बल्ले की वो चमक अब खो सी गई है, कभी क्रीज पर उतरते ही गेंदबाजों के मन में खौफ पैदा कर देने वाले कोहली का विकराल रूप देखे अब जमाना हो गया है. हर सीरीज और हर दौरे पर उम्मीद बंधती है, लेकिन हाथ लगती है तो सिर्फ मायूसी. कभी बल्ला हवा में लहराकर मैदान से बाहर लौटने वाले विराट कोहली आजकल सिर झुकाए पवेलियन लौट जाते हैं. भारतीय क्रिकेट में कद बहुत विराट है कोहली का, पर मौके पर मौके देकर वो बल्ले से नाकामी टीम मैनेजमेंट कब तक ही छुपाती रहेगी.
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साल 2022 के सातवें महीने में विराट इस साल का अपना तीसरा टी-20 मुकाबला खेलने मैदान पर उतरे. वो विराट का कद ही था जिसको देखते हुए उन्हें आखिरी तीन टी-20 इंटरनेशनल पारियों में 184 रन कूटने वाले दीपक हुड्डा की जगह प्लेइंग इलेवन में मौका दिया गया. लेकिन, बर्मिंघम में भी कोहली का फ्लॉप शो जारी रहा और पूर्व कप्तान तीन गेंदों में बस खाता खोलकर चलते बने. विकेट भी थमाया उस गेंदबाज को, जिसने टी-20 इंटरनेशनल स्टेज पर पहली बार कदम रखा था. खैर यह भी कोई नई बात नहीं रही है अब.
कोहली का खराब दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. जून 2021 से विराट ने खेले 8 टी-20 इंटरनेशनल मैचों की 6 पारियों में सिर्फ 138 रन बनाए हैं और स्ट्राइक रेट रहा है कुल 110 का. आईपीएल में भी कोहली की यही कहानी रही थी और वह 16 मैचों में मात्र 22 के औसत और 115 के स्ट्राइक रेट से 341 रन बना सके थे.
वर्ल्ड कप सिर पर है और कोहली का हाल बेहाल है. आंकड़े चीख-चीखकर गवाही दे रहे हैं कि पूर्व कप्तान अब टी-20 टीम में फिट नहीं बैठ रहे हैं और कम से कम उनके टी-20 करियर पर टीम मैनेजमेंट को बड़ा फैसला लेना होगा. क्योंकि इतिहास गवाह है कि विश्व कप जैसे टूर्नामेंट पुरानी प्रतिष्ठा पर नहीं, बल्कि उस दिन मैदान पर दमदार खेल दिखाकर जीते जाते हैं. इसके साथ ही रनों का अंबार लगा रहे दीपक हुड्डा मैच दर मैच अपनी काबिलियत का नमूना पेश कर रहे हैं और उनकी बैटिंग को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि टीम इंडिया टी-20 फॉर्मेट में इस समय कोहली की नहीं, बल्कि हुड्डा जैसे प्लेयर्स की सख्त जरूरत है.