Muharram 2023: 19 जुलाई से इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम शुरू हो चुका है. ये महीना मुस्लिमों के लिए खास होता है. सभी जानते हैं कि मुहर्रम खुशियों का नहीं बल्कि मातम और शोक मनाने का महीना है.
शिया समुदाय के लोग मुहर्रम के दिन काले कपड़े पहनकर पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन, उनके परिवार और अनुयायियों की शहादत को याद करते हैं.
मुहर्रम महीने के 10वें दिन जिसे यौम-ए-आशूरा कहा जाता है, मुस्लिम समुदाय के लोग उनकी शहादत को याद करते हुए ताज़िया जुलूस निकालते हैं. इस साल यौम-ए-आशूरा जिसे आम भाषा में हम मुहर्रम कहते हैं 29 जुलाई को मनाया जाएगा.
इस्लाम के इतिहास में मुहर्रम गम और मातम का महीना माना जाता है. ऐसे इसलिए क्योंकि इस महीने की 10 तारीख को पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में जंग करते हुए अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे.
इस दिन को यौम-ए-आशूरा कहा जाता है. मुहर्रम की दस तारीख को दुनियाभर के शिया मुसलमान हजरत इमाम की शहादत को याद करते हुए मातम का एहतमाम करते हैं, इस दौरान मुसलमान काले कपड़े पहन कर ताजिया निकालते हैं.
इराक की राजधानी बगदाद से करीब 120 किलोमीरट दूर स्थित कर्बला के मैदान में उस वक्त के बादशाह यजीद और पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन जंग लड़ी गई थी.
इस्लामिक मानताओं के मुताबिक इस दौरान यजीद के 22 हजार सैनिकों का मुकाबला करते हुए हजरत इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे.
कहा जाता है कि यजीद ने हजरत इमाम हुसैन का सर कलम कर उन्हें बाजारों में घुमाया था और उनके परिवार के लोगों की बेहुर्मती की थी. इस घटना को याद करते हुए पूरी दुनिया में मुर्हम का गम मनाया जाता है.