भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला नाबालिग पहलवान के पिता के नए बयान के बाद कमजोर पड़ गया है जिन्होंने POCSO के तहत शिकायत दर्ज कराई थी.
नाबालिग के पिता ने स्वीकार किया कि उन्होंने जानबूझकर डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न की झूठी पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी.
ये बयान भाजपा सांसद के खिलाफ दर्ज मामलों की स्थिति को बदल देता है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नाबालिग के पिता ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में दोबारा बयान दर्ज कराया है. पिता ने मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 164 के तहत अपना बयान बदल दिया और कानून के अनुसार, बदले हुए बयान का अदालत में साक्ष्य संबंधी महत्व है.
इसे 66 वर्षीय आरोपी के लिए एक बचने वाले रास्ते के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि POCSO की धारा अब हटाई जा सकती है.
हालांकि, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी दुबे से बात करने वाले CNN News-18 ने बताया कि POCSO के तहत मामला वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है क्योंकि ये गैर-समाधानीय अपराध है. जिसका अर्थ है कि ऐसे मामलों में समझौता संभव नहीं है और आपराधिक अभियोग कायम रहता है.
उन्होंने कहा कि अब प्राथमिकी को रद्द नहीं किया जा सकता है, तो बयानों का विश्लेषण करना अदालत पर निर्भर करता है और अगर गवाह और सबूत काफी नहीं होते हैं तो आरोपी को मुक्त किया जा सकता है.
लेकिन एक अन्य वकील, आशीष दीक्षित ने CNN News 18 को बताया कि एक गवाह का मुकरना या अपना बयान बदलना उसके खिलाफ जा सकता है और ऐसे व्यक्ति की विश्वसनीयता पर सवाल उठ जाता है.
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस चार्जशीट से POCSO के प्रावधानों को हटाने का विकल्प चुन सकती है और अगर उन्हें ठोस सबूत मिलते हैं, तो उनके पास POCSO अपराध वाली चार्जशीट दाखिल करने का अधिकार होगा.
बृजभूषण शरण सिंह पर पहले नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न के लिए POCSO अधिनियम की धारा 10 के तहत मामला दर्ज किया गया था.