Mahalaya 2023: महालया का महत्व बंगाली समुदाय में कुछ खास है. मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग इस दिन का इंतजार करते हैं और महालया के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है.
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, महालया और पितृ पक्ष की अमावस्या एक ही दिन मनाई जाती है. इस साल महालया 14 अक्टूबर को मनाई जा रही है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, महालया के दिन पितरों की विदाई के साथ पितृपक्ष (Pitru Paksha) का समापन होता है और देवी पक्ष (Devi Paksha) की शुरुआत होती है. इस दिन विधि विधान से माता दुर्गा की पूजा अर्चना करके उनसे अपने घर आगमन के लिए निवेदन किया जाता है और पितरों को जल तिल अर्पित करते हुए उन्हें विदाई दी जाती है.
महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को तैयार करते हैं और रंग भरकर मूर्ति को अंतिम रूप देते हैं.
महालया के दिन पितरों को अंतिम विदाई दी जाती है. पितरों को दूध, तील, कुशा, पुष्प और गंध मिश्रित जल से तृप्त किया जाता है. इस दिन पितरों की पसंद का भोजन बनाया जाता है और विभिन्न स्थानों पर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसके अलावा इसका पहला हिस्सा गाय को, दूसरा देवताओं को, तीसरा हिस्सा कौवे को, चौथा हिस्सा कुत्ते को और पांचवा हिस्सा चीटियों को दिया जाता है.
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