बैठे रह गए.
पंत और दिनेश कार्तिक दोनों को ही टी-20 वर्ल्ड कप की टीम में चुना गया. रोहित-द्रविड़ ने शुरुआती मैचों में कार्तिक पर भरोसा दिखाया, लेकिन विकेटकीपर को अपनी काबिलियत दिखाने के पर्याप्त मौके नहीं मिले. कार्तिक ने तीन मैचों में गेंदें खेली कुल 23, पर कार्तिक को टीम मैनेजमेंट को ड्रॉप करने के लिए यह काफी लगीं.
जिम्बाब्वे के खिलाफ पंत को पहली बार टूर्नामेंट में उतारा गया और कप्तान ने तर्क दिया कि उन्हें हम इस मेगा इवेंट में मौका देना चाहते हैं. सिर्फ वर्ल्ड कप के शुरुआती मैच नहीं, बल्कि पिछली कई सीरीज से कार्तिक पर जो रोहित-द्रविड़ का अट्टू भरोसा था वो अचानक सेमीफाइनल में आकर टूट गया और कार्तिक बेंच पर बैठे रह गए और पंत को प्लेइंग इलेवन में मौका मिल गया. सवाल यह है कि अगर बड़े मैच के लिए पंत को खिलाना था, तो कार्तिक को इतने मौके देने का क्या मतलब था?
कप्तान रोहित और द्रविड़ ने युजवेंद्र चहल को पूरे साल अपना बेस्ट स्पिनर बताया और पिछले वर्ल्ड कप के बाद लगभग हर सीरीज में मौका दिया. लेकिन, टी-20 वर्ल्ड कप 2022 में चहल सिर्फ बेंच पर ही बैठे रह गए और उनकी जगह पर तीन महीने पहले टी-20 टीम में वापसी करने वाले अश्विन पूरा टूर्नामेंट खेल गए. टीम मैनेजमेंट का यह फैसला हर किसी की समझ से परे नजर आया क्योंकि ना तो अश्विन कुछ खास कामयाब हुए और लेग स्पिनर आदिल राशिद ने किस कदर सेमीफाइनल में बल्लेबाजों को अपनी धुन पर नचाया यह हर किसी ने देखा.
टी-20 वर्ल्ड कप 2022 के लगभग हर मुकाबले में अबतक अर्शदीप सिंह शुरुआत ओवरों में विकेट चटका रहे थे और कप्तान उनसे दो या तीन ओवर का स्पैल करवा रहे थे. लेकिन, सेमीफाइनल में जब बटलर-हेल्स ने पहली गेंद से ही अटैक करना शुरू किया, तो कप्तान रोहित की रणनीति ही बदल गई और उन्होंने विकेट चटकाने वाले बॉलर अर्शदीप से पावरप्ले में मात्र एक ओवर करवाया. रोहित का पावरप्ले में अक्षर से गेंदबाजी करवाना टीम इंडिया को बहुत भारी पड़ गया.