शनि देव को न्याय, कर्म, और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है. वे नवग्रहों में से एक हैं और ज्योतिष शास्त्र में उनका विशेष महत्व है. शनि देव व्यक्ति के कर्मों के आधार पर फल देते हैं. जल्द ही शनि देव अपनी उल्टी चाल चलने जा रहे हैं. चलिए जानते हैं कब है शनि व्रकी.
वर्तमान में शनि कुंभ राशि में विराजमान है. वहीं, इस महीने के अंत में शनि वक्री हो जाएंगे. यानी की शनि देव अपनी उल्टी चाल चलेंगे. 29 जून 2024 को शनि रात 11:40 बजे कुंभ राशि में वक्री होंगे. उनकी यह उल्टी चाल 139 दिनों तक चलेगी. शनि देव की चाल हर राशि पर प्रभाव डालती है.
शनि देव सूर्य देव और उनकी छाया पत्नी (संवर्णा/सांझ्या) के पुत्र हैं. उनकी माता का नाम छाया इसलिए पड़ा क्योंकि वह छाया रूप में थीं. शनि देव को काले रंग की काया वाले, नीली वस्त्र धारण किए हुए और हाथ में लाठी रखने वाले के रूप में दर्शाया जाता है. उनकी सवारी काला कौवा है. शनि देव को नवग्रहों में स्थान प्राप्त है और वे मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं.
शनि देव की पूजा खासतौर पर शनिवार को की जाती है. इस दिन काले वस्त्र धारण करके और काले तिल, सरसों के तेल, और लोहे की वस्तुओं का दान किया जाता है. वहीं, शनि देव के प्रसन्न करने के लिए "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जप किया जाता है. साथ ही, काले वस्त्र, काले तिल, लोहा, और तेल का दान शनि देव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. शनिवार के दिन व्रत रखने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है.
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