Narali Purnima 2023: महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत और उत्तर भारत में नारली पूर्णिमा मनाई जा रही है. हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा (Sawan Purnima) को नारली पूर्णिमा या नारियल पूर्णिमा (Nariyan Purnima) भी कहा जाता है. इस साल ये पूर्णिमा 31 अगस्त को मनाई जा रही है.
नारली शब्द का अर्थ नारियल होता है और इस दिन नारियल (Coconut) का विशेष महत्व होता है. नारली पूर्णिमा के दिन जल और समुद्र के देवता की खास पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन वरुण देव (Varun Dev) को नारियल चढ़ाया जाता है.
मान्यता है कि सावन पूर्णिमा पर पूजा करने से भगवान वरुण प्रसन्न होते हैं और उन्हें समुद्र के सभी खतरों से बचाते हैं. ये त्योहार खासकर मछुआरे मनाते हैं. इस दिन मछुआरे भगवान इंद्र और वरुण देव की पूजा करने के बाद ही मछली पकड़ने की शुरूआत करते हैं.
सफाई और सजावट: पूजा के लिए एक शुद्ध और साफ जगह तैयार करें.
सामग्री इकट्ठा करें: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री इकट्ठा करें, जैसे कि नारियल, फूल, अर्क, कुमकुम, चावल, रोली, धूप, दीपक, प्रसाद, पूजनीय वस्त्र आदि.
आदिकाल पूजा: पूर्वाह्न के समय, पूजा की शुरुआत करें. पूजा स्थल पर एक छोटा-सा चौक या पाट बनाएं और उस पर एक शुद्ध वस्त्र रखें. उस पर नारियल रखें और उसके चारों ओर धूप और दीपक जलाएं.
नारियल का आवाहन: पूजा की शुरुआत में नारियल को पूजनीय वस्त्र से ढककर अपने हाथों में लें. उसे अर्चमुद्रा बनाकर पक्षपात की दिशा में घुमाएं और वक्रता शंक्वराय नमः मंत्र का जप करें.
पूजा और आरती: नारियल को पूजा करने के बाद, उसे अपने पूजा स्थल पर रखें. फिर कुमकुम और अर्क की मिश्रित रोली का टीका बनाएं और नारियल पर लगाएं. अब आरती करें और प्रसाद को भगवान के चरणों में अर्पित करें.
विसर्जन: आप पूजा के बाद नारियल समुद्रदेव को अर्पित करें यानि समुद्र में बहा दें. मान्यता है कि इससे समुद्रदेव रक्षा करते हैं.
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