टेस्ट सीरीज के आगाज से पहले पुजारा का कहना था कि उनको साउथ अफ्रीका की धरती पर खेलने का अनुभव है और किन शॉट्स को खेलना है और किनको खेलने से बचना है यह वह बखूरी जानते हैं. लेकिन, सेंचुरियन के मैदान पर ना तो उनकी समझ दिखी और ना ही उनका अनुभव काम आया. शॉट्स समझकर खेलने की तो छोड़िए पुजारा तो ठीक तरह से एक गेंद भी नहीं खेल सके. दाएं हाथ का यह बल्लेबाज अपना खाता तक नहीं खोल सका.
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पुजारा के बल्ले से नाकामी अब कोई नई बात तो रही नहीं है. भारतीय टीम की दीवार कहे जाने वाले पुजारा ने अपना आखिरी शतक साल 2019 में जड़ा था. बल्ले से शतक और रन तो निकल नहीं रहे, लेकिन पुजारा शर्मनाक रिकॉर्ड्स को तेजी से अपने नाम करते जा रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट में नंबर तीन पर सबसे ज्यादा बार जीरो पर आउट होने के मामले में पुजारा अब नंबर वन बन गए हैं. भारतीय बैट्समैन का हाल इस कदर बेहाल है कि घर और विदेशी धरती को मिलकर सेंचुरी जड़े 43 पारियां बीत चुकी हैं. दिसंबर 2020 से लेकर अबतक पुजारा यह चौथी दफा जीरो पर पवेलियन लौटे हैं.
अब सवाल यह है कि क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मेट में लगातार नाकामी के बावजूद टीम मैनेजमेंट क्यों पुजारा को मौके पर मौके दिए जा रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुजारा ने टीम को कई यादगार जीत दिलाई हैं, लेकिन डेब्यू मुकाबले में शतक ठोकने वाले श्रेयस अय्यर और हनुमा विहारी को बिना किसी कसूर के बेंच पर बैठाए रखना का फैसला समझ से परे हैं.