संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) जल्द अपने ओटीटी फिल्म 'हीरामंडी : द डायमंड बाजार' (Heeramandi : The Dimond Bazaar) से डेब्यू के लिए तैयार हैं. हाल ही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया. हालांकि ट्रेलर से पहले मेकर्स ने फिल्म का पहला गाना 'सकल बन' (Sakal Ban) रिलीज किया.
इस गाने में एक्ट्रेस समेत साइड डान्सर मस्टर्ड येलो रंग के आउटफिट में नजर आ रही हैं. अगर इस गाने को गौर से देखा जाए तो गाने को पूरी तरह से मस्टर्ड येलो रंग टच दिया गया. लेकिन फैंस को बता दें कि ऐसा करने की भी एक वजह है, क्योंकि यह गाना 700 साल का इतिहास रखता है, जो संगीत के प्रति आपकी धारणा को बदल देगी.
दरअसल यूट्यूबर लक्ष महेशवाई ने एक वीडियो को शेयर करते हुए अमीर खुसरो के लिखे गए गीत 'सकल बन' के पीछे की 700 साल पुरानी कहानी बताई. जिसका इस्तेमाल संजय लीला भंसाली की 'हीरामंडी' में किया गया है. 'सकल बन' गीत की जड़ें 12वीं-13वीं शताब्दी में मिलती हैं, जब सूफी गायक अमीर खुसरो ने इस गीत को एक भावपूर्ण कहानी से सजाया था.
जानें ये इतिहास
एक बार, बसंत पंचमी के मौके पर, कुछ लोग हाथों में फूल लेकर और पीले कपड़े पहनकर मंदिर जा रहे थे. जब अमीर खुसरो ने उनसे ऐसा करने के पीछे का कारण पूछा, तो लोगों ने बताया कि इस दिन, वे जिस देवता की पूजा करते हैं, उसे खुश करने के लिए उनके चरणों में सरसों के फूल चढ़ाते हैं. फिर क्या था खुसरो ने भी अपने गुरु को खुश करने के लिए पीले फूलों का गुलदस्ता मांगा और अपने गुरु हजरत निज़ामुद्दीन औलिया, जो अपने भतीजे के मौत के गम में थे. खुसरो उन्हें खुश करने के लिए नाचते-गाते पहुंचे.
खुसरो ने अपने गुरु से कहा कि यहां के लोग बसंत पंचमी पर अपने खुदा को ये फूल चढ़ाते हैं, इसलिए ये फूल मैं अपने खुदा के लिए ले आया हूं. यही कारण है कि इस गाने में सरसों के फूल के प्रतीक में पीले रंग को खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है. इसी कारण आज भी हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह पर बसंत पंचमी पर पीले रंग के फूल और पीले रंग की चादर चढ़ाई जाती है. 'दमा-दम मस्त कलंदर' और 'छाप तिलक सब छीनी' जैसे गाने भी अमीर खुसरो ने ही लिखे हैं.
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