Narmada Jayanti 2024: 16 फरवरी को नर्मदा जयंती का त्योहार मनाया जा रहा है. मध्य प्रदेश में इस त्योहार को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. नर्मदा जयंती की पूर्व संध्या पर जबलपुर में इसे लेकर काफी रौनक दिखी. इस मौके पर बड़ी संख्या में यहां लोग नर्मदा नदी की पूजा के लिए जुटे और नर्मदा को करीब 1100 फीट की चुनरी चढ़ाई. ढोल नगाड़ों के आवाज से नर्मदा के घाट गूंज उठे.
नर्मदा जयंती भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो माता नर्मदा की पूजा और स्मरण के लिए मनाया जाता है यह पर्व हर साल नर्मदा नदी के किनारे मनाया जाता है. इस दिन लोग नर्मदा नदी में स्नान करते हैं और नर्मदा माता की पूजा अर्चना करते हैं. यह पर्व नर्मदा नदी की महिमा को समर्पित है और लोग नदी के पावन जल में स्नान करके अपने पापों को धो देते हैं.
नर्मदा नदी हिन्दी धर्म के अनुसार बहुत ही पवित्र मानी जाती है. इसे माँ नर्मदा की नाम से भी जाना जाता है. यह नदी मध्य प्रदेश और गुजरात में स्थित है और इसका अपार महत्व हिन्दू धर्म में है. इसे ब्रह्मपुत्र और गंगा के बाद तीसरा सबसे पवित्र नदी माना जाता है. नर्मदा नदी को माँ नर्मदा के साथ ही संबंधित किया जाता है और लोग इसे अपनी माँ मानते हैं
नर्मदा जयंती को मनाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन कोई भी व्यक्ति या वर्ग नर्मदा नदी की प्राकृतिक सुंदरता और उसके पावन जल का दर्शन कर सकता है. इस दिन लोग नर्मदा नदी में नहाने जाते हैं और अपने उपासना और पूजन करते हैं. इस दिन को भगवान शिव के अनुसार विशेष महत्व दिया जाता है, जिन्होंने स्वयं नर्मदा नदी को अपनी गंगाजी के समान स्थान दिया था.
नर्मदा जयंती के दिन लोग नर्मदा नदी के किनारे जाते हैं और वहां नहाने के बाद अपनी पूजा-अर्चना करते हैं. उन्हें लगता है कि नर्मदा नदी के पावन जल में स्नान करने से उनके सभी पाप धो जाते हैं और वह पवित्र हो जाते हैं.
नर्मदा जयंती धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है और यह एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन को लोग अपनी पूजा-अर्चना के साथ ही नर्मदा नदी के नजदीकी गाँवों में जाकर भगवान की आराधना करते हैं.
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