हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में होती है. भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु या उनके अवतार कृष्ण का रूप माना जाता है. जगन्नाथ का मतलब "जगत के स्वामी" होता है. यह धार्मिक उत्सव है, जो भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के सम्मान में मनाया जाता है.
यह रथ यात्रा हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होती है, जो आमतौर पर जून या जुलाई में पड़ती है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होकर दशमी तिथी पर समाप्त होती है. वहीं इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई को शुरू होगी और इसका समापन 16 जुलाई को होगा.
रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विशाल रथों को मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाता है, जो लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह यात्रा नौ दिनों तक चलती है, जिसमें भगवान तीन दिनों के लिए गुंडिचा मंदिर में ठहरते हैं और फिर वापस अपने मुख्य मंदिर में लौटते हैं. इस वापसी यात्रा को "बहुड़ा यात्रा" कहते हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत भगवान कृष्ण के समय में हुई थी. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा और बलराम जी को रथ पर बिठाकर यात्रा निकाली थी, जिसमें वह यात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर जाते थे.
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